मुंबई: मुंबई के वनराई पुलिस को 2024 लोकसभा चुनाव के मतगणना के दिन इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) के साथ संभावित छेड़छाड़ की शिकायत मिली है। पुलिस ने बताया कि मुंबई उत्तर पश्चिम लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे अन्य उम्मीदवारों की शिकायतों के बाद चुनाव आयोग द्वारा 14 जून को एक प्राथमिकी दर्ज की गई है।
जांच में पुलिस को पता चला है कि शिवसेना उम्मीदवार रवींद्र वायकर के रिश्तेदार मंगेश पांडिलकर ने ईवीएम के साथ कथित रूप से छेड़छाड़ की है। वोटों के गिनती के दिन मंगेश पांडिलकर पर एक फोन इस्तेमाल कर ईवीएम को अनलॉक करने का आरोप लगा है।
बता दें कि मतगणना के दिन रवींद्र वायकर पहले उद्धव ठाकरे गुट वाले शिवसेना के अमोल गजानन कीर्तिकर से पीछे चल रहे थे, लेकिन अंत में उन्होंने मामूली अंतर से जीत हासिल की थी। मामले के सामने आने के बाद चुनाव के दौरान ईवीएम के इस्तेमाल को लेकर फिर से सवाल उठने लगे हैं।
क्या है पूरा मामला
लोकसभा चुनाव के खत्म होने के 10 दिन के भीतर इस सिलसिले में पुलिस को कई शिकायतें मिल रही थीं, ऐसे में 14 जून को इस पर एक एफआईआर दर्ज की गई है।
शिकायत के अनुसार, चार जून को नेस्को केंद्र में जब मतगणना हो रही थी उस समय मंगेश पांडिलकर ने कथित तौर पर एक फोन को इस्तेमाल किया था जिससे ईवीएम को अनलॉक करने के लिए ओटीपी जेनरेट करने में यूज किया गया था।
इस सिलसिले में वनराई पुलिस ने सीआरपीसी 41ए के तहत मंगेश पांडिलकर और चुनाव आयोग के एनकोर ऑपरेटर दिनेश गुरव को नोटिस भेजा है। यही नहीं ओटीपी जेनरेट करने के लिए जिस फोन का यूज किया जा रहा था उसे पुलिस ने कब्जे में ले लिया है और उसे फिंगरप्रिंट विश्लेषण के लिए फोरेंसिक टीम के पास भेजा है।
वरिष्ठ निरीक्षक रामपियारे राजभर ने कहा है कि मामले की जांच की जा रही है और अगर आरोपी जांच में सहयोग नहीं करेंगे तो उनकी गिरफ्तारी का वारंट भी जारी किया जाएगा।
मंगेश पांडिलकर पर क्या आरोप लगे हैं
इंडिया टुडे की एक खबर के अनुसार, मंगेश पांडिलकर पर यह आरोप है कि उसने मतगणना केंद्र पर ईवीएम को अनलॉक करने के लिए एक फोन का इस्तेमाल किया था, जिससे ओटीपी जेनरेट किया गया था।
पांडिलकर को कथित तौर पर फोन देने के आरोप पर चुनाव आयोग के एक कर्मचारी के खिलाफ भी पुलिस ने मामला दर्ज किया है। नियम के अनुसार, यह फोन केवल चुनाव अधिकारी ही इस्तेमाल कर सकता है लेकिन पांडिलकर पर यह आरोप लगे हैं कि उसमें वोटों की गिनती के दिन इस मोबाइल को यूज किया था।
खबर में यह भी दावा किया गया है कि पांडिलकर के पास यह फोन सुबह से शाम के 4:30 बजे तक था और इस दौरान इससे कुछ कॉल भी किए गए हैं। पांडिलकर ने इससे कॉल करने की बात को स्वीकार भी किया है।
मामले की आगे जांच के लिए पुलिस सीसीटीवी फुटेज का भी सहारा ले रही है और कॉल रिकॉर्ड भी चेक किया जा रहा है। इसके लिए तीन टीमों का गठन भी किया गया है।
