वॉशिंगटन: अमेरिका ने बुधवार को एक दर्जन से अधिक देशों के लगभग 400 संस्थाओं और व्यक्तियों पर नए प्रतिबंध लगाए हैं जिसमें चार भारतीय कंपनियां भी शामिल हैं। बैन का उद्देश्य भारत समेत अन्य देशों के संस्थाओं और व्यक्तियों को टारगेट करना है जिस पर रूस को टेक्नोलॉजी, इलेक्ट्रॉनिक घटकों और पुर्जों की आपूर्ति करने के आरोप लगे हैं।
इन कंपनियों और व्यक्तियों पर बैन लगाकर रूस को जरूरी टेक्नोलॉजी और पुर्जों सप्लाई को प्रभावित कर यूक्रेन के खिलाफ उसके सैन्य अभियान को कमजोर करना का लक्ष्य है।
अमेरिकी विदेश विभाग के एक अधिकारी ने इसे “तीसरे देश की चोरी के खिलाफ अब तक का सबसे ठोस प्रयास” बताया है। हालिया प्रतिबंधों में विशेष रूप से कई भारतीय कंपनियों को सूचीबद्ध किया गया है जिन्होंने कथित तौर पर वैश्विक प्रतिबंधों के बावजूद रूस को विमानन और इलेक्ट्रॉनिक घटकों की आपूर्ति की थी।
ताजा प्रतिबंध पर बोलते हुए अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा है, “हम आज लगभग 400 संस्थाओं और व्यक्तियों पर प्रतिबंध लगा रहे हैं जो रूस के युद्ध को बढ़ाने में मदद कर रहे हैं। इसमें 120 से अधिक व्यक्तियों और कंपनियों पर प्रतिबंध शामिल हैं। इसके अलावा ट्रेजरी विभाग ने 270 से अधिक लोगों और कंपनियों को भी नामित किया है। वाणिज्य विभाग ने 40 नई कंपनियों को अपनी सूची में जोड़ा है।”
इससे पहले भी अमेरिका भारत के कंपनियों पर प्रतिबंध लगा चुका है। नवंबर 2023 में रूसी सेना को कथित तौर पर अमेरिकी मूल के घटकों की आपूर्ति करने के आरोप में Si2 माइक्रोसिस्टम्स पर रोक लगाई गई थी।
इन 4 भारतीय कंपनियों पर लगा है बैन
अमेरिका ने जिन भारतीय कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया है उनमें एसेंड एविएशन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड शामिल हैं। कंपनी पर कथित तौर पर मार्च 2023 से मार्च 2024 तक रूसी कंपनियों को विमान के हिस्सों सहित 700 से अधिक शिपमेंट भेजने का आरोप लगा है।
इस पर विभाग ने कहा है कि शिपमेंट में दो लाख डॉलर (लगभग 1.7 करोड़ रुपए) से अधिक कीमत के सीएचपीएल आइटम को भेजा गया था जिसमें अमेरिकी मूल के विमान घटक भी शामिल थे। विभाग ने कंपनी के निर्देशक का भी नाम बताया है।
यही नहीं भारतीय फर्म मास्क ट्रांस पर अमेरिकी-नामित इकाई और रूस स्थित एस7 इंजीनियरिंग एलएलसी पर भी विमानन घटकों की आपूर्ति के आरोप लगे हैं। कंपनी पर जून 2023 से अप्रैल 2024 तक तीन लाख डॉलर (लगभग 2.55 करोड़ रुपए) से भी अधिक कीमत के सीएचपीएल सप्लाई के आरोप लगे हैं जिसमें विमान के घटकें भी शामिल हैं।
इसके अलावा अमेरिकी विभाग ने भारती कंपनी टीएसएमडी ग्लोबल पर रूसी कंपनियों को इंटीग्रेटेड सर्किट, सीपीयू और अन्य सामान भेजने का आरोप लगाया है। कंपनी पर 430 हजार डॉलर (लगभग 365.5 लाख रुपए) के इलेक्ट्रॉनिक घटकों की आपूर्ति करने के आरोप हैं जिनमें से कुछ अमेरिकी प्रतिबंधों के तहत भी हैं।
फ़ुट्रेवो नाम की चौथी भारतीय कंपनी पर कथित तौर पर ड्रोन निर्माण में शामिल रूसी संस्थाओं को विशेष रूप से रूसी सेना के लिए 1.4 मिलियन डॉलर (लगभग 11.9 करोड़ रुपए) से अधिक मूल्य के इलेक्ट्रॉनिक हिस्से प्रदान करने के आरोप लगे हैं। इस आरोप में फ़ुट्रेवो पर बैन लगाया गया है।
भारत समेत चीन, तुर्की और यूएई को किया गया टारगेट
अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा कि इस प्रतिबंध के जरिए भारत, चीन, तुर्की और यूएई सहित कई तीसरे देशों की कंपनियों को टारगेट किया गया है ताकि जरूरी टेक्नोलॉजी तक रूस की पहुंच को सीमित किया जा सके।
इस बैन में उच्च प्राथमिकता सूची (सीएचपीएल) से दोहरे उपयोग वाली वस्तुओं को टारगेट किया गया जिसमें माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स और सीएनसी जैसे उपकरण भी शामिल हैं।
विभाग का कहना है कि रूस की रक्षा क्षेत्र के लिए यह जरूरी टेक्नोलॉजी काफी महत्वपूर्ण हैं जिसका इस्तेमाल कर वह यूक्रेन पर अपना सैन्य हमला और तेज कर सकता है। इस संबंध में हाल में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने भारतीय कंपनियों को प्रतिबंधों के उल्लंघन के संभावित “परिणामों” के बारे में चेतावनी दी थी।