काबुल: अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने एक नए कानून लागू करने का ऐलान किया है जिसमें मीडिया पर सभी सजीव चीजों को पब्लिश करने पर बैन लगाया जाएगा।
सोमवार को Ministry for the Propagation of Virtue and the Prevention of Vice (PVPV) के प्रवक्ता सैफुल इस्लाम खैबर ने इसकी जानकारी दी है। प्रवक्ता ने कहा है कि इस नए कानून को देश में धीरे-धीरे लागू किया जाएगा और इसे लागू करने के लिए किसी किस्म का बल का प्रयोग नहीं किया जाएगा।
खैबर ने यह भी कहा है कि कानून को लेकर लोगों को समझाया जाएगा कि ऐसे तस्वीरें प्रकाशित करना इस्लामी कानून के खिलाफ है।
प्रवक्ता सैफुल इस्लाम खैबर ने कहा है कि कानून को लेकर किसी के साथ जबरदस्ती नहीं की जाएगी और इसे केवल एक सलाह के तौर पर पेश किया जाएगा। अफगानिस्तान के कंधार, हेलमंद और तखर जैसे कुछ प्रांतों में इसे लागू करने पर काम शुरू किया गया है।
हालांकि पूरे देश में इसे अभी शुरू करना बाकी है। मामले में कई पत्रकारों ने कहा है कि सरकार ने उन्हें औपचारिक रूप से अभी तक फोटो या फिर वीडियो लेने के लिए मना नहीं किया है।
बता दें कि अफगानिस्तान को छोड़कर किसी भी मुस्लिम बहुल देश (ईरान में भी) में इस तरह के कानून नहीं हैं जहां पर सजीव चीजों के फोटो या वीडियो प्रकाशन पर बैन लगाया गया हो।
ताबिलान के नए कानून में क्या कहा गया है
नए कानून में मीडिया संस्थानों के लिए कुछ और नए नियम भी शामिल किए गए हैं। इसमें उन्हें इस्लाम का मजाक नहीं उड़ाने या फिर अपमान करने से बचने और इस्लामी कानून के अनुरूप कंटेंट को पब्लिश करने की सलाह दी गई है।
सरकार ने पत्रकारों को यह सलाह दी है कि वे नए नियमों की आदत डालने के लिए दूर से तस्वीरें लेने और घटनाओं को कम फिल्माने का अभ्यास करें। तालिबान सरकार का यह निर्देश साल 1996 और 2001 के बीच पिछले तालिबान शासन की याद दिलाते हैं, जब टीवी और सजीव चीजों की छवियों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया था।
तालिबान सरकार से मीडिया उद्योग को नुकसान
साल 2021 के बाद से अफगानिस्तान में तालिबान के कंट्रोल से मीडिया उद्योग को नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। तालिबान के शासन में मीडिया कर्मियों की संख्या में गिरावट आई है जो 8400 से घटकर 5100 हो गई है।
इस संख्या में 560 महिला पत्रकार भी शामिल हैं जिन्हें तालिबान द्वारा मास्क पहनकर खबरों की रिपोर्टिंग करने को कहा गया है। यही नहीं अफगानिस्तान के हेलमंद प्रांत में टीवी और रेडियो में महिलाओं की आवाज पर भी बैन है।
यह सेंसरशिप केवल मीडिया में ही नहीं बल्कि व्यवसायों में भी देखने को मिला है। तालिबान ने व्यवसाय के विज्ञापनों में से महिलाओं के चेहरो को हटाने, पुतले के सिर को ढकने और रेस्तरां के मेनू में से मछली की आंख को धुंधला करने का भी आदेश दिया गया है।
रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स के प्रेस फ्रीडम रैकिंग में अफगानिस्तान 180 देशों की लिस्ट में 122वें स्थान से 178 पर चला गया है। यह गिरावट यह दर्शाती है कि तालिबान के शासन में अफगानिस्तान की प्रेस की स्वतंत्रता प्रभावित हुई है।