नई दिल्ली: टेलीकॉम सेक्टर की रेगुलेटर ट्राई (TRAI) ने शुक्रवार को मीडिया में चल रही उन खबरों को खंडन किया है जिसमें यह दावा किया जा रहा था कि आने वाले दिनों में ट्राई मोबाइल नंबर इस्तेमाल करने वाले ग्राहकों से एक फीस वसूल सकती है।
दावे के अनुसार, यह फीस उनके मोबाइल नबंर के इस्तेमाल को लेकर हो सकती है। फिलहाल ग्राहकों अपने फोन नंबर पर कॉल और इंटरनेट की सुविधा के लिए उसे रिचार्ज करवाना पड़ता है जिसके बाद वे इस सुविधा को यूज करते है।
ऐसे में दावा यह किया जा रहा था कि जिस तरीके से आप कॉल और इंटरनेट के लिए रिचार्ज करते हैं, ऐसे ही आपको अपने मोबाइल नंबर के इस्तेमाल के लिए एक फीस देनी पड़ सकती है। इसका मतलब यह हुआ कि लोगों को मोबाइल रिचार्ज के साथ उन्हें उनके मोबाइल नंबरों के लिए भी एक शुल्क देना पड़ सकता है।
ट्राई ने ट्वीट में क्या कहा
कई मीडिया संस्थानों के दावे पर ट्राई ने सफाई दी है। इस खबर को गलत बताते हुए ट्राई ने एक ट्वीट किया है और कहा है कि फिलहाल उसका ऐसा कोई विचार नहीं है। ट्वीट में ट्राई ने उन मीडिया रिपोर्ट के दावों को “पूरी तरह से झूठा और निराधार” बताया है और कहा है कि ऐसी खबरें लोगों को गुमराह करती हैं।
ट्राई ने तो यह साफ कर दिया है कि उसका ऐसा विचार नहीं है लेकिन आखिर यह बात उठी कहां से की ट्राई इस तरह की योजना बना रहा है। अगर ऐसा है तो यह योजना या इस पर राय मांगी गई है तो यह फीस किसके किसे देनी होगी, आइए जान लेते हैं।
The speculation that TRAI intends to impose charges on customers for holding multiple SIMs/ numbering resources is unequivocally false. Such claims are unfounded and serve only to mislead the public.
— TRAI (@TRAI) June 14, 2024
क्या है यह पूरा मुद्दा
ट्राई ने छह जून 2024 को राष्ट्रीय नंबरिंग योजना के तहत एक डिस्कशन पेपर जारी किया था। इस पेपर में फोन नंबरों के इस्तेमाल से जुड़े कुछ सुधारों के बारे में बोला गया था। पेपर में ट्राई ने कहा था कि उसने पाया है कि दूरसंचार कंपनियों को आवंटित किए गए फोन नंबरों का सही से इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है।
ऐसे में जब नंबरों का सही से यूज नहीं हो पा रहा है तो क्या इस हालत में दूरसंचार कंपनियों पर किसी किस्म की फीस लगाई जा सकती है। इस पर उद्योग जगत से उनकी राय पूछा गया था।
दरअसल, दूरसंचार कंपनियां कुछ खास किस्म या सबसे अलग दिखने वाले फोन नंबरों को बहुत ही ऊचें दामों पर बेचती हैं। इसके लिए कभी-कभी बोली भी लगाई जाती है। इन नंबरों की बिक्री पर कंपनियों को मोटी कमाई भी होती है।
यही नहीं कई दूरसंचार कंपनियां अधिक से अधिक मोबाइल नंबर जारी करती है और ग्राहकों द्वारा जो नंबर कई महीनों से इस्तेमाल में नहीं होती है वे इन नंबरों को बंद भी नहीं करते हैं। कंपनियां इन नंबरों को बंद कर आपके ग्राहकों की संख्या को कागजों में कम दिखाना नहीं चाहती है। इससे उनका ग्राहक बेस कागजों में ज्यादा दिखता है।
ग्राहकों से नहीं दूरसंचार कंपनियों से लिया जाएगा फीस
कंपनियों के इस कदम से फोन नंबरों का सही से इस्तेमाल नहीं हो पाता है और इससे जमाखोरी की स्थिति पैदा होती है। दूरसंचार कंपनियों के इस कदम को रोकने के लिए ट्राई ने यह डिस्कशन पेपर जारी किया था जिसमें इनसे एक छोटा सा शुल्क लेने की बात पर सूझाव मांगा गया है ताकि इस मुद्दे को हल करने में मदद मिल सके।
ऐसे में दूरसंचार कंपनियों से फीस लेने की बात को कुछ मीडिया संस्थानों से इसे ग्राहकों से जोड़ दिया था और फिर यह खबरें चलने लगी थी कि ट्राई यह फीस फोन यूजर यानी ग्राहकों से लेने का विचार कर रहा है।
अगर दूरसंचार कंपनियों पर लगेगा फीस तो ग्राहकों पर पड़ेगा असर
डिस्कशन पेपर में उद्योग जगत से मांगे गए सूझाव में अगर यह बात तय होती है कि दूरसंचार कंपनियों द्वारा खास फोन नंबरों की जमाखोरी के लिए उनसे किसी किस्म की फीस ली जाएगी तो इसका असर आम ग्राहकों पर भी पड़ सकता है।
दूरसंचार कंपनियों ने चेतावनी दी है कि अगर ऐसा हुआ तो वे इस तरह के शुल्क को उपभोक्ताओं पर डाल सकते हैं। बता दें कि ट्राई ने हाल में इस डिस्कशन पेपर को जारी कर भारत के लगभग 1.2 बिलियन मोबाइल कनेक्शनों के लिए अधिक फोन नंबर बनाने की बात कही है।