बेंगलुरु: कर्नाटक कांग्रेस में क्या सबकुछ ठीक चल रहा है? लोकसभा चुनाव के खत्म होने के कुछ दिनों बाद ही यह बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। मुख्यमंत्री अभी सिद्धारमैया हैं लेकिन सूत्रों के हवाले से ऐसी खबरें हैं कि डिप्टी सीएम और कर्नाटक कांग्रेस प्रमुख डीके शिवकुमार की नजर अब इस पद पर है। सिद्धारमैया और शिवकुमार के बीच खींचतान नई नहीं है लेकिन अब तक यह सबकुछ पर्दे के पीछे था। बातें बहुत खुलकर सामने नहीं आती थीं। हालांकि, अब इसके बाहर आने का खतरा बढ़ता नजर आ रहा है।
शिवकुमार का इंतजार और उनके समर्थकों की मांग
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार शिवकुमार अभी इस उम्मीद में हैं कि सिद्धारमैया पांच साल के निर्धारित कार्यकाल के बीच में अपनी कुर्सी छोड़ेंगे। कर्नाटक में अभी कांग्रेस की सरकार बने करीब एक साल ही हुआ है। बताया जाता है कि पिछले साल विधानसभा चुनाव के बाद सिद्धारमैया और शिवकुमार के बीच ढाई-ढाई साल का फॉर्मूला तय हुआ था लेकिन शिवकुमार के समर्थकों की बेचैनी बढ़ने लगी है। ऐसे में अगले कुछ महीने कर्नाटक कांग्रेस के लिए कठिन होने वाले हैं। वैसे ढाई-ढाई साल वाले फॉर्मूला के बारे में भी पुष्ट तौर पर कभी कुछ भी सामने नहीं आया है।
बहरहाल, सिद्धारमैया और शिवकुमार सार्वजनिक तौर पर इस आपसी ‘खींचतान’ को लेकर कुछ भी कहने से बचते रहे हैं लेकिन दोनों ओर के समर्थक इसे हवा देते रहे हैं। पिछले साल विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की बड़ी जीत के बाद यह साफ तौर पर नजर भी आया था। सीएम पद के लिए शिवकुमार के नाम की चर्चा जोरों पर थी। हालांकि, पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने तब सिद्धारमैया को सीएम बनाने और शिवकुमार को संतुष्ट करने के लिए डीप्टी सीएम पद को हरी झंडी दी। अब शिवकुमार के करीबी चाहते हैं कि उन्हें डीप्टी सीएम के पद से आगे बढ़ाया जाए।
शिवकुमार ने इशारों में जता दी अपनी नाराजगी!
कर्नाटक के डीप्टी सीएम और डीके शिवकुमार भले ही खुलेआम कुछ भी कहने से बचते रहे हैं लेकिन उनकी नाराजगी का एक नमूना गुरुवार को नजर आ गया। शिवकुमार ने कुछ मंत्रियों की ओर से तीन-तीन उपमुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग पर तंज कसते हुए कहा था कि मीडिया के सामने इस पर चर्चा करने से उन लोगों को कोई ‘समाधान’ नहीं मिलने वाला है।
दरअसल, कर्नाटक में कुछ मंत्रियों ने हाल में वीरशैव-लिंगायत (Veerashaiva-Lingayat), एससी/एसटी और अल्पसंख्यक समुदायों से आने वाले नेताओं को भी उप मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग रखी है। जबकि वर्तमान में वोक्कालिगा समुदाय से आने वाले शिवकुमार ही एकमात्र उप मुख्यमंत्री हैं।
शिवकुमार ने पत्रकारों कहा, ‘जो लोग अखबारों से बात कर रहे हैं, वे जाकर आलाकमान से बात करें। उन्हें वहां जाने दीजिए और वे जो भी हल चाहते हैं उसे हासिल करें। मीडिया के सामने चर्चा करने की जरूरत नहीं है। मैं भी मीडिया के सामने कोई चर्चा नहीं करूंगा।’
सिद्धारमैया ने मंत्रियों को दी है हिदायत
इस बीच इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि अपने मंत्रियों की ओर से तीन-तीन डिप्टी सीएम की मांग वाली बातों पर सिद्धारमैया ने उनसे बात की है। सिद्धारमैया ने अपने मंत्रियों को ऐसे बयान सार्वजनिक तौर पर नहीं देने को कहा है।
बताया जाता है कि सिद्धारमैया ने मंत्री केएन राजन्ना से फोन पर बात की है, जो इस तरह की मांग करने वालों में सबसे आगे हैं। सिद्धारमैया ने उनसे इस मुद्दे पर कोई और सार्वजनिक बयान देने को लेकर आगाह किया। उन्होंने मंत्री से कहा कि ऐसे सार्वजनिक बयानबाजी से सरकार और पार्टी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
