इम्फालः जातीय हिंसा की घटनाओं से अबतक अछूता रहा मणिपुर का जिरीबाम जिला बीते गुरुवार को हिंसा की भेंट चढ़ गया। जिले में एक समुदाय विशेष के 70 से अधिक घरों को आग के हवाले कर दिया गया। अधिकारियों के मुताबिक, शनिवार को इलाके में सुरक्षाबलों की तैनाती बढ़ा दी गई है। साथ ही मणिपुर पुलिस के कमांडो भी तैनात किए गए हैं।
दरअसल असम की सीमा पर स्थित मणिपुर के जिरीबाम जिले में गुरुवार की रात एक मैतेई समुदाय के व्यक्ति की संदिग्ध हथियारबंद हमलावरों ने हत्या कर दी। 59 वर्षीय सोइबाम सरथकुमार सिंह की हत्या के बाद इलाके में तनाव व्याप्त हो गया जिसको देखते हुए जिरीबाम और पड़ोसी तामेंगलौंग जिलों में कर्फ्यू लगा दिया गया।
हत्या के बाद जिरीबाम जिले के कई हिस्सों में आगजनी की गई
द प्रिंट ने अज्ञात पुलिस सूत्रों के हवाले से बताया है कि सिंह को अज्ञात बदमाशों ने सोइबाम को उस समय उठा लिया, जब वह अपने खेत से घर लौट रहा था। उसके परिवार ने शुरू में शिकायत दर्ज नहीं कराई, लेकिन पुलिस को केवल मौखिक रूप से बताया कि वह लापता है। लेकिन गुरुवार को उसका शव बरामद होने के बाद पुलिस ने मामला दर्ज किया। मैतेई समुदाय ने इस हत्या के पीछे कुकी समुदाय को दोषी ठहराया है।
पुलिस के एक अधिकारी ने शनिवार को बताया कि मैतेई समुदाय के शख्स की हत्या के बाद हथियारबंद हमलावरों ने जिरीबाम जिले के लामताई खुनोऊ, दिबोंग खुनोऊ, नुनखल और बेगरा गांवों में कुकी जो समुदाय के घरों को जला दिया गया। हिंसा भड़कने पर समुदाय के 200 से अधिक लोगों ने नये बने राहत शिविर में शरण ली है।
पुलिस अधिकारी ने बताया कि गुरुवार रात पीड़ित का शव मिलने के बाद स्थानीय लोगों ने बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन किया। उनके शरीर पर कई घाव और कटे के निशान थे। कुछ खाली पड़े घरों में आग लगाने के बाद स्थानीय लोगों ने बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन किया।
हालात के मद्देनजर कई प्रदर्शनकारियों ने उनके लाइसेंसी हथियार वापस करने की मांग की। हाल में हुए लोकसभा चुनावों के मद्देनजर सबके लाइसेंसी हथियार जमा करा लिए गये थे। प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। स्थिति को नियंत्रित करने और जल्द से जल्द स्थिति सामान्य करने के लिए जिरीबाम जिले में असम राइफल्स, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल और मणिपुर पुलिस ने एक संयुक्त नियंत्रण कक्ष स्थापित किया है। जिरीबाम और पड़ोसी तामेंगलौंग जिलों में मणिपुर पुलिस और केंद्रीय बलों की भारी तैनाती की गई है।
मैतई, नागा, कुकी, मुस्लिम और गैर-मणिपुरियों की मिश्रित आबादी वाला जिला है जिरीबाम
असम से सटे जिरीबाम जिला एक मिश्रित आबादी वाला श्रेत्र है। इस जिले में मैतई, नागा, कुकी, मुस्लिम और गैर-मणिपुरी लोग रहते हैं। यह पिछले साल 3 मई को मणिपुर में शुरू हुई जातीय हिंसा की घटनाओं से अब तक अछूता रहा है। राज्य के कई जिलों में मैतई और कुकी-जोमी समुदायों के बीच जातीय संघर्ष में अब तक 220 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। दोनों समुदायों के 1,500 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। वहीं, 70 हजार से अधिक लोग अपने घरों से विस्थापित हुए हैं। दंगों में कई घर, सरकारी और गैर-सरकारी संपत्तियों तथा धार्मिक ढांचों को नुकसान पहुंचा है।
कुकी समुदाय की संस्था ने हत्या को लेकर क्या कहा है?
शुक्रवार को, जनजाति का प्रतिनिधित्व करने वाली शीर्ष संस्था कुकी इंपी ने कहा कि वह अज्ञात व्यक्तियों द्वारा सोइबाम सरथकुमार सिंह की हत्या की निंदा करती है। संगठन ने यह भी आरोप लगाया कि घटना के तुरंत बाद, मैतेई उग्रवादियों ने एक कुकी व्यक्ति का अपहरण कर लिया, जिसका ठिकाना अभी भी अज्ञात है। संगठन ने जिले में कर्फ्यू के आदेशों के बावजूद कुकी घरों पर हमला करने का आरोप भी लगाया है। संगठन ने कहा, “बिना किसी सबूत के सरथकुमार सिंह की हत्या के लिए कुकी जो आदिवासियों को दोषी ठहराना और कुकी जो आदिवासियों पर हमला करना यह दर्शाता है कि कुछ लोग मणिपुर संकट को जिरीबाम क्षेत्र में लाने पर अड़े हुए हैं, जहां अब तक शांति बनी हुई है।”