नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अनिल अंबानी के समूह की कंपनी रिलायंस पावर से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में तीसरी गिरफ्तारी की है। यह जांच 68 करोड़ रुपये की कथित फर्जी बैंक गारंटी जारी करने से जुड़ा हुआ है।
समाचार एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि अमर नाथ दत्ता नामक व्यक्ति को गुरुवार को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत गिरफ्तार किया गया। इसके बाद एक विशेष अदालत ने उसे चार दिन की ईडी हिरासत में भेज दिया।
इससे पहले, एजेंसी ने इसी मामले में अक्टूबर में रिलायंस पावर के पूर्व मुख्य वित्तीय अधिकारी अशोक कुमार पाल और अगस्त में ओडिशा के भुवनेश्वर स्थित बिस्वाल ट्रेडलिंक (बीटीपीएल) के प्रबंध निदेशक पार्थ सारथी बिस्वाल को भी गिरफ्तार किया था।
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मामला क्या है?
ईडी की जांच रिलायंस रिलायंस एनयू बीईएसएस लिमिटेड जो कि रिलायंस पावर की सहायक कंपनी है, द्वारा सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड को दी गई 68.2 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी से जुड़ी है। यह गारंटी बाद में फर्जी पाई गई। कंपनी का पुराना नाम महाराष्ट्र एनर्जी जेनरेशन लिमिटेड था।
ईडी के मुताबिक, बिस्वाल ट्रेडलिंक कथित तौर पर कई कारोबारी समूहों को फर्जी बैंक गारंटी उपलब्ध कराने का रैकेट चला रहा था। जांच में पाया गया कि कंपनी का कोई ठोस कार्यालय या वैध कारोबारी रिकॉर्ड मौजूद नहीं था। रजिस्टर्ड ऑफिस एक रिहायशी पते पर पाया गया, जहां से न तो कोई व्यापारिक दस्तावेज मिले और न ही आवश्यक अकाउंट बुकें। ई़डी के अनुसार, बीटीपीएल के कार्यालय से शेयरधारकों और कानूनी रिकॉर्ड की महत्वपूर्ण जानकारी गायब पाई गई।
रिलायंस समूह ने इस मामले में अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि अनिल अंबानी पिछले साढ़े तीन साल से रिलायंस पावर लिमिटेड के बोर्ड में नहीं हैं, और उनका इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है।
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मामला कैसे शुरू हुआ?
यह मामला दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा द्वारा नवंबर 2024 में दर्ज की गई एफआईआर पर आधारित है, और उसी से ईडी की जांच आगे बढ़ी। जांच में सामने आया कि बीटीपीएल कई बड़ी कंपनियों के लिए फर्जी बैंक गारंटी जारी कर रहा था और इसके बदले औसतन आठ प्रतिशत तक कमीशन लेता था। इसी रैकेट के कारण पार्थ सरथी बिस्वाल और उनकी कंपनी ईडी की जांच के दायरे में आए।
ईडी की जांच में सबसे अहम खुलासा यह था कि रिलायंस पॉवर लिमिटेड की सहायक कंपनी रिलायंस NU BESS Ltd ने सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड को जमा की गई 68.2 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी BTPL के जरिए ही प्रस्तुत की थी। जिनके बदले BTPL को लगभग 5.4 करोड़ रुपये मिले, ऐसा रिकॉर्ड जांच में दिखा। रिलायंस ग्रुप ने कह दिया है कि वे इस जालसाज़ी के शिकार हुए और अक्टूबर 2024 में आर्थिक अपराध शाखा में शिकायत दर्ज करवाई थी।
फर्जीवाड़ा किस तरह किया जाता था?
ईडी ने पाया कि बिस्वाल और उनकी टीम एसबीआई के नाम से फर्जी बैंक गारंटी तैयार करते थे। वे असली डोमेन sbi.co.in की नकल कर s-bi.co.in जैसा मेल डोमेन बनाकर सरकारी और निजी एजेंसियों को धोखा देते थे। सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड को भेजे गए दस्तावेज और ईमेल इसी तरीके से नकली बनाए गए थे।
जांच में यह भी पता चला कि कंपनी के कम से कम सात अलग बैंक खाते थे जिनमें करोड़ों रुपये का लेन-देन हुआ। कंपनी में डमी डायरेक्टर्स रखे गए ताकि असली मालिकों की पहचान छिपाई जा सके। साथ ही टीम बातचीत के लिए टेलीग्राम के गायब होने वाले मैसेज मोड का इस्तेमाल करती थी ताकि बाद में कोई इलेक्ट्रॉनिक सबूत न बचें।

