नई दिल्लीः इस सीजन में 1 जून से अब तक भारत में मानसून की बारिश सामान्य से 20% कम हुई है। मौसम विभाग ने यह जानकारी देते हुए चिंता जाहिर की। बारिश खेती के लिए बहुत जरूरी है, कम बारिश का मतलब फसलों को नुकसान हो सकता है।
मौसम विभाग ने कहा कि आमतौर पर मानसून की बारिश 1 जून के आसपास दक्षिण भारत में शुरू होकर 8 जुलाई के अंत तक पूरे देश में फैल जाती है। इस बारिश से किसान धान, कपास, सोयाबीन और गन्ना जैसी फसलें उगा पाते हैं। लेकिन कुछ दक्षिणी राज्यों को छोड़कर लगभग सभी क्षेत्रों में बारिश की कमी देखी गई और कुछ उत्तर-पश्चिमी राज्यों में लू चल रही है।
मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के आंकड़ों के अनुसार, सोयाबीन, कपास, गन्ना और दालों की खेती करने वाले मध्य भारत में बारिश की कमी 29% तक बढ़ गई है, जबकि दक्षिणी क्षेत्र में, जहां धान की खेती होती है, को मानसून के जल्दी आने के कारण सामान्य से 17% अधिक बारिश हुई है।
आईएमडी ने बताया कि उत्तर-पूर्व क्षेत्र में अब तक सामान्य से 20% कम बारिश हुई है जबकि उत्तर-पश्चिम क्षेत्र में लगभग 68% कम बारिश हुई है। लगभग 3,50,000 करोड़ की अर्थव्यवस्था के लिए मानसून जीवनरेखा की तरह है। मानसून की बारिश से ही देश को लगभग 70% पानी मिलता है, जिससे खेतों में सिंचाई हो पाती है और तालाब और कुएं भरते रहते हैं।
भारत दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा चावल, गेहूं और चीनी का उत्पादक है। यहां करीब आधी खेती सिंचाई के बिना मानसून पर निर्भर करती है, जो आमतौर पर सितंबर तक चलता है। मौसम विभाग के एक अधिकारी ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि “इस बार मानसून देरी से आया और कम बारिश हो रही है। लेकिन उम्मीद है कि बारिश जल्द तेज हो जाएगी और पानी की कमी पूरी हो जाएगी।”
भारत में मानसून इस बार भी रहेगा सामान्य
निजी मौसम पूर्वानुमान एजेंसी स्काईमेट ने पिछले दिनों इस सीजन में मानसून के सामान्य रहने की भविष्यवाणी की थी। एजेंसी ने कहा था कि जून से सितंबर तक चार महीने के लिए मानसूनी बारिश लंबी अवधि के औसत 868.6 मिमी का 102 प्रतिशत होने की उम्मीद है। स्काईमेट ने इस बात की उम्मीद जताई थी कि देश के दक्षिणी, पश्चिमी और उत्तर-पश्चिमी हिस्सों में “पर्याप्त अच्छी बारिश” होगी। देश का लगभग आधा कृषि क्षेत्र असिंचित है और फसल उगाने के लिए किसानों को बारिश पर निर्भर रहना पड़ता है।
मौसम विभाग ने सोमवार को अपने पूर्वानुमान में बताया था उत्तर भारत के कई हिस्सों में भीषण गर्मी जारी रहेगी, लेकिन उसके बाद उत्तर-पश्चिम भारत की ओर बढ़ रहे पश्चिमी विक्षोभ (वेस्टर्न डिस्टर्बन्स) के प्रभाव से इसमें धीरे-धीरे कमी आएगी। आईएमडी के आंकड़ों के मुताबिक, भारत के उत्तरी राज्यों में अधिकतम तापमान 42 से 47.6 डिग्री सेल्सियस (107.6 से 117.7 डिग्री फारेनहाइट) के बीच रह रहा है, जो सामान्य से लगभग 4-9 डिग्री सेल्सियस अधिक है।