नई दिल्ली: भारत में 2024 लोकसभा चुनाव के लिए आज नतीजों का दिन है। अकसर ऐसा देखा गया है कि राजनीतिक घटनाओं के प्रति भारतीय शेयर बाजार अत्यधिक संवेदनशील रहता है। ऐसे में आज जब नतीजे घोषित होने जा रहे हैं तो इसका असर शेयर बाजार पर भी पड़ता दिख रहा है।
मतगणना के बीच भारतीय शेयर बाजार मंगलवार को गिरावट के साथ खुला है। बाजार में चौतरफा गिरावट देखने को मिल रही है। बीएसई बेंचमार्क सेंसेक्स 1,544 अंक या 2.02 प्रतिशत और एनएसई निफ्टी 491 अंक या 2.11 प्रतिशत की गिरावट के साथ खुला है।
हालांकि इससे पहले जब लोकसभा चुनाव के लिए कई एजेंसियों ने एग्जिट पोल जारी किया था तब ज्यादातर पोल ने बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए की जीत की भविष्यवाणी की थी। इस भविष्यवाणी का शेयर बाजार पर अच्छा प्रभाव पड़ा था और बाजार सोमवार को ऑल टाइम हाई पर खुला था।
शेयर बाजार 2,700 अंक के ज्यादा की छलांग लगाकर कारोबार का नया रिकॉर्ड कायम किया था। सेंसेक्स करीब 2600 अंक बढ़कर 76,582 अंक पर और निफ्टी करीब 800 अंक बढ़कर 23,338 अंक पर खुला था।
एक्सपर्ट ने क्या कहा है
जब कभी भी व्यापार-समर्थक और स्पष्ट बहुमत वाले स्थिर सरकार बनने का संकेत मिलता है तो शेयर बाजार इस पर सकारात्मक प्रतिक्रिया देता है। 2024 लोकसभा चुनाव में भी जब फिर से भाजपा की सरकार बनने का संकेत मिल रहे है तो इस पर भी बाजार सकारात्मक प्रतिक्रिया दे रहा है।
बाजार के बढ़त पर बोलते हुए जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा है कि एग्जिट पोल ने मौजूदा सरकार के लिए एक यादगार जीत की आशा को सक्रिय कर दिया है। उनके अनुसार, सुधार लाभ जारी रहने की उम्मीद में पीएसयू में भारी रैली हुई है।
असित सी. मेहता इन्वेस्टमेंट इंटरमीडिएट्स के एवीपी तकनीकी और डेरिवेटिव रिसर्च नीरज शर्मा ने कहा है एग्जिट पोल की भविष्यवाणी के बाद बाजार में निवेशकों को यह उम्मीद जगी है कि भारत में फिर से भाजपा की सरकार बनने जा रहे है।
ऐसे में बाजार में खूब खरीदारी देखी गई है। इस कारण पीएसयू बैंक, तेल और गैस, बिजली और रियल एस्टेट में पांच से सात प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई है।
पिछले 4 लोकसभा चुनावों में कैसा था बाजार
केवल 2004 लोकसभा चुनाव को छोड़कर पिछले तीन चुनावों में बाजार ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी थी। 2019 लोकसभा चुनाव में नतीजे के दिन बाजार में अच्छी बढ़त देखी गई थी। सेंसेक्स एक हजार अंक (लगभग 3.5 फीसदी) से अधिक बढ़ था और निफ्टी में भी पर्याप्त वृद्धि देखी गई थी।
देश में फिर से लगातार दूसरी बार भाजपा की सरकार आ रही थी जिसका निवेशकों ने स्वागत किया था। निवेशकों ने स्थिर सरकार की निरंतरता और विकास को बढ़ावा देने वाले वादों को देखते हुए बाजार में भारी निवेश किया था।
2014 लोकसभा चुनाव में भी बाजार में रिकॉर्ड तोड़ तेजी देखी गई थी। उस समय सेंसेक्स 1,200 अंक (लगभग छह फीसदी) से अधिक उछला था और निफ्टी में भी 300 अंक (लगभग छह फीसदी) से अधिक की बढ़ोतरी देखी गई थी।
देश में मोदी लहर और भाजपा के व्यापार-समर्थक रुख को लेकर बाजार काफी आशावादी था। मोदी के नेतृत्व में महत्वपूर्ण आर्थिक सुधारों और विकास पहलों की उम्मीद से उस समय के बाजार में तेजी देखी गई थी।
2009 और 2004 में क्या हुआ था
2009 लोकसभा चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) को बहुमत मिला था। देश में यूपीए की सरकार बनने पर भी मार्केट ने अच्छी प्रतिक्रिया दी थी।
एक ही दिन में सेंसेक्स दो हजार अंक (17 फीसदी) से अधिक और निफ्टी 600 अंक (17 फीसदी) से अधिक बढ़ा था। इससे पहले भी यानी 2004 में भी देश में यूपीए की सरकार थी, ऐसे में फिर से यूपीए की सरकार की वापसी पर बाजार को राजनीतिक स्थिरता और आर्थिक सुधारों के जारी रहने की उम्मीद थी।
यही नहीं 2009 में यूपीए ने वाम मोर्चे के समर्थन के बिना अपनी सरकार बनाई थी, इसका भी बाजार पर अच्छा प्रभाव पड़ा था। इन सभी कारणों के चलते उस समय भी बाजार ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी थी।
वहीं अगर बात करें 2004 लोकसभा चुनाव की तो इस बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए की अप्रत्याशित जीत हुई थी। इस पर बाजार ने उल्टा प्रतिक्रिया दिया था और सेंसेक्स और निफ्टी में भारी गिरावट देखने को मिली थी। सेंसेक्स 800 अंक (लगभग 12 फीसदी) से अधिक गिर गया था और निफ्टी में भी भारी गिरावट देखने को मिली थी।