नई दिल्ली: भारत ने संयुक्त राज्य अमेरिका से तरलीकृत पेट्रोलियम गैस (LPG) आयात करने के लिए करार पर हस्ताक्षर किया हैं। सरकार का कहना है कि यह कदम देश की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करेगा और बढ़ती वैश्विक अस्थिरता के दौर में आपूर्ति स्रोतों में विविधता लाएगा। केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सोमवार को अमेरिका के साथ हुए इस डील की घोषणा की।
हरदीप सिंह पुरी ने बताया कि सरकारी तेल कंपनियों ने अनुबंध वर्ष 2026 के लिए अमेरिकी खाड़ी तट से लगभग 22 लाख टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) एलपीजी आयात करने के लिए एक साल के समझौते को अंतिम रूप दिया है। यह मात्रा भारत के वार्षिक एलपीजी आयात का लगभग 10% है, जो देश की सोर्सिंग रणनीति में एक बड़े बदलाव का संकेत है।
सामने आई जानकारी के अनुसार इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (आईओसी), भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) के अधिकारियों की एक संयुक्त टीम ने 21 से 24 जुलाई 2025 तक अमरीका का दौरा किया और वहां के प्रमुख उत्पादकों के साथ चर्चा की।
पुरी ने कहा, ‘यह एक ऐतिहासिक पहल है।’ उन्होंने कहा कि दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते एलपीजी बाजारों में से एक अब औपचारिक रूप से अमेरिकी आपूर्ति के लिए खुल रहा है। उन्होंने आगे कहा, ‘भारत के लोगों को सुरक्षित और किफायती एलपीजी उपलब्ध कराने के हमारे प्रयास में, हम अपनी आपूर्ति में विविधता ला रहे हैं। यह सौदा उस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।’
अमेरिका के साथ एलपीजी डील क्यों अहम है?
भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा एलपीजी उपभोक्ता वाला देश है। यहां माँग भी तेजी से घरेलू स्तर पर इसके और अपनाए जाने और उज्ज्वला योजना के निरंतर विस्तार के कारण बढ़ रही है। भारत सरकार उज्जवला योजना के तहत कम आय वाले परिवारों को सब्सिडी वाले एलपीजी कनेक्शन प्रदान करती है। वर्तमान में भारत अपनी एलपीजी जरूरतों का 50% से ज्यादा आयात करता है, और ज्यादातर आपूर्ति पश्चिम एशियाई बाजारों से आती है।
अमेरिका से एक बड़ा हिस्सा खरीदने का यह कदम पारंपरिक आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भरता कम करने, आपूर्ति स्थिरता में सुधार लाने और वैश्विक बाजार में कीमतों में तेज उछाल से बचाव की भारत की रणनीति का हिस्सा है।
पुरी ने बताया कि पिछले साल वैश्विक स्तर पर एलपीजी की कीमतों में 60% से अधिक की वृद्धि के बावजूद, सरकार ने यह सुनिश्चित किया कि उज्ज्वला लाभार्थियों को प्रति सिलेंडर केवल 500-550 रुपये का भुगतान करना पड़े, जबकि वास्तविक लागत 1,100 रुपये तक पहुँच गई थी। उन्होंने कहा कि सरकार ने शेष बोझ को वहन किया और उपभोक्ताओं को कीमतों के झटके से बचाने के लिए 40,000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए।
पेट्रोलियम मंत्री ने अमेरिकी समझौते को भारतीय परिवारों के लिए ‘सुरक्षित, किफायती और विश्वसनीय एलपीजी आपूर्ति’ सुनिश्चित करने की दिशा में एक और अहम कदम बताया है।
इस समझौते से भारत-अमेरिका ऊर्जा सहयोग के भी और गहरा होने की उम्मीद है। दूसरी ओर भारत के एलपीजी बाजार का विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, निरंतर विस्तार हो रहा है। इसलिए सरकार का कहना है कि आपूर्ति स्रोतों का और विविधीकरण एक प्रमुख प्राथमिकता बनी रहेगी।

