नई दिल्ली: आयकर विभाग की ओर से पांच गैर सरकारी संगठनों- ऑक्सफैम इंडिया, सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च (CPR), एनवायरोनिक्स ट्रस्ट (ET), लीगल इनिशिएटिव फॉर फॉरेस्ट एंड इनवॉयरमेंट (LIFE), और केयर इंडिया सॉल्यूशन फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट (सीआईएसएसडी) के संबंध में की गई जांच में कई अहम बातें सामने आई है। इसमें सीपीआर कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर की बेटी से जुड़ा है।
बहरहाल, आयकर विभाग की जांच को लेकर एक रिपोर्ट इंडियन एक्सप्रेस ने प्रकाशित की है। इन पांचों एनजीओ के FCRA लाइसेंस केंद्र सरकार द्वारा पहले ही रद्द किए जा चुके हैं। इसके बाद इन एनजीओ ने इस फैसले को कोर्ट में चुनौती दी थी और मामले की सुनवाई फिलहाल दिल्ली हाई कोर्ट में चल रही है। इसमें ऑक्सफैम इंडिया (Oxfam India) के दिल्ली स्थित ऑफिस में सीबीआई ने भी 19 अप्रैल 2023 को छापा मारा था और जांच एजेंसी की ओर एफआईआर दर्ज कराई गई थी।
आयकर विभाग की जांच में क्या सामने आया है?
रिपोर्ट के अनुसार आयकर विभाग ने पाया है कि ये एनजीओ अदानी समूह की परियोजनाओं को रोकने के लिए विदेशी धन और विदेशी संस्थाओं के साथ सहयोग का इस्तेमाल कर रहे थे। उन्होंने पाया कि ये एनजीओ राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों के लिए एक-दूसरे को भी फंडिंग करते थे। आयकर विभाग की जांच में तीन जो बड़े आरोप लगाए गए थे, वे हैं-
– दो गैर सरकारी संगठनों ने देश की ‘आर्थिक और विकास’ परियोजनाओं पर रोक का प्रयास किया। इनमें अदानी समूह और JSW के प्रोजेक्ट भी शामिल थे।
– पांच साल की अवधि के दौरान चार एनजीओ की 75% से अधिक फंडिंग विदेश से आई, जो भारत में उनकी गतिविधियों को आगे बढ़ाने में मदद कर रही है।
– एक और खास बात ये कि एक एनजीओ का अध्यक्ष दूसरे एनजीओ का शेयरधारक है।
आईटी विभाग की जांच 7 सितंबर, 2022 को इन पांचों एनजीओ की ली गई तलाशी से शुरू हुई थी। तलाशी के बाद आईटी विभाग ने अपनी जांच में निष्कर्ष निकाला कि इन एनजीओ ने कथित तौर पर 2010 के विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) के समान प्रावधानों का उल्लंघन किया था। इन आरोपों में विदेशी मुद्रा बैंक खातों के वार्षिक रिटर्न और विवरणों में ‘गड़बड़ी’, और विदेशी मुद्रा में धन का ‘दुरुपयोग’ शामिल है।
सीबीआई की FIR भी खड़े करती है बड़े सवाल
दूसरी ओर ऑक्सफैम इंडिया के खिलाफ सीबीआई की एफआईआर में भी कई बड़े आरोप हैं। सीबीआई ने 19 अप्रैल 2023 को एनजीओ के कार्यालय पर छापा मारा था। सीबीआई की एफआईआर इस बात पर गंभीर सवाल खड़े करती है कि अंतरराष्ट्रीय एनजीओ अपनी विदेशी फंडिंग के साथ क्या कर रहा था।
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार एफसीआरए अधिनियम का उल्लंघन तो एक बात है लेकिन सीबीआई की एफआईआर से बड़ा सवाल ये उठता है कि क्या ऑक्सफैम इंडिया विदेशी शक्तियों की ओर से एक विदेशी एजेंट के रूप में काम कर रहा था? एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि ‘ऑक्सफैम इंडिया विदेशी संगठनों/संस्थाओं की विदेश नीति के एक संभावित साधन के रूप में उजागर हुआ है, जिन्होंने सालों से ऑक्सफैम इंडिया को उदारतापूर्वक वित्त पोषित किया है।’
इंडियन एक्सप्रेस ने साल 2023 के आखिर तक आईटी विभाग द्वारा इन एनजीओ को जारी किए गए ‘सूचना पत्रों’ की भी समीक्षा की है। इनमें से प्रत्येक 100 से अधिक पन्नों का है। आयकर विभाग के दावों से पता चलता है कि ये गैर सरकारी संगठन एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। इनके प्रमुख भी आपस में जुड़े हुए हैं और अपने-अपने मिशन भी एक दूसरे से साझा करते हैं।