वहीं, कांग्रेस के भीतर एक वर्ग की राय ये भी है कि तीन और डिप्टी सीएम की मांग करने वाले मंत्रियों का बयान दरअसल सिद्धारमैया के खेमे की ओर से शिवकुमार को नियंत्रण में रखने की योजना का हिस्सा था।
बता दें कि सहकारिता मंत्री राजन्ना, आवास मंत्री बी जेड जमीर अहमद खान, लोक निर्माण मंत्री सतीश जारकीहोली सहित कुछ अन्य मंत्रियों ने भी तीन डिप्टी सीएम की मांग वाले बयान मीडिया में दिए हैं। यह सभी सिद्धारमैया के करीबी माने जाते हैं।
…तो मयान से निकलने लगी हैं तलवारें
सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के समर्थक अब खुलकर आमने-सामने आते नजर आ रहे हैं। इसका एक उदाहरण सिद्धारमैया ने मंत्री केएन राजन्ना ने खुलकर दे दिया। दरअसल, राजन्ना ने शिवकुमार के बयान के तत्काल बाद प्रतिक्रिया देते हुए कहा था, ‘हम अपनी मांग (तीन और डीप्टी सीए) के बारे में आलाकमान से बात करेंगे। साथ ही दूसरी जगहों पर भी…इसमें गलत क्या है? ऐसा कुछ भी नहीं है कि हमें डी के शिवकुमार जो कहते हैं उसका पालन करना पड़े। हमारा अपना मन है. मैं लॉ ग्रेजुएट हूं। मैं अपने मन के अनुसार काम करूंगा या बोलूंगा। उन्हें (शिवकुमार) कहने दें कि हम प्रचार के लिए ऐसा कर रहे हैं, मुझे कोई दिक्कत नहीं है…जब आपने मुझसे पूछा तो मैंने अपनी भावनाएं आपके (मीडिया) साथ साझा की हैं। वह जो चाहें समझें – सही हो या गलत, मुझे कोई आपत्ति नहीं है।’
राजन्ना ने आगे कहा कि सीएम पद अब खाली नहीं है, जबकि डीप्टी सीएम पद खाली हैं इसलिए उन्हें भरने की मांग है और यह फैसला आलाकमान पर छोड़ दिया गया है। राजन्ना ने कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष को बदलने की भी बात कही। उन्होंने कहा कि विधान सभा चुनावों के बाद पार्टी ने तीन चीजों की घोषणा की थी- ‘सिद्धारमैया मुख्यमंत्री होंगे, शिवकुमार अकेले डीप्टी सीएम होंगे, और वह (शिवकुमार) लोक सभा चुनाव तक कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष बने रहेंगे। मैं इस पर पार्टी को तीसरे बिंदु के बारे में याद दिलाना चाहूंगा।’
इस बीच, शिवकुमार के खेमे के नेता भी अपने नेता के समर्थन में खुलकर सामने आने लगे हैं। चन्नागिरी से कांग्रेस विधायक बसवराजू वी शिवगंगा ने बुधवार को पार्टी से शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाने का आग्रह किया था।
वोक्कालिगा संत आए शिवकुमार के समर्थन में
कर्नाटक की सियासत में चल रही चर्चाओं के बीच गुरुवार को एक और दिलचस्प बात हुई। वोक्कालिगा समुदाय से ताल्लुक रखने वाले संत चंद्रशेखर स्वामी ने एक कार्यक्रम में अपील करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को अपनी कुर्सी छोड़नी चाहिए और अब ये जिम्मेदारी शिवकुमार को मिले। अहम बात ये रही कि इस कार्यक्रम में सिद्धारमैया और उप मुख्यमंत्री शिवकुमार भी मौजूद थे।
संत चंद्रशेखर स्वामी ने कहा कि राज्य में हर कोई मुख्यमंत्री बन गया है और सत्ता का सुख सभी ने भोगा है लेकिन डीके शिवकुमार अभी तक मुख्यमंत्री नहीं बन पाए हैं। उन्होंने कहा कि मैं दोबारा सिद्धारमैया से अनुरोध करता हूं कि वे शिवकुमार को मुख्यमंत्री बना दें। शिवकुमार वोक्कालिगा समुदाय से ही आते हैं। कर्नाटक में लिंगायत के बाद वोक्कालिगा समुदाय बेहद अहम माना जाता है। कर्नाटक में कुल आबादी का ये 15 फीसदी हैं।
साल 1947 से अब तक कर्नाटक में (मैसूर स्टेट भी शामिल) कुल 22 मुख्यमंत्री बने हैं। इनमें से कुछ एक बार से ज्यादा बार भी सीएम बने हैं। इन सब में 15 केवल लिंगायत और वोक्कालिगा समुदाय से आते हैं। इसमें भी वोक्कालिगा से 7 और लिंगायत समुदाय से 8 मुख्यमंत्री बने हैं।