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अमेरिका ने भारत की चार कंपनियों पर लगाया प्रतिबंध, जानें क्या है वजह?

नई दिल्लीः अमेरिका ने चार भारतीय कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया है। इन कंपनियों पर कथित तौर पर ईरानी कच्चे तेल और पेट्रोलियम के उत्पादों के व्यापार और परिवहन में शामिल होने को लेकर अमेरिका ने कार्रवाई की है। दरअसल अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में आने के बाद उनका प्रशासन ईरान के खिलाफ ‘अधिकतम दबाव अभियान’ चला रहा है। इसके तहत यह कार्यवाई की गई है।

अमेरिकी ट्रेजरी विभाग के विदेशी संपत्ति नियंत्रण कार्यालय (ओएएफसी) और अमेरिकी विदेश विभाग ने 30 व्यक्तियों और जहाजों पर प्रतिबंध लगाए हैं। इनमें भारत की चार कंपनियां भी शामिल हैं। 

भारत की कौन-सी कंपनियां हैं शामिल

अमेरिकी विदेश विभाग और ओएएफसी से प्राप्त जानकारी के अनुसार, भारत की प्रतिबंधित चार कंपनियों में नवी मुंबई की फ्लक्स मैरिटाइम एलएलपी, एनसीआर की बीएसएम मरीन एलएलपी और ऑस्टिनशिप मैनेजमेंट शामिल हैं। इसके अलावा थंजावुर की कॉस्मॉस लाइन्स इंक का भी नाम शामिल है।

इनमें से तीन कंपनियों पर ईरान के कच्चे तेल और पेट्रोलियम पदार्थों के परिवहन में शामिल जहाजों के लिए व्यावसायिक या तकनीकी प्रबंधक होने के लिए प्रतिबंध को मंजूरी दी गई है। वहीं, कॉस्मास कंपनी पर अमेरिका ने ईरानी पेट्रोलियम का कथित तौर पर परिवहन का आरोप लगाया है।  

अमेरिकी विभाग ओएफएसी द्वारा जारी प्रेस रिलीज में कहा गया है कि जिन कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया गया है उनमें से यूएई और हांगकांग तेल की दलाली में शामिल हैं। भारत और चीन के टैंकर संचालक और मैनेजर हैं। 

वहीं अमेरिकी विदेश विभाग ने इस मामले में अलग से रिलीज जारी की है। उसमें लिखा है कि “ईरानी शासन अपने परमाणु खतरे, बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम और आतंकवादी समूहों के समर्थन से वैश्विक सुरक्षा को अस्थिर करना जारी रखे हुए है। ईरान के तेल निर्यात को कई न्यायालयों में अवैध शिपिंग सुविधाकर्ताओं के एक नेटवर्क द्वारा सक्षम किया जाता है जो भ्रम और धोखे के माध्यम से एशिया में खरीदारों को बिक्री के लिए ईरानी तेल को लोड और परिवहन करते हैं।”

अमेरिकी विदेश विभाग ने विज्ञप्ति में आगे कहा, ”आज संयुक्त राज्य अमेरिका ईरान पर राष्ट्रपति ट्रम्प के अधिकतम दबाव अभियान के तहत कार्रवाई कर रहा है ताकि शासन द्वारा इन अस्थिर गतिविधियों को वित्तपोषित करने के लिए उपयोग किए जाने वाले राजस्व के प्रवाह को रोका जा सके।”

पहले भी लग चुका है प्रतिबंध

हालांकि ऐसा पहली बार नहीं हुआ कि भारतीय कंपनियों पर ऊर्जा के परिवहन के आरोप में प्रतिबंध लगा है। इससे पहले बीते अक्तूबर में भारत की एक कंपनी गब्बारो शिप सर्विसेस पर भी ईरानी तेल के परिवहन के आरोप में प्रतिबंध लगा था। इसी तरह अगस्त और सितंबर में भारत की तीन कंपनियों पर अमेरिका द्वारा प्रतिबंध लगाया गया था। 

इन कंपनियों पर कथित तौर पर यह आरोप था कि रूस की आर्कटिक एलएनजी 2 परियोजना से एलएनजी के परिवहन में संलिप्त थी। यह अमेरिका द्वारा प्रतिबंधित है। 

अमेरिका का यह प्रतिबंध रूस, ईरान और वेनेजुएला के कच्चे तेल और पेट्रोलियम पदार्थों के व्यापार में शामिल जहाजों को संदर्भित करता है। अलग-अलग प्रतिबंधों के कारण पश्चिमी बेड़े के ऑपरेटर इन देशों के तेल व्यापार में शामिल होने से कतराते हैं।

ग्रीस, रूस और चीन जैसे देशों और मार्शल द्वीप, लाइबेरिया और पनामा जैसे टैक्स हेवेन के ऑपरेटर प्रमुख खिलाड़ी बनकर उभरे हैं। रूस, ईरान और वेनेजुएला के तेल और गैस उद्योग अंतरराष्ट्रीय शक्तियों, विशेषकर अमेरिका के प्रतिबंधों या प्रतिबंधों के अधीन रहे हैं।

अमरेन्द्र यादव
लखनऊ विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में स्नातक करने के बाद जामिया मिल्लिया इस्लामिया से पत्रकारिता की पढ़ाई। जागरण न्यू मीडिया में बतौर कंटेंट राइटर काम करने के बाद 'बोले भारत' में कॉपी राइटर के रूप में कार्यरत...सीखना निरंतर जारी है...

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