पांच में से चार गैर सरकारी संगठनों – ऑक्सफैम, ईटी, लाइफ और केयर इंडिया को आयकर विभाग की ओर से जारी किए गए पत्रों में एक जैसा ‘समापन खंड’ है जिसका शीर्षक है- ‘जुड़े हुए गैर सरकारी संगठनों द्वारा ठोस प्रयास।’
एनवायरोनिक्स ट्रस्ट को लिखे एक अलग पत्र में यह कहा गया है- ‘…आंदोलनकारियों का समर्थन करने और विभिन्न परियोजनाओं को रोकने के लिए विभिन्न गैर सरकारी संगठनों द्वारा एक ठोस प्रयास किया जा रहा है। ये एनजीओ वांछित परिणाम और आंदोलन के लिए एक-दूसरे का समर्थन कर रहे हैं और कानून-व्यवस्था की स्थिति पैदा कर रहे हैं।’
इन एनजीओ की विदेशी फंडिंग का डेटा देखिए
आयकर विभाग के पत्र के अनुसार साल 2015 से 2021 के दौरान केयर इंडिया ने अपनी फंडिंग का 92% हिस्सा विदेश से हासिल किया। जबकि एनवायरोनिक्स ट्रस्ट ने 95%, LIFE ने 86% और ऑक्सफैम ने 78% पैसा विदेशों से हासिल किया था। एनवायरोनिक्स को लेकर एक दावा ये भी है कि इन 6 वर्षों के दौरान जो पैसा आया उसमें तीन साल तक 100% फंडिंग विदेशी थी। इस में सीपीआर का डेटा शामिल नहीं था।
ऑक्सफैम इंडिया पर आरोप
ऑक्सफैम को 141 पन्ने के आयकर विभाग के पत्र में कई आरोप लगाए गए हैं। उदाहरण के लिए इसने यानी ऑक्सफैम इंडिया ने अडानी समूह द्वारा खनन के प्रोजेक्ट को रोकने के लिए ऑक्सफैम ऑस्ट्रेलिया के प्रयास का समर्थन किया। आयकर विभाग ने इसके लिए हार्ड ड्राइव और ईमेल के सबूतों का हवाला दिया है। विभाग ने कहा है, ‘…यह स्पष्ट है कि ऑक्सफैम इंडिया की अदानी पोर्ट्स को डीलिस्ट करने में सीधी रुचि है। यह धर्मार्थ गतिविधियों के नाम पर एक भारतीय बिजनेस ग्रुप को ऑस्ट्रेलिया में टार्गेट करने की ऑक्सफैम इंडिया की एक भयावह योजना है…वे विदेशी संस्थाओं के साथ साजिश कर रहे हैं…।’
इसी पत्र में 2019 में रायपुर में ‘वन स्वराज आंदोलन’ के लिए ऑक्सफैम के खर्चों सहित जोश और अमन बिरादरी ट्रस्ट जैसे संगठनों को सब-ग्रांट दिए जाने की भी बात का जिक्र किया गया है। पत्र में यह भी दावा किया गया है कि एफसीआरए लाइसेंस रद्द होने के बाद ऑक्सफैम ने दूसरी ‘कठपुतली एनजीओ’ का पता लगाने की कोशिश की, जिसके पास वैध अनुमति हो ताकि फंड को उद्येश्यों की पूर्ति के लिए रिडायरेक्ट या पुनर्निर्देशित किया जा सके।
LIFE ने आरोपों को बताया है बेबुनियाद
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार इनमें से एक एनजीओ LIFE के संस्थापक ने कहा कि आयकर विभाग का एक प्रमुख आरोप कि पांचों एनजीओ एक दूसरे से जुड़े हुए है, ये निराधार हैं। LIFE के संस्थापक ऋतविक दत्ता की ओर से कहा गया है, ‘यह आरोप कि सभी एनजीओ आपस में और एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं, निराधार है। LIFE को कभी भी ऑक्सफैम से कोई फंड नहीं मिला और न ही हमने कभी CPR, ऑक्सफैम और केयर इंडिया के साथ सहयोग किया। केवल एनवायरोनिक्स ट्रस्ट के साथ बातचीत हुई…LIFE एक स्वैच्छिक संगठन है और अब यह स्वैच्छिक योगदान के आधार पर अपनी कुछ गतिविधियां चला रहा है।
दूसरी ओर एनवायरोनिक्स ट्रस्ट के एक अधिकारी ने कोई और टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। तीन अन्य गैर सरकारी संगठनों – ऑक्सफैम, सीपीआर और सीआईएसएसडी – ने आयकर विभाग के आरोपों पर टिप्पणी के अनुरोधों का जवाब नहीं दिया।