ढाका: भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में एक ही आईएमईआई से कई फोन के जुड़े होने की बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। हाल में बांग्लादेश के लोकप्रिय मोबाइल फोन ऑपरेटर रोबी के चीफ कॉरपोरेट और नियामक अधिकारी शाहिद आलम ने आईएमईआई नंबर को लेकर एक चौंकाने वाला बयान दिया है।
शाहिद आलम ने कहा है कि बांग्लादेश में एक ही आईएमईआई नंबर पर डेढ़ लाख से ज्यादा फोन इस्तेमाल हो रहे हैं। हालांकि यह आंकड़ा इतना नहीं है लेकिन फिर भी एक ही आईएमईआई नंबर से कई फोन के यूज होने की संख्या लाखों में हैं।
नकली है ये फोन-शाहिद आलम
इन फोन को लेकर शाहिद आलम का दावा है कि ये सभी फोन नकली हैं। कई फोन में एक ही आईएमईआई नंबर का इस्तेमाल होना कोई नहीं बात नहीं है और इस तरह के मामले पहले भारत में भी देखे गए थे।
एक समय था जब भारत के प्रमुख शहर मुंबई और कोलकाता में भारी मात्रा में सस्ती चीनी फोन की आपूर्ति हुआ करती थी और उन में दो से अधिक सिम कार्ड की सुविधा होती थी।
इन फोन में भी दो तरह के आईएमईआई नंबर होते थे जो कभी-कभी काम करते करते बंद हो जाते थे और फिर दुकानदारों द्वारा किसी सॉफ़्टवेयर के जरिए नया आईएमईआई नंबर चढ़ाया जाता था।
हालांकि अब भारत में भी आईएमईआई नंबर को लेकर काफी सख्ती बरती गई है और फर्जी आईएमईआई नंबर वाले फोन को यहां पर इस्तेमाल करना पहले के मुकाबले अब आसान नहीं है।
क्या है पूरा मामला
एक रिपोर्ट के अनुसार, ढाका मेट्रोपोलिटन पुलिस ने कुछ दिन पहले कुछ फैक्टरियों पर छापा मारा था जहां से उन्हें भारी मात्रा में नकली हैंडसेट मिले थे। फैक्टरी में कुछ चर्चित ब्रांड जैसे नोकिया और सैमसंग के फोन की नकल की जा रही थी।
दावा है कि विदेशों से फोन को पार्ट्स को यहां लाए जाते हैं और फिर उन्हें असेंबल कर फोन को तैयार किया जाता है। पुलिस के छापे से बांग्लादेश में नकली हैंडसेट के बढ़ते जाल का पता चलता है जिससे शाहिद आलम के दावे को बल मिलता है।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
आईटी एक्सपर्ट का मानना है कि मोबाइल फोन में आमतौर पर दो तरह से क्लोनिंग की जा सकती है, पहली सिम क्लोनिंग और दूसरी आईएमईआई क्लोनिंग। जानकारों का कहना है कि अज्ञात या गुमनाम ब्रांड्स के हैंडसेट को विदेश से लाकर आईएमईआई क्लोनिंग की जाती है और नए फोन तैयार किए जाते हैं।
उनके अनुसार, एक ही आईएमईआई नंबर से कई फोन को जोड़ा जाता है और फिर कई फोन तैयार किया जाता है। उनका यह भी कहना है कि मोबाइल पार्ट्स किसी दूसरे देश से खरीदने पर आपूर्तिकर्ता द्वारा आईएमईआई नंबर की भी सुविधा दी जाती है।
कौन करते हैं ये फोन इस्तेमाल
ढाका मेट्रोपोलिटन पुलिस के अतिरिक्त उपायुक्त मोहम्मद जुनैद आलम का कहना है कि कई मामलों में अपराधी इस तरह के फोन को इस्तेमाल करते हैं। अभी बनने वाले हर फोन में आईएमईआई नंबर होता है जिससे फोन कहां बना है और इसे फिलहाल कहां पर इस्तेमाल किया जा रहा है, इसकी जानकारी मिलती है।
जब अपराधियों को पकड़ना होता है तो आईएमईआई नंबर के जरिए उनके लोकेशन तक पहुंचा जाता है। ऐसे में जब एक ही आईएमईआई नंबर पर कई फोन तैयार किए जाएंगे तो अपराधियों की पहचान करना मुश्किल हो जाता है, यही कारण है कि इस तरह के फोन अपराध करने वाले लोग ज्यादा इस्तेमाल करते हैं।
यह भी एक प्रमुख कारण हैं
ऐसा नहीं है कि केवल अपराधियों के लिए इस तरह के फोन को बनाया जाता है। एक ही आईएमईआई नंबर वाले कई फोन बनाने के पीछे फोन के तैयार होने में आने वाला खर्च भी है। दुनिया में तैयार होने वाली हर फोन को जीएसएम एसोसिएशन आईएमईआई नंबर आवंटित करता है।
हर आईएमईआई नंबर के लिए एसोसिएशन रॉयल्टी फीस भी लेता है जिससे फोन बनाने की लागत बहुत हो जाती है। खर्चे को कम करने के लिए फोन बनाने वाली कंपनियां एक ही आईएमईआई नंबर पर कई फोन तैयार करती है जिससे उनका बहुत बचत हो जाता है।
बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है इसका असर
एक रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश में स्थित हैंडसेट निर्माताओं का कहना है कि देश के 17 अन्य कंपनियों ने स्थानीय स्तर पर हैंडसेट असेंबल करने के लिए दो हजार करोड़ बांग्लादेशी टाका का निवेश किया है।
हैंडसेट निर्माताओं का दावा है कि देश के बाजार में 16 हजार करोड़ बांग्लादेशी टाका के हैंडसेट मौजूद है जो कुल मोबाइल बाजार का 40 फीसदी हिस्सा है। इन नकली फोन के कारण बांग्लादेश सरकार को सलाना एक हजार करोड़ बांग्लादेशी टाका का नुकसान हो रहा है।