चुनाव आयोग (ईसीआई) सोमवार दोपहर देशव्यापी स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (एसआईआर) यानी मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण कार्यक्रम का शेड्यूल जारी करेगा। यह घोषणा मुख्य चुनाव आयुक्त ग्यानेश कुमार और चुनाव आयुक्त सुखबीर सिंह संधू तथा विवेक जोशी की मौजूदगी में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान की जाएगी।
आयोग के सूत्रों के हवाले से इंडिया टुडे ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि यह एसआईआर चरणबद्ध तरीके से शुरू किया जाएगा, जिसका पहला चरण 1 नवंबर से शुरू होगा। इस चरण में 10 से अधिक राज्य और एक केंद्र शासित प्रदेश शामिल होंगे, जिनमें असम, तमिलनाडु, पुडुचेरी, केरल और पश्चिम बंगाल जैसे 2026 में विधानसभा चुनाव वाले राज्य प्रमुख हैं।
दो चरणों में होगा एसआईआर
सूत्रों के अनुसार एसआईआर दो चरणों में चलाया जाएगा। पहले चरण में उन राज्यों को शामिल किया गया है जहां अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं, जबकि दूसरे चरण में वे राज्य होंगे जहां स्थानीय निकाय चुनाव या अत्यधिक सर्द मौसम के कारण संशोधन कार्य में दिक्कतें आ सकती हैं।
इस संबंध में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं ताकि जैसे ही आदेश मिले, काम तुरंत शुरू किया जा सके।
गौरतलब है कि एसआईआर को अंतिम रूप देने के लिए हाल ही में दो मुख्य सम्मेलन आयोजित किए थे, जहाँ आयोग ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों के साथ तैयारियों की समीक्षा की थी।
इस दौरान पिछले एसआईआर की सूचियों के साथ वर्तमान मतदाताओं के मिलान की प्रगति पर भी चर्चा हुई थी। चुनाव आयोग ने सभी मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को सतर्क रहने का निर्देश दिया है, ताकि जैसे ही आदेश मिले, काम तुरंत शुरू किया जा सके।
पहली बार बड़े पैमाने पर डेटा मैपिंग और सत्यापन
एसआईआर का उद्देश्य देशभर में मतदाता सूचियों को अधिक सटीक, अप टू डेट और समावेशी बनाना है। आयोग विभिन्न राज्यों के अधिकारियों के साथ मिलकर उन गलतियों और विसंगतियों को दूर करना चाहता है जो पिछली सूचियों में पाई गई थीं। इसके तहत पहली बार बड़े पैमाने पर डेटा मैपिंग और जन्म स्थान सत्यापन जैसी प्रक्रियाएँ अपनाई जाएंगी, ताकि अवैध विदेशी मतदाताओं की पहचान हो सके। यह कदम ऐसे समय में उठाया जा रहा है जब कई राज्यों में बांग्लादेश और म्यांमार से आए अवैध प्रवासियों पर कार्रवाई तेज है।
बिहार SIR के साथ ही हुई थी इसकी घोषणा
गौरतलब है कि जून में बिहार एसआईआर की घोषणा के दौरान ही आयोग ने देशव्यापी मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण की बात कही थी। बिहार में एसआईआर प्रक्रिया के दौरान इसको लेकर कई सवाल खड़े किए गए थे। सुप्रीम कोर्ट में इसको लेकर याचिकाएं भी दायर की थी। शीर्ष अदालत ने इस दौरान आधार कार्ड को पहचान प्रमाण के 12वें दस्तावेज के रूप में शामिल करने का निर्देश दिया था।
बिहार की फाइनल मतदाता सूची जारी कर दी गई है जिसमें 30 सितंबर तक लगभग 7.42 करोड़ मतदाताओं के नाम शामिल किए गए हैं। राज्य में 6 और 11 नवंबर को दो चरणों में मतदान और 14 नवंबर को मतगणना होगी।
इस बीच, कई राज्यों ने भी पुरानी मतदाता सूचियाँ ऑनलाइन उपलब्ध करा दी हैं। उदाहरण के तौर पर दिल्ली के सीईओ की वेबसाइट पर 2008 की सूची मौजूद है, जबकि उत्तराखंड में 2006 की सूची ऑनलाइन देखी जा सकती है। अधिकतर राज्यों ने 2002 से 2004 के बीच आखिरी बार व्यापक पुनरीक्षण किया था। ये पुरानी सूचियाँ मौजूदा पुनरीक्षण के लिए संदर्भ बिंदु के रूप में इस्तेमाल की जा रही हैं।

