दोहाः पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच बीते एक सप्ताह से जारी हिंसक झड़पों के बीच शनिवार देर रात कतर और तुर्की की मध्यस्थता से दोनों देशों ने तत्काल संघर्ष विराम (ceasefire) पर सहमति जताई है। यह घोषणा कतर के विदेश मंत्रालय ने रविवार को की।
मंत्रालय के बयान के अनुसार, “दोनों पक्षों ने स्थायी शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए तंत्र विकसित करने तथा आगामी दिनों में फॉलो-अप वार्ता जारी रखने पर भी सहमति दी है।”
मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, “इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच वार्ता का एक नया दौर दोहा में आयोजित किया गया, जिसकी मध्यस्थता कतर और तुर्की गणराज्य ने की। वार्ता के दौरान दोनों देशों ने तत्काल संघर्षविराम और स्थायी शांति व स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक तंत्र स्थापित करने पर सहमति जताई। दोनों पक्षों ने आने वाले दिनों में फॉलो-अप बैठकें आयोजित करने का भी निर्णय लिया, ताकि संघर्षविराम की स्थिरता को बनाए रखा जा सके और इसके क्रियान्वयन की विश्वसनीय निगरानी हो सके। यह कदम दोनों देशों में सुरक्षा और स्थिरता को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण योगदान होगा।”
कतर के विदेश मंत्रालय ने उम्मीद जताई कि यह महत्वपूर्ण कदम दोनों मित्रवत देशों के बीच सीमा पर जारी तनाव को समाप्त करने में मदद करेगा और क्षेत्र में स्थायी शांति की मजबूत नींव रखेगा।
इससे पहले, कतर की मध्यस्थता से हुआ 48 घंटे का संघर्ष विराम शुक्रवार शाम को समाप्त हो गया था, जिसके कुछ ही घंटों बाद दोनों देशों के बीच फिर से तनाव बढ़ गया। पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के पूर्वी पक्तिका प्रांत में तीन जगहों हवाई हमले किए जिनमें तीन अफगान क्रिकेटरों सहित कम से कम 17 लोग मारे गए हैं और कई घायल हुए हैं।
अफगान अधिकारियों ने बताया कि मरने वाले क्रिकेटरों में कबीरा आघा, सिबघतुल्लाह और हारून भी शामिल थे। वे वहां एक घरेलू टूर्नामेंट में हिस्सा लेने पहुंचे थे। अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने खिलाड़ियों की मौत की पुष्टि करते हुए पाकिस्तान के खिलाफ होने वाली आगामी क्रिकेट शृंखला का बहिष्कार कर दिया।
स्थानीय अस्पतालों के अनुसार, इन हमलों में 12 लोग घायल हुए, जिनमें दो बच्चे भी थे। पक्तिका प्रांत में हजारों लोगों ने रविवार को खुले मैदान में जनाजे की नमाज अदा की। इस दौरान तालिबान प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने पाकिस्तान के हमले को अफगान संप्रभुता का उल्लंघन बताया।
हालांकि पाकिस्तान ने दावा किया कि उसने तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के पाकिस्तानी गुट और हाफिज गुल बहादुर समूह के ठिकानों को निशाना बनाने के लिए हवाई हमले किए थे। यह कार्रवाई शुक्रवार को मीर अली (खैबर पख्तूनख्वा) में सुरक्षा बलों पर हुए आत्मघाती हमले के जवाब में की गई, जिसमें कई सैनिक मारे गए थे। पाकिस्तान ने कहा कि इन हमलों में केवल सशस्त्र उग्रवादी मारे गए, जबकि कोई नागरिक हताहत नहीं हुआ।
सीजफायर पर बनी सहमति
पाकिस्तान के हवाई हमले के बाद अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी और ईरानी समकक्ष सईद अब्बास अराघची ने शनिवार को बढ़ते तनाव को लेकर टेलीफोन पर चर्चा की। दोनों मंत्रियों ने अराघची के साथ क्षेत्रीय घटनाक्रमों और द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा की और कथित तौर पर संयम, संघर्षों को सुलझाने के लिए बातचीत, हेलमंद नदी पर सहयोग, सीमा सुरक्षा और क्षेत्रीय शांति एवं स्थिरता को बढ़ावा देने पर जोर दिया।

इसके बाद तालिबान शासन के रक्षा मंत्री मौलवी मुहम्मद याकूब मुजाहिद के नेतृत्व में इस्लामिक अमीरात का एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल पाकिस्तानी पक्ष के साथ बातचीत के लिए दोहा पहुंचा। दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों ने दोहा में हुई बातचीत का नेतृत्व किया, जिसमें सीमा पार आतंकवाद, बढ़ती हिंसा और नागरिक हताहतों के मुद्दों पर चर्चा हुई।
पाकिस्तान की ओर से वार्ता में इस बात पर जोर दिया गया कि “अफगानिस्तान से होने वाले सीमा पार आतंकवादी हमलों को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने” की जरूरत है। वहीं, अफगान ‘प्रधानमंत्री’ मोहम्मद हसन अखुंद ने मलेशियाई समकक्ष से बातचीत में कहा कि अफगानिस्तान युद्ध नहीं चाहता, लेकिन पाकिस्तान ने सीमा का उल्लंघन कर हमला किया।
वहीं, पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने काकुल स्थित पाकिस्तान मिलिट्री अकादमी में कहा था कि “अफगानिस्तान को स्थायी हिंसा के बजाय पारस्परिक सुरक्षा और प्रगति का रास्ता चुनना चाहिए। तालिबान को अपने उन प्रॉक्सी गुटों पर नियंत्रण रखना होगा जो अफगानिस्तान में सुरक्षित ठिकाने बनाए हुए हैं।”
रिपोर्टों के अनुसार, पाकिस्तान की तरफ से किए गए हमलों में लगभग 200 अफगानियों की मौत हो गई, जबकि लगभग 60 पाकिस्तानी सैनिक भी मारे गए।