मुंबईः कारोबारी अनिल अंबानी की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। उनके रिलायंस समूह के लिए मुश्किलें और भी बढ़ गई हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ED), केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI)द्वारा जारी जांच के बीच अब कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय ने रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर, रिलायंस कम्युनिकेशंस, रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस और सीएलई प्राइवेट लिमिटेड सहित कई कंपनियों में धन के कथित विचलन की नई जांच शुरू कर दी है।
इंडिया टुडे ने सूत्रों के हवाले से लिखा कि एमसीए की प्रारंभिक जांच में बड़े पैमाने पर धन की हेराफेरी और कंपनी अधिनियम के तहत बड़े उल्लंघनों का संकेत मिलने के बाद मामला अब गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) को सौंप दिया गया है।
ईडी ने रिलायंस समूह के खिलाफ कार्रवाई की तेज
एसएफआईओ द्वारा समूह की विभिन्न संस्थाओं में धन की प्रवाह की जांच और वरिष्ठ प्रबंधन स्तर पर जिम्मेदारी निर्धारित करने की उम्मीद है। जांच के परिणामों के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।
यह कदम ऐसे वक्त में आया है जब ईडी ने कर्ज में डूबे रिलायंस समूह के खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी है। इसी हफ्ते की शुरुआत में ईडी ने रिलायंस समूह की कंपनियों की लगभग 7,500 करोड़ रुपये की संपत्तियां कुर्क की थीं।
ईडी अधिकारियों ने कहा कि कुर्क की गई संपत्तियों में रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर की 30 संपत्तियां शामिल हैं। इसके साथ ही आधार प्रॉपर्टी कंसल्टेंसी, मोहनबीर हाई टेक बिल्ड, गमेसा इनवेस्टमेंट मैनेजमेंट, विहान43 रियल्टी और कैंपियन प्रॉपर्टीज से जुड़ी संपत्तियां भी शामिल हैं। ये कुर्कियां रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े करोड़ों रुपये के बैंक धोखाधड़ी मामले से जुड़ी है।
ईडी का यह मामला रिलायंस कम्युनिकेशंस (आर.कॉम) और उसकी समूह कंपनियों द्वारा 2010 और 2012 के बीच लिए गए ऋणों से जुड़ा है। एजेंसी के मुताबिक, बकाया राशि 40,185 करोड़ रुपये है और पांच बैंकों ने ऋण खातों को धोखाधड़ी वाला घोषित किया है।
जांचकर्ताओं ने कहा कि फंड समूह की विभिन्न संपत्तियों के बीच भेजा गया, संबंधित पक्षों को हस्तांतरित किया गया और यहां तक कि ऋण शर्तों का उल्लंघन करते हुए पुराने उधारों को भी चुकाने में भी इसका इस्तेमाल किया गया। ईडी ने आरोप लगाया कि व्यावसायिक संचालन के लिए जुटाई गई धनराशि का इस्तेमाल मौजूदा ऋणों के “सदाबहारीकरण” के नाम से किए जाने वाले काम में किया गया।
एजेंसी ने अपने बयान में क्या कहा?
एजेंसी ने अपने बयान में कहा कि लगभग 2010-12 के बाद से आर कॉम और उसकी समूह कंपनियों ने भारतीय बैंकों से हजारों रुपये जुटाए जिनमें से 19,694 रुपये की राशि अभी भी बकाया है। ये संपत्तियां एनपीए में बदल गईं और पांच बैंकों ने आरकॉम के ऋण खातों को धोखाधड़ी घोषित कर दिया।
एजेंसी ने इस दौरान यह भी कहा कि रिलायंस समूह की कई संस्थाएं धन के दुरुपयोग में शामिल थीं। ईडी का अनुमान है कि कम से कम 13,600 करोड़ रुपये के लेन-देन के जरिए इधर-उधर किए गए। यह भी आरोप है कि इस धन का एक हिस्सा विदेश चला गया। जांच में रिलायंस होम, फाइनेंस, रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस, रिलायंस इंफ्रास्ट्र्क्चर और रिलायंस पावर सभी शामिल हैं।
सीबीआई और ईडी ने इससे पहले अगस्त में अनिल अंबानी और समूह के वरिष्ठ अधिकारियों के आवास और कार्यालयों पर छापेमारी की थी। इसके बाद समूह से जुड़े एक वरिष्ठ वित्त अधिकारी को गिरफ्तार किया गया था।
हाल के वर्षों में बढ़ते कर्ज के दबाव के चलते रिलायंस समूह की कंपनियों को कई दिवालिया कार्यवाही का सामना करना पड़ा है। आरकॉम पहले से ही दिवालिया कार्यवाही से गुजर रही है जबकि समूह की कई अन्य कंपनियाँ ऋणदाताओं के मुकदमों और वसूली कार्यवाही से जूझ रही हैं।

