केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा उचित समय पर बहाल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह फैसला केंद्र सरकार और राज्य नेतृत्व के बीच चर्चा के बाद ही लिया जाएगा।
पटना में एबीपी न्यूज और हिंदुस्तान द्वारा आयोजित एक मीडिया कॉन्क्लेव में जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के बयान को लेकर अमित शाह से सवाल किया गया। उनसे पूछा गया कि उमर अब्दुल्ला ने राज्य का दर्जा बहाल न होने के कारण जम्मू-कश्मीर और दिल्ली के बीच भी एक दूरी की बात कही थी, इसपर अमित शाह ने कहा कि “वह (उमर अब्दुल्ला) यह बात राजनीतिक मजबूरी के चलते कह रहे होंगे, लेकिन राज्य का दर्जा उचित समय पर बहाल किया जाएगा। और यह उनसे चर्चा के बाद ही किया जाएगा।”
‘जम्मू-कश्मीर पूरी तरह बदल चुका है’
अमित शाह ने कहा कि अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर पूरी तरह बदल चुका है। उन्होंने कहा, पिछले नौ महीनों में किसी भी स्थानीय युवक की आतंकवादी संगठन में भर्ती नहीं हुई है। यह बड़ा बदलाव है। पहले पाकिस्तान हमारे बच्चों के हाथों में बंदूक थमा देता था, लेकिन अब वहां के लोग खुद को पूरे देश का हिस्सा महसूस करते हैं।
इधर, सीएम उमर अब्दुल्ला ने अपनी सरकार का एक साल पूरा होने पर, पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग वाली याचिका में सुप्रीम कोर्ट का पक्षकार बनने की संभावना तलाशने की बात कही है। मुख्यमंत्री ने हाल ही में कहा था कि उनकी सरकार राज्य के दर्जे की बहाली को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में पक्षकार बनने की संभावना पर विचार कर रही है। उन्होंने बीजेपी से यह स्पष्ट करने की मांग की कि क्या राज्य का दर्जा बहाल करना इस बात पर निर्भर करता है कि जम्मू-कश्मीर में उनकी सरकार बने या नहीं।
अब्दुल्ला ने कहा, “अगर यही सौदा है, तो बीजेपी को ईमानदारी से कहना चाहिए कि जब तक जम्मू-कश्मीर में गैर-बीजेपी सरकार रहेगी, तब तक राज्य का दर्जा नहीं मिलेगा। तब हम तय करेंगे कि हमें क्या करना है।”
उन्होंने यह भी दोहराया कि उनकी पार्टी बीजेपी के साथ किसी भी तरह का गठबंधन नहीं करेगी। उमर अब्दुल्ला ने कहा, हमने 2015 में देखा कि पीडीपी-बीजेपी गठबंधन ने जम्मू-कश्मीर को कितना नुकसान पहुंचाया। हम उन गलतियों को नहीं दोहराएंगे।
राज्य का दर्जा बहाल करना अब्दुल्ला की पार्टी, नेशनल कॉन्फ्रेंस, के 2024 के चुनावी वादों में एक प्रमुख मुद्दा था। एक साल बीतने के बाद भी इस दिशा में प्रगति न होने पर विपक्षी दलों और उनके अपने कुछ सहयोगियों ने सरकार पर निष्क्रियता और दिल्ली को खुश करने के आरोप लगाए हैं।
इस राजनीतिक बयानबाजी के बीच, सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग वाली याचिकाओं के एक बैच पर विस्तृत जवाब दाखिल करने के लिए केंद्र सरकार को चार सप्ताह का अतिरिक्त समय दिया है। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की इस दलील पर संज्ञान लिया कि राज्य का दर्जा बहाल करने में लगातार देरी से जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के अधिकार गंभीर रूप से प्रभावित हो रहे हैं।
जम्मू-कश्मीर के मुद्दे के अलावा अमित शाह ने लद्दाख के हालात पर भी अपनी बात रखी। लद्दाख में हाल के आंदोलनों पर उन्होंने आश्वासन दिया कि केंद्र सरकार लेह और कारगिल के प्रतिनिधियों के साथ लगातार संपर्क में है। उन्होंने लोगों से धैर्य रखने का आग्रह किया और कहा कि उनकी सभी वास्तविक मांगों का “अच्छा समाधान” निकाला जाएगा।
इसके अलावा, अमित शाह ने नक्सली उग्रवाद के खिलाफ चल रहे अभियान को “निर्मम” और “निर्णायक” बताया। उन्होंने घोषणा की, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 11 वर्षों के नेतृत्व में, हमने 600 से अधिक माओवादी शिविरों को नष्ट कर दिया है, उनकी फंडिंग और हथियारों तक उनकी पहुँच को काट दिया है। मैं घोषणा करता हूँ कि 31 दिसंबर 2026 तक माओवाद को पूरी तरह से खत्म कर दिया जाएगा।”