नई दिल्लीः नीट परीक्षा में हुई कथित गड़बड़ी को लेकर दायर याचिकों पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को भी सुनवाई की। मामले को लेकर हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दाखिल की गई हैं। शुक्रवार को शीर्ष अदालत ने अलग-अलग हाईकोर्ट में दाखिल सभी याचिकाओं को क्लब कर सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर कर लिया। साथ ही शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ताओं को नोटिस जारी कर कहा कि सभी याचिकाओं पर 8 जुलाई को सुनवाई होगी।
शीर्ष अदालत का सीबीआई जांच आदेश देने से इनकार
इनमें से एक याचिका में कथित पेपर लीक की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबाआई) से जांच कराने की मांग की गई थी। जिसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह सिर्फ एक पक्ष के कहने पर सीबीआई जांच का आदेश नहीं दे सकता। हालांकि अदालत ने इस बाबत नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) को नोटिस जारी एक हफ्ते के भीतर जवाब मांगा है।
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की अध्यक्षता वाली अवकाश पीठ ने एक वकील के आवेदन पर सुनवाई के दौरान कहा, “हमने याचिका पर विचार किया। हम एक पक्ष के कहने पर आदेश नहीं सुनाते हैं। कैसी सीबीआई जांच? क्या सिर्फ एक पक्ष को सुनकर आज के आज सीबीआई जांच का आदेश दिया जा सकता है? क्या आपकी यह मांग है?” पीठ ने कहा कि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) पेपर लीक के आरोपों से जुड़े सीबीआई/एसआईटी जांच की मांग वाली नई याचिकाओं पर दो सप्ताह में जवाब दाखिल कर सकती है।
बिहार पुलिस से रिपोर्ट दाखिल करने वाली याचिका खारिज
शीर्ष अदालत ने अगली सुनवाई से पहले कथित पेपर लीक की शिकायत की जांच पर बिहार पुलिस से स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी। पीठ ने कहा, “आपने अपनी याचिका में हर तरह के आरोप लगाये हैं। हमने उन्हें (एनटीए और अन्य को) अपना जवाब दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया है। वे अपना जवाब दाखिल करेंगे।” शीर्ष अदालत इससे पहले कई मौकों पर नीट (यूजी) 2024 के परिणामों के आधार पर मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए काउंसलिंग की प्रक्रिया पर रोक लगाने से इनकार कर चुकी है।
सभी याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने क्लब किया
नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने मामले से संबंधित अलग-अलग हाईकोर्ट में दायर याचिकाओंं को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करने की शीर्ष अदालत से गुहार लगाई थी। ताकि मुकदमेबाजी की अधिकता से बचा जा सके। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की अवकाश पीठ ने शुक्रवार एनटीए की इस याचिका पर गौर किया और सभी याचिकाकर्ताओं को नोटिस जारी किया। पीठ ने कहा कि इन पर 8 जुलाई को सुनवाई होगी।
एनटीए ने तीन अन्य याचिकाएं वापस लेने की बात कही है। ये याचिकाएं अलग-अलग हाईकोर्ट में चल रहे मामलों को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करने के लिए दायर की गई थीं। ये मामले 5 मई को हुई परीक्षा में समय कम होने के कारण 1563 छात्रों को दिए गए अतिरिक्त अंकों (Grace Marks) से जुड़े थे। एनटीए के वकील ने बताया कि ये मामला सुलझ चुका है और वो हाईकोर्ट को 1536 छात्रों को दिए गए अतिरिक्त अंकों को रद्द करने के 13 जून के सुप्रीम कोर्ट के आदेश से अवगत कराएंगे।
गौरतलब है कि केंद्र और एनटीए ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उन्होंने एमबीबीएस और अन्य मेडिकल कोर्सों में दाखिला लेने के लिए परीक्षा देने वाले 1563 छात्रों को दिए गए अनुग्रह अंकों को रद्द कर दिया है। छात्रों के पास अब दो विकल्प हैं – या तो वे दोबारा परीक्षा दे सकते हैं या फिर परीक्षा में कम समय होने के कारण उन्हें दिए गए अतिरिक्त अंकों को छोड़ सकते हैं।
छात्रों का क्या है आरोप?
यह परीक्षा 5 मई को 4,750 केंद्रों पर आयोजित की गई थी और इसमें लगभग 24 लाख उम्मीदवारों ने भाग लिया था। परिणाम 14 जून को घोषित किए जाने थे लेकिन 10 दिन पहले 4 जून को ही घोषित कर दिए गए। परिणाम जारी होने के बाद छात्रों ने इसमें व्यापक स्तर पर गड़बड़ी तथा अनियमितता के आरोप लगाए। छात्रों का कहना है कि पहली बार ऐसा हुआ है, जब जारी किए गए परिणामों में 67 छात्र टॉपर हैं। प्रथम स्थान के 7 छात्र हरियाणा के एक ही सेंटर से आते हैं। छात्रों ने आरोप लगाया गया है कि ग्रेस मार्क्स की वजह से 67 छात्रों ने शीर्ष रैंक हासिल किया।
आरोपों के कारण कई शहरों में विरोध प्रदर्शन हुए और सात उच्च न्यायालयों और सर्वोच्च न्यायालय में मामले दायर किए गए। कथित अनियमितताओं की जांच की मांग को लेकर 10 जून को दिल्ली के जंतर मंतर पर कई छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किया।
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार 13 जून को दिये गए अपने फैसले में बर्बाद समय के बदले ग्रेस मार्क्स पाने वाले 1,563 छात्रों के स्कोरकार्ड देखने के बाद उन्हें दिये गये ग्रेस मार्क्स रद्द कर दिए थे। शीर्ष अदालत ने उन्हें 23 जून को दोबारा परीक्षा में शामिल होने या अपने वास्तविक मार्क्स के आधार पर मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए काउंसलिंग में भाग लेने का विकल्प दिया है। दोबारा हुई परीक्षा का परिणाम 30 जून को आएगा। शीर्ष अदालत ने पूरी काउंसलिंग प्रक्रिया पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।
नीट में नहीं हुआ कोई भ्रष्टाचारः केंद्र
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने नीट में किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि जो घटना हमारे सामने आई है, निश्चित तौर पर उसमें दोषियों को दंड दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि नीट में 24 लाख छात्र शामिल हुए थे। अभी सुप्रीम कोर्ट के समक्ष जो मसला चल रहा है, सरकार ने उसमें अपना पक्ष रखा है। लेकिन, यह मामला सिर्फ 1,550 छात्रों का है। उन्होंने नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) की प्रशंसा भी की। उन्होंने कहा कि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी देश में कई सफल परीक्षाएं आयोजित करवाती है।
धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि कुछ खास घटनाएं जो सामने आई है, सरकार ने उसे गंभीरता से लिया है। इस मामले में शिक्षाविदों की एक कमेटी बनाई गई है। कमेटी ने कुछ सिफारिश भी दी है। शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक इन सिफारिश के आधार पर कोर्ट के समक्ष भी तथ्यों को रखा जाएगा। उन्होंने अभिभावकों और छात्रों को आश्वस्त किया कि भारत सरकार और उसका इंस्ट्रूमेंट, नेशनल टेस्टिंग एजेंसी बिल्कुल कमिटेड है।
गौरतलब है कि एनटीए देशभर में सरकारी और निजी संस्थानों में एमबीबीएस, बीडीएस, आयुष और अन्य संबंधित पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए नीट-यूजी परीक्षा आयोजित करता है।