ईवीएम सुरक्षा पर छिड़ा है बहस
ईवीएम सुरक्षा को लेकर हाल में तकनीकी दिग्गज एलन मस्क ने एक एक्स यूजर के पोस्ट पर टिप्पणी की है। उनकी टिप्पणी के बाद ईवीएम की सुरक्षा एक विवादास्पद मुद्दा बन गया है।
मस्क ने यूजर के पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि ईवीएम के इस्तेमाल को बंद कर देना चाहिए क्योंकि इसे इंसान या फिर एआई के जरिए हैक किया जा सकता है।
एलन ने कहा, “इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों को खत्म कर देना चाहिए। इसे इंसानों या एआई द्वारा हैक किए जाने का खतरा है, हालांकि ये खतरा कम है, फिर भी बहुत ज्यादा है।”
मस्क ने यह टिप्पणी अमेरिकी राजनेता रॉबर्ट एफ कैनेडी जूनियर के उस बयान पर दिया है जिसमें वे चुनाव की निष्पक्षता के लिए पेपर ट्रेल के महत्व पर जोर देने की बात कहे थे। कैनेडी ने पारदर्शी और हैक-मुक्त चुनाव सुनिश्चित करने के लिए बैलेट पेपर पर चुनाव कराने की बात कही है।
मस्क के टिप्पणी पर भाजपा नेता ने दी है प्रतिक्रिया
भाजपा नेता राजीव चंद्रशेखर ने मस्क के दावों का खंडन किया है। उन्होंने कहा है कि भारतीय ईवीएम को कस्टम-डिजाइन किया जाता है जो बिना किसी नेटवर्क कनेक्टिविटी के चलता है और जिसके साथ छोड़छाड़ करना संभव नहीं है।
चंद्रशेखर ने कहा है कि भारतीय ईवीएम गैर-रिप्रोग्रामेबल नियंत्रकों के साथ फैक्ट्री-प्रोग्राम्ड है और इस पर पूरी जानकारी के लिए वे मस्क को एक ट्यूटोरियल भी देने को तैयार हैं। मस्क ने चंद्रशेखर को जवाब देते हुए कहा है कि “कुछ भी हैक किया जा सकता है।”
कई और विपक्षी नेताओं ने भी की है टिप्पणियां
एलन मस्क की टिप्पणी के अलावा राहुल गांधी और अखिलेश यादव सहित कई और भारतीय राजनेताओं ने भी ईवीएम की सुरक्षा और पारदर्शिता को लेकर चिंता जताई है।
राहुल ने कहा है कि “भारत में ईवीएम एक ‘ब्लैक बॉक्स’है, और किसी को भी उनकी जांच करने की अनुमति नहीं है। हमारी चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता को लेकर गंभीर चिंताएं जताई जा रही हैं। जब संस्थाओं में जवाबदेही की कमी होती है, तो लोकतंत्र एक दिखावा बन जाता है और धोखाधड़ी की संभावना बढ़ जाती है।”
अखिलेश यादव ने भी लिखा है, “टेक्नॉलजी समस्याओं को दूर करने के लिए होती है, अगर वही मुश्किलों की वजह बन जाए, तो उसका इस्तेमाल बंद कर देना चाहिए। आज जब विश्व के कई चुनावों में EVM को लेकर गड़बड़ी की आशंका जाहिर की जा रही है और दुनिया के जाने-माने टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट्स ईवीएम में हेराफेरी के खतरे की ओर खुलेआम लिख रहे हैं, तो फिर ईवीएम के इस्तेमाल की ज़िद के पीछे की वजह क्या है, ये बात भाजपाई साफ़ करें। आगामी सभी चुनाव बैलेट पेपर (मतपत्र) से कराने की अपनी मांग को हम फिर दोहराते हैं।”
हालांकि चुनाव आयोग का कहना है कि ईवीएम पूरी तरह से सुरक्षित हैं और उन्हें हैक नहीं किया जा सकता है।