न्यूयॉर्क: अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव होने जा रहे हैं। मुकाबला डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार कमला हैरिस और रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप के बीच है। इसके लिए मतदान पाँच नवंबर को होने है जब जनता इलेक्टोरल कॉलेज को चुनेगी और फिर यहां से तय होगा कि अमेरिका का अगला राष्ट्रपति कौन होगा।
अमेरिका में जारी चुनाव प्रचार के दौरान एक बड़ा मुद्दा मतदान के लिए फोटो पहचान पत्र के प्रयोग का भी है। ट्विटर (अब एक्स) के मालिक एलन मस्क भी पूरे देश में लगातार चुनाव में वोट देने के लिए फोटो आईडी कार्ड आवश्यक किये जाने की माँग कर रहे हैं।
अमेरिका में भारत की तरह वोटर आईडी कार्ड नहीं होता है। कई राज्यों में कोई भी पहचान पत्र वोट देने के लिए काफी होता है। कुछ राज्य में तो किसी भी पहचान पत्र की जरूरत नहीं होती। केवल कुछ राज्यों में फोटो पहचान पत्र को आवश्यक बनाया गया है।
अब मांग हो रही है कि पहचान पत्र संबंधी सख्त कानून पूरे देश के लिए बनाए जाए। खासकर रिपब्लिकन पार्टी के कार्यकर्ता इसके लिए मुखर हैं जबकि डेमोक्रेटिक पार्टी इसका विरोध कर रही है। ये पूरा विवाद क्या है? अमेरिका में कैसे वोट डाले जाते हैं? मतदाता की पहचान कैसे की जाती है? इन सभी सवालों का जवाब आपको इस कहानी में मिलेगा।
अमेरिका में वोटर पहचान पत्र का नियम
अमेरिका में कुल 50 राज्य हैं। हर राज्य में मतदान के नियम अलग-अलग हैं। वेबसाइट ballotpedia.org के अनुसार 36 ऐसे राज्य हैं, जहां मतदान के दिन मतदाता को पहचान पत्र दिखाना होता है। इनमें भी 24 ऐसे राज्य हैं जहां फोटो वाला पहचान पत्र प्रस्तुत करना होगा। इसमें भी 10 में फोटो पहचान पत्र दिखाना बाध्यकारी है यानी किसी भी परिस्थिति में इससे छूट नहीं दी जाएगी। इन राज्यों में ये बदलाव इसी चुनाव से लागू हो रहा है।
इन 24 राज्यों के अलावा अमेरिका के 11 राज्यों में किसी भी तरह के पहचान पत्र का इस्तेमाल किया जा सकता है। इनमें ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट, राज्य की ओर से जारी कोई और पहचान पत्र या सैन्य पहचान पत्र आदि शामिल हैं।
अमेरिका के अन्य 14 राज्यों में मतदान के लिए किसी तरह के पहचान पत्र की जरूरत नहीं होती है। यहां नए मतदाता वोटर लिस्ट में अपना नाम पंजीकृत कराकर चुनाव के दिन वोट दे सकते हैं। ये 14 राज्य हैं- कैलिफोर्निया, हवाई, इलिनोइस, मेने, मैरिलैंड, मैसच्युसेट्स (Massachusetts), मिनेसोटा, नवाडा, न्यू जर्सी, न्यू मैक्सिको, न्यूयॉर्क, ओरेगोन, पेंस्लिविनिया और वरमोंट। इसके अलावा वाशिंगटन डीसी में भी मतदान के लिए आईडी की जरूरत नहीं होती।
नए वोटर आईडी कानून पर बहस
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में पिछली बार बड़ा विवाद हुआ था। इसके बाद यहां वोटरों की ठीक तरह से पहचान के लिए और ये सुनिश्चित करने के लिए कि केवल अमेरिकी नागरिक ही वोट दें, पहचान पत्र पर बड़ी बहस पिछले चार सालों में देखने को मिली है। हाल में एक सर्वे में दावा किया गया कि 84 प्रतिशत अमेरिकी मतदान के लिए फोटो आईडी को जरूरी बनाने के पक्ष में हैं।
इसी साल जुलाई में अमेरिकी हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव ने सेफगार्ड अमेरिकन वोटर एलिजिबिलिटी (SAVE) एक्ट को पास किया। इसे डेमोक्रेटिक पार्टी के पांच सांसदों ने भी समर्थन दिया। इस बिल का लक्ष्य था कि ये सुनिश्चित हो सके कि केवल अमेरिकी नागरिक राष्ट्रीय चुनाव में वोट कर सकें और मतदान में धांधली न हो। यह कानून लागू होता है तो नेशनल वोटर रजिस्ट्रेशन एक्ट ऑफ 1993 (NVRA) की जगह लेगा। हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव में तो बिल पास हो गया क्योंकि यहां रिपब्लिकन पार्टी का बहुमत है लेकिन सीनेट में इसे कड़े विरोध का सामना करना पड़ा है, जहां डेमेक्रेटिक सांसदों की संख्या ज्यादा है।
एलन मस्क ने किया समर्थन उठाया
रिपब्लिकन उम्मीदवार और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लिए प्रचार कर रहे एलन मस्क ने बिना फोटो पहचान पत्र के मतदान की प्रक्रिया का विरोध किया है। उन्होंने हाल में पेंस्लिविनिया में एक रैली में पहचान पत्र को जरूरी बनाने पर जोर दिया। इसी महीने कैलिफोर्निया के गवर्नर गेविन न्यूसम ने ऐसे कानून पर हस्ताक्षर किए जो राज्य में स्थानीय सरकारों को मतदान स्थलों पर मतदाताओं को पहचान (आईडी) दिखाने की आवश्यकता से रोकता है। नगरपालिका चुनावों के लिए भी ये नियम रहेगा। एलन मस्क ने इसपर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी।
मस्क ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इस फैसले की आलोचना करते हुए दावा किया कि नया कानून मतदान में धोखाधड़ी को बढ़ावा देगा। दूसरी ओर डेमोक्रेट उम्मीदवार कमला हैरिस मतदान के लिए पहचान पत्र के इस्तेमाल को जरूरी करने का विरोध कर रही हैं। उनका मानना है कि ऐसे कानून अमेरिका के ग्रामीण समुदायों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं, क्योंकि उनके लिए आईडी आवश्यकताओं को पूरा करना मुश्किल हो जाएगा।
आईडी नहीं तो फिर वोटिंग कैसे होती है?
