नई दिल्ली: इस साल लोकसभा चुनाव में 74 महिला उम्मीदवारों ने चुनाव जीता है। यह आंकड़ा पिछले चुनाव से कम है और उस समय 78 महिला उम्मीदवारों ने चुनाव जीता था। साल 1952 में जब देश में पहला चुनाव हुआ था, उस समय केवल 22 महिला सांसद लोकसभा के लिए चुनकर आई थीं। निचले सदन में ये 74 महिला सांसद की संख्या 13.63 फीसदी है।
महिला सांसदों की संख्या में हुए हैं क्या बदलाव
देश में हुए पहले चुनाव से लेकर अब तक महिला सांसदों की संख्या में इजाफा हुआ है लेकिन यह गति काफी धीमी रही है। साल 1952 में जब पहली बार चुनाव लड़ा गया था तब निचले सदन में महिला सांसदों की संख्या केवल 4.41 फीसदी थी।
लेकिन इसके बाद अलगे दस सालों में यह संख्या बढ़कर छह फीसदी हो गई थी। पहले के कुछ सालों में बढ़ोतरी के बाद 1971 में यह संख्या घटी थी और चार फीसदी हो गई थी। यह वह समय था जब दिल्ली की कमान भारत की पहली और एकमात्र महिला प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी के हाथ में थी।
इंदिरा गांधी के बाद से हुआ है इजाफा
इंदिरा गांधी की सत्ता से लेकर आने वाले कुछ सालों तक महिला सांसदों की संख्या में फिर से बढ़ोतरी देखी गई थी। यह इजाफा आगे के कई सालों तक कायम रहा था लेकिन यह बढ़ोतरी काफी धीमी गति से हुई थी।
कुछ अपवादों को छोड़कर 60 और 70 की दसक में महिला सांसदों की संख्या जहां चार से छह फीसदी की थो वह साल 2009 में 10 फीसदी हो गई थी। यह आंकड़ा 2019 में 14.36 प्रतिशत हो गया था जो अब तक का सबसे अधिक फीसदी है।
इन देशों से भारत अभी है पीछे
भारत में जहां इस बार महिला सांसदों की संख्या 13.63 फीसदी रही है, यह अभी भी दुनिया के अन्य देशों से काफी कम है। दक्षिण अफ्रीका जहां पर महिला सांसदों की संख्या 46 फीसदी, यूके में 35 फीसदी और अमेरिका में 29 फीसदी है
सबसे ज्यादा भाजपा से चुनाव जीती हैं महिला सांसद
2024 लोकसभा चुनाव में जिन महिला सांसदों ने चुनाव जीता है वे 14 अलग-अलग पार्टियों से आई हैं। इस लिस्ट में भाजपा सबसे आगे है और इससे 31 सांसद चुनकर आई हैं। इसके बाद कांग्रेस है जिससे 13, टीएमसी से 11, समाजवादी पार्टी यानी एसपी से पांच और डीएमके से तीन महिला सांसदों ने चुनाव जीता है।
यही नहीं चिराग पासवान के नेतृत्व वाली एलजेपीआरवी से दो और जेडी (यू) से भी दो आईं है। इसके अलावा अलग-अलग पार्टियों से सात और सांसद भी चुन कर आई हैं।
वहीं अगर बात करें कि दोहरे अंक वाली महिला सांसदों की पार्टियों को तो इसमें टीएमसी सबसे ऊपर है। इसमें टीएमसी का अनुपात सबसे अधिक है जो 37.93 फीसदी है। इसके बाद कांग्रेस है जिसका अनुपात 13.13 फीसदी है और फिर बीजेपी का नंबर आता है जिसका अनुपात 12.92 फीसदी है।
नए चेहरे और युवा सांसदों की जानकारी
इस बार के लोकसभा चुनाव में निर्वाचित 74 महिला सांसदों में कुल 43 ऐसी सांसद है जो पहली बार सांसद बनी हैं। इन सांसदों में राजद की मीसा भारती भी शामिल हैं जो पहली बार लोकसभा सांसद बनी है। महिला सांसदों के पास औसतन 0.76 कार्यकाल का अनुभव है।
इनमें कम उम्र की महिलाएं भी शामिल है जिनकी औसत आयु 50 वर्ष है जबकि कुल सदन का औसत 56 साल है। ये महिला सांसद पुरुष सांसदों की तरह शिक्षित हैं और इनमें 78 प्रतिशत सांसद ऐसी हैं जिन्होंने अपना ग्रेजुएशन पूरा कर लिया है।
पहली बार महिला उम्मीवारों का अनुपात पहुंचा 10 फीसदी
2024 लोकसभा चुनाव में कुल 8,360 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था जिसमें लगभग 10 फीसदी महिला थी। साल 1957 में जहां केवल तीन फीसदी ही महिलाओं ने चुनाव लड़ा था, इसके बाद आने वाले सालों में इस संख्या में बढ़ोतरी देखी गई है।
देश में जब पहला चुनाव लड़ा गया था तब से लेकर यह पहला बार है जब यह अनुपात 10 प्रतिशत तक पहुंचा है। महिला उम्मीदवार जो इस बार चुनाव लड़ी हैं उनमें भाजपा से सबसे ज्यादा उम्मीदवार मैदान में उतरी थी। भाजपा के 16 और कांग्रेस के 13 फीसदी उम्मीदवारों ने इस बार चुनाव लड़ा था।
इन सांसदों ने जीत को रखा बरकरार
इस बार के लोकसभा चुनाव में भाजपा की हेमा मालिनी, तृणमूल की महुआ मोइत्रा, राकांपा (शरदचंद्र पवार) की सुप्रिया सुले और समाजवादी पार्टी की डिंपल यादव ने अपनी पारी को बरकरार रखा है। वहीं कंगना रनौत और मीसा भारती जैसी उम्मीदवारों ने इस बार चुनाव जीत कर सबको चौका दिया है।
कम उम्र के उम्मीदवारों ने भी किया कमाल
लोकसभा चुनाव में मछलीशहर सीट से सपा की टिकट पर चुनाव जीतने वाली प्रिया सरोज भी काफी चर्चा में हैं। उन्होंने 25 साल की उम्र में चुनाव जीता है। चुनाव जीतने के बाद ये सबसे कम उम्र वाली सांसद बन गई हैं। यही नहीं 29 साल की इकरा चौधरी ने भी चुनाव जीता है जो सपा के टिकट पर कैराना सीट चुनाव लड़ी थी।