दिल्ली: कांग्रेस के नेतृत्व वाले INDIA ब्लॉक ने मंगलवार को एक बड़ा फैसला लेते हुए लोक सभा अध्यक्ष के चुनाव को लेकर अपना उम्मीदवार भी घोषित कर दिया। यह कदम 1952 से चली आ रही संसदीय परंपरा से उलट था। दरअसल, आजादी के बाद से भारत में कभी लोकसभा के स्पीकर के लिए चुनाव नहीं हुआ। इस बार चुनाव होगा। कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल और डीएमके नेता टीआर बालू ने इस संबंध में अपने फैसले की घोषणा करने से कुछ मिनट पहले भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात भी की थी। हालांकि बात नहीं बनी…आखिर सवाल है कि बैठक के दौरान क्या हुआ?
क्यों नहीं बनी लोक सभा अध्यक्ष पद पर सहमति?
हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह ने बताया दोनों नेताओं द्वारा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के उम्मीदवार ओम बिरला को समर्थन देने के लिए राजनाथ सिंह के सामने शर्त रखने के बाद आम सहमति पर बातचीत टूट गई।
राजीव रंजन सिंह ने दावा किया कि वेणुगोपाल और टीआर बालू ने कहा था कि वे एनडीए उम्मीदवार का समर्थन तभी करेंगे जब सरकार उपसभापति का पद विपक्ष को देगी।
उन्होंने दावा किया, ‘स्पीकर पद के बारे में बात करने के लिए केसी वेणुगोपाल और टीआर बालू आए थे। उन्होंने रक्षा मंत्री से बात की। रक्षा मंत्री ने एनडीए की ओर से लोकसभा स्पीकर उम्मीदवार के बारे में जानकारी दी और समर्थन मांगा। वेणुगोपाल ने कहा कि डिप्टी स्पीकर का नाम भी स्वीकार कर लेना चाहिए। इस पर रक्षा मंत्री ने कहा कि जब उस पद का चुनाव आएगा तो हम साथ बैठेंगे और चर्चा करेंगे…लेकिन वे अपनी शर्त पर अड़े रहे।’
राजीव रंजन सिंह ने विपक्ष पर शर्तों और दबाव के आधार पर राजनीति करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, ‘लोकतंत्र में यह काम नहीं करता है।’
पीयूष गोयल ने मीटिंग को लेकर क्या बताया?
दूसरी ओर केंद्रीय मंत्री और भाजपा सांसद पीयूष गोयल ने कहा कि केसी वेणुगोपाल और टीआर बालू शर्तें अभी तय करना चाहते थे। उन्होंने बताया, ‘सुबह (मंगलवार) राजनाथ सिंह मल्लिकार्जुन खड़गे से चर्चा करना चाहते थे। वह व्यस्त थे इसलिए उन्होंने कहा कि केसी वेणुगोपाल आपसे बात करेंगे। लेकिन टीआर बालू और केसी वेणुगोपाल से बात करने के दौरान वही पुरानी मानसिकता कि ‘हम शर्तें तय करेंगे’ फिर से दिखाया गया। उनकी शर्त थी कि वे पहले तय करें कि लोकसभा का उपाध्यक्ष कौन होगा और फिर अध्यक्ष के लिए समर्थन दिया जाएगा।’
पीयूष गोयल ने आगे कहा, ‘अध्यक्ष को सर्वसम्मति से चुनना एक अच्छी परंपरा होती। अध्यक्ष किसी पार्टी या विपक्ष का नहीं होता, वह पूरे सदन का होता है। इसी तरह उपाध्यक्ष भी किसी पार्टी या समूह का नहीं होता, वह पूरे सदन का होता है। इसलिए पूरे सदन की सहमति होनी चाहिए। ऐसी शर्तें कि किसी विशेष पार्टी का कोई विशेष व्यक्ति ही उपाध्यक्ष हो, यह लोकसभा की किसी भी परंपरा में फिट नहीं बैठती है।’
INDIA ब्लॉक के उम्मीदवार के. सुरेश क्या बोले?
INDIA ब्लॉक लोक सभा स्पीकर पद के उम्मीदवार के. सुरेश ने कहा कि कांग्रेस ने सरकार के जवाब के लिए पर्चा दाखिल करने से 10 मिनट पहले तक सुबह 11.50 बजे तक इंतजार किया।
उन्होंने कहा, ‘मैंने अपना नामांकन दाखिल कर दिया है। यह पार्टी का निर्णय है, मेरा नहीं। लोकसभा में एक परंपरा है कि अध्यक्ष सत्ता पक्ष से होगा और उपाध्यक्ष विपक्ष से होगा… उपाध्यक्ष हमारा अधिकार है। लेकिन वे इसे हमें देने के लिए तैयार नहीं हैं। सुबह 11:50 बजे तक हम सरकार की ओर से जवाब का इंतजार कर रहे थे, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया, इसलिए हमने नामांकन दाखिल किया।’