अमेरिका के 36 राज्यों में तो किसी न किसी प्रारूप में पहचान पत्र को जरूरी बनाया गया है। वहीं, 14 राज्य और वाशिंगटन डीसी में बिना किसी आईडी के भी वोट डाला जा सकता है। ऐसे में सवाल है कि फिर मतदाताओं की पहचान कैसे होती है। दरअसल, इन राज्यों में ‘गैर-दस्तावेजी’ आईडी की जरूरत होती है।
इसका मतलब है कि मतदाताओं को अपनी पहचान अन्य तरीकों से सत्यापित करनी होगी, जैसे शपथ पत्र या मतदान पुस्तिका पर हस्ताक्षर करके, या अपनी व्यक्तिगत जानकारी प्रदान करके ऐसा किया जा सकता है। इनका मिलान चुनाव अधिकारी वोटर रजिस्ट्रेशन फॉर्म से करते है। इसके बाद मतदान करने की अनुमति मिलती है।
इसके अलावा प्रोविजनल बैलेट का विकल्प भी होता है। यानी आप एक अलग बैलेट में मतदान करते हैं। इसके बाद आपको अगले कुछ घंटे का समय मिलता है ताकि आप वापस जाकर अपनी पहचान अधिकारियों के सामने स्थापित कर सकें या फिर अधिकारी भी खुद मतदाता की वैधता की जांच-पड़ताल कर सकते हैं। प्रोविजनल बैलेट का विकल्प कुछ उन राज्यों में भी उपलब्ध है जहां वोटिंग के लिए आईडी की जरूरत होती है।
स्विंग स्टेट…शरणार्थी और चुनाव प्रभावित करने का आरोप
मतदाता के पहचान की पुष्टि करने के लिए फोटो आईडी कार्ड की बहस के बीच ये भी आरोप लग रहे हैं कि डेमोक्रेटिक पार्टी वोट के लिए शरणार्थियों का इस्तेमाल कर सकती है। डोनाल्ड ट्रंप और रिपब्लिकन पार्टी इस मुद्दे को जोरशोर से उठा रही है। अहम बात ये भी है कि 2024 में अमेरिका में अप्रवासियों को जगह देने की दर 10 वर्षों में सबसे अधिक है। खासकर कुछ स्विंग राज्यों में नागरिकों की संख्या में असामान्य बढ़ोतरी देखी जा रही है।
रिपब्लिकन राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रम्प और उनके समर्थक कह रहे हैं कि बिना फोटो पहचान पत्र के मतदान से डेमोक्रेट्स पार्टी को सात स्विंग राज्यों- एरिजोना, जॉर्जिया, मिशिगन, नवाडा, नॉर्थ कैरोलिना, पेंसिल्वेनिया और विस्कॉन्सिन में फायदा हो सकता है।
अमेरिकी राजनीति में स्विंग स्टेट दरअसल उन्हें कहा जाता है जहाँ का चुनाव परिणाम अप्रत्याशित माना जाता है। जिन राज्यों में ज्यादातर रिपब्लिकन या डेमोक्रेट्स पार्टी को जीत मिलती रही है, उन्हें उस पार्टी का गढ़ माना जाता है। जिन राज्यों में चुनाव परिणाम ज्यादा अनिश्चित होते हैं, उन्हें स्विंग स्टेट कहा जाता है। इन्हें बैटलग्राउंड भी कहा जाता है। इन राज्यों में जिस दल को जीत मिलती है, उसके विजेता बनने की सम्भावना बढ़ जाती है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2020 से लगभग 40 लाख अप्रवासियों ने अमेरिका में नागरिकता प्राप्त की है। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2013-2014 के बाद यह नागरिकों की सर्वाधिक पंजीकरण संख्या है। पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार जो बाइडेन के मौजूदा कार्यकाल में लगभग 33 लाख अप्रवासी अमेरिकी नागरिक बने हैं।
अमेरिकी नागरिकता और आव्रजन सेवाओं के आंकड़ों के अनुसार 31 जुलाई तक नागरिकता प्रमाणपत्र जारी करने का औसत समय 2021 में 11.5 महीने से घटकर 2024 में 4.9 महीने हो गया है। बताया गया ऐसा कथित तौर पर कोविड महामारी के बाद कई आवेदन जमा होने के बाद प्रक्रिया को तेज करने के लिए किया गया। हालांकि इसके अलग राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं। इतनी तेजी से आप्रवासियों का जुड़ना अमेरिका में जाहिर तौर पर वोटिंग पैटर्न को प्रभावित कर सकता है। ज्यादातर सर्वेक्षण में यह जाहिर हुआ है कि अप्रवासियों में डेमोक्रेट्स का दबदबा ज्यादा है। अतः नए नागरिकों की बढ़ोतरी को सीधे तौर पर डेमोक्रेट्स के वोटों की बढ़ोतरी के तौर पर देखा जाता है।