मॉस्को: रूस और यूक्रेन युद्ध को खत्म करने को लेकर राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन को एक ऑफर दिया है। पुतिन ने शुक्रवार को कहा है कि अगर यूक्रेन उसके कुछ शर्तों को मान लेता है तो रूस इस युद्ध को रोक देगा।
पुतिन का यह बयान तब सामने आया है जब स्विटजरलैंड में आज से यूक्रेन पीस समिट का आयोजन होने जा रहा है। इस समिट में रूस और चीन शामिल नहीं हो रहे हैं। उधर यूक्रेन ने रूस के इस ऑफर को “बेतुका” बताते हुए उसे ठुकरा दिया है।
पुतिन ने क्या शर्तें रखी है
राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि रूस इस युद्ध को तभी समाप्त करेगा जब यूक्रेन नाटो में शामिल होने की अपनी इच्छा को छोड़ देगा। यही नहीं यूक्रेन को उसके चार प्रांतों को मॉस्को को भी सौंपने पर सहमत भी होना पडे़गा और अपनी सेना को उन प्रांतों से हटाना पड़ेगा।
साल 2022 से रूस यूक्रेन के डोनेट्स्क, लुहान्स्क, खेरसॉन और जापोरिजिया प्रांतों पर अपना दावा करता है और इन प्रांतों को अपना भाग बताता है। रूस के इस दावे को दुनिया के अधिकतर देश अवैध मानते हैं।
2014 में भी रूस ने यूक्रेन के क्रीमिया पर अपना कब्जा किया था जिसे कई देश अवैध बताते हैं। रूस ने यह भी शर्त रखा है कि उस पर पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों को भी खत्म करना होगा।
रूस के शर्तों पर यूक्रेन ने क्या कहा
रूस के इन मांगों को यूक्रेन के राष्ट्रपति सलाहकार मायखाइलो पोडोल्याक ने बेकार की मांग बताया है। उन्होंने कहा है कि पुतिन ने यूक्रेन को हार को स्वीकार करने, अपने प्रांतों को उन्हें सौंपने और यूक्रेन को अपनी संप्रभुता को खो देने की पेशकश की है जिसे हम स्वीकार नहीं करते हैं।
यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की ने पुतिन के पेशकश की टाइमिंग पर भी सवाल उठाया है और पुतिन के इस ऑफर एक अल्टीमेटम करार दिया है। जेलेंस्की के अनुसार, यह अल्टीमेटम स्विस शिखर सम्मेलन को बाधित करने के लिए दिया गया है।
अमेरिकी रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन ने कहा कि यूक्रेन के सामने किसी किस्म का शर्त रखें, इसका अधिकार रूस के पास नहीं है। पुतिन ने यह भी कहा है कि यूक्रेन का भविष्य कैसा होगा, ये इस बात पर निर्भर करेगा कि वह इन शर्तों को मानता है की नहीं।
रूसी राष्ट्रपति ने यह भी कहा है कि शांति के लिए यूक्रेन को पीछे हटना होगा, तटस्थ स्थिति अपनानी होगी और बातचीत शुरू करनी होगी।
रूस अपने क्षेत्र को करना चाहता है विस्तार
पुतिन ने यह भी कहा है कि अगर उनकी शर्तें नहीं मानी गई तो यह युद्ध जारी रहेगा और इसका जिम्मेदार यूक्रेन और पश्चिमी देश होंगे। इस युद्ध और शर्तों को लेकर यूक्रेन और उसके सहयोगी देशों का कहना है कि रूस इसके जरिए अपने क्षेत्रों के विस्तार की योजना में है।
बता दें कि इसी हफ्ते अमेरिका ने रूस पर और भी प्रतिबंध लगाए हैं साथ में यूक्रेन के साथ एक सुरक्षा समझौते की भी घोषणा की है।
स्विस शिखर सम्मेलन
स्विट्जरलैंड में आज से स्विस शिखर सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है जिसमें दुनिया के तमाम बड़े देशों के नेता इसमें शामिल होने वाले हैं। इस सम्मेलन में लगभग 90 प्रतिनिधिमंडल भाग लेंगे जिसमें रूस और चीन मौजूद नहीं होंगे।
सम्मेलन में यूक्रेन में खाद्य और परमाणु सुरक्षा जैसे मुद्दों पर बातचीत होगी। स्विस शिखर सम्मेलन में भारत भी हिस्सा ले रहा है।
इस मुद्दे पर पीएम मोदी ने जी7 शिखर सम्मेलन में बातचीत और कूटनीति के माध्यम से शांतिपूर्ण समाधान के लिए समर्थन की पुष्टि की है। भारत ने सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल को भेजा है। इसके लिए यूक्रेन के राष्ट्रपति ने भारत का धन्यवाद भी किया है।
रूस यूक्रेन युद्ध
रूस और यूक्रेन युद्ध की असल शुरुआत साल 2014 में हुई थी जब रूस ने क्रीमिया पर कब्जा किया था। रूस ने पूर्वी यूक्रेन में वहां के रहने वालों लोगों को उसका कर उन्हें अपने ही देश के खिलाफ लड़ने के लिए समर्थन किया था।
मामला तब ज्यादा बढ़ गया जब रूस ने फरवरी 2022 में यूक्रेन पर बड़े पैमाने पर हमला कर दिया था। तब से लेकर अब तक यह युद्ध चल रहा है और इस दौरान भारी जान और माल का नुकसान भी हुआ है।
इस युद्ध के कारण यूक्रेन में हजारों की संख्या में लोग मारे गए हैं। हालांकि यूक्रेन ने रूस पर भी हमला किया है और यहां भी कई लोगों की जान गई है लेकिन इस संघर्ष में सबसे ज्यादा यूक्रेन को जान और माल का नुकसान हुआ है। इस संघर्ष के कारण भारी पैमाने पर यूक्रेन में रहने वालों को अपना घर छोड़ना पड़ा है।