हैदराबाद: तेलंगाना की विपक्षी पार्टी बीआरएस ने गुरुवार को ऐलान किया कि वह राज्य के प्रतीक चिन्ह के कथित तौर पर हटाने के लिए कांग्रेस का विरोध करेगी। दरअसल, बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष के टी रामा राव ने कांग्रेस पर आरोप लगाया है कि वह राज्य के प्रतीक चिन्ह से चारमीनार और ‘काकतीय मेहराब’ को हटाने की कथित योजना बनाई है।
इसका विरोध करने के लिए अन्य नेताओं के साथ केटीआर ने चारमीनार का दौरा किया और कहा कि यह प्रतीक हैदराबाद की पहचान का प्रतिनिधित्व करता है।
ऐसे में इसे हटाने पर केटीआर ने पूरे राज्य में विरोध प्रदर्शन की चेतावनी भी दी है। यही नहीं केटीआर ने कांग्रेस पर यह भी आरोप लगाया है कि पार्टी पूर्व मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव की उपलब्धियों और पिछले एक साल में बीआरएस सरकार किए हुए कार्यों को कमजोर दिखाने में लगी है।
कांग्रेस की इन योजनाओं का विरोध करते हुए केटीआर ने कहा कि “हम तेलंगाना के आधिकारिक लोगो से चारमीनार और काकतीय मेहराब को हटाने की कांग्रेस सरकार की कोशिश का विरोध करते हैं।”
चारमीनार है हैदराबाद की पहचान-केटीआर
राज्य के प्रतीक चिह्न को बदलने के सरकार के फैसले पर रामाराव ने कहा कि हैदराबाद तेलंगाना की शान है, वहीं चारमीनार हैदराबाद की पहचान है। केटीआर ने कहा, “चारमीनार पूरी दुनिया में मशहूर है।
हैदराबाद और चारमीनार को एक दूसरे से अलग नहीं किया जा सकता।” उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि चारमीनार और काकतीय मेहराब को हटाकर कांग्रेस सरकार तेलंगाना के लोगों के स्वाभिमान को ठेस पहुंचा रही है।
चारमीनार के हटने पर होगा पूरे राज्य में विरोध-केटीआर
बीआरएस नेता ने जोर देते हुए कहा कि अगर सरकार प्रतीक चिह्न से इन्हें हटाने के फैसले पर कोई कदम उठाती है तो उनकी पार्टी हैदराबाद और पूरे राज्य में विरोध प्रदर्शन करेगी। उन्होंने मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी से सवाल करते हुए कहा कि राज्य के प्रतीक चिह्न से ऐतिहासिक संरचनाओं को हटाने की क्या जरूरत है?
क्या है यह पूरा विवाद
दरअसल, तेलंगाना की सरकार ने एक नया राज्य प्रतीक बनाया है जिसे राज्य के स्थापना दिवस यानी दो जून को लॉन्च करने की योजना है। इस प्रतीक में कथित तौर पर चारमीनार और ‘काकतीय मेहराब’ को हटाया गया है और आदिवासी देवी सम्मक्का और सरक्का और नागोबा उत्सव को शामिल किया गया है।
विपक्षी पार्टी बीआरएस इसका विरोध कर रही है और मांग कर रही है कि तेलंगाना और हैदराबाद की पहचान के रूप में जाने जाने वाले चारमीनार और वारंगल के काकतीय राजवंश का मेहराब को न हटाया जाए।
नए प्रतीक को लेकर राज्य सरकार का अलग ही तर्क है। राज्य सरकार का कहना है कि नया प्रतीक “तेलंगाना के संघर्ष और बलिदान” को दर्शाता है। उसका कहना है कि पुराने प्रतीक में जो चार मीनार और मेहराब मौजूद था वह सामंतवाद और निरंकुश शासन का प्रतिनिधित्व करता है, इसलिए उसे हटाने का फैसला लिया गया है।
सीएम रेवंत रेड्डी ने उपमुख्यमंत्री भट्टी विक्रमार्क के साथ मिलकर नए प्रतीक के डिजाइन को फाइन कर दिया है। यही नहीं दो जून को एक नए राज्य गीत को भी लॉन्च करने के लिए उसे अंतिम रूप दिया दिया गया है।
बीआरएस ने कांग्रेस पर लगाया यह आरोप
बीआरएस नेता केटीआर ने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार राजनीतिक प्रतिशोध के कारण प्रतीक चिन्ह में बदलाव कर रही है। केटीआर ने रेवंत रेड्डी पर हमला बोलते हुए कहा, ”मुख्यमंत्री ने तेलंगाना आंदोलन में भाग नहीं लिया था। रेवंत रेड्डी सिर्फ इसलिए प्रतीक चिह्न बदलना चाहते थे क्योंकि इसे बीआरएस अध्यक्ष और तत्कालीन मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव (केसीआर) ने चुना था।”
तेलंगाना के विकास को कमजोर दिखाने का लगाया आरोप
सरकार को घेरते हुए केटीआर ने दावा करते हुए कहा कि बीआरएस के 10 साल के शासन के दौरान तेलंगाना में तेजी से विकास हुआ और आरोप लगाया कि वर्तमान कांग्रेस सरकार इस तथ्य को मानना नहीं चाहती।
केटीआर ने याद दिलाया कि जब हैदराबाद के 400 साल पूरे हुए थे, तब तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने चार मीनार की छवि के साथ समारोह आयोजित किया था।
बीआरएस नेता ने पूछा, “तब कांग्रेस सरकार को यह कैसे स्वीकार्य था?” उन्होंने रेवंत रेड्डी की इस टिप्पणी पर आपत्ति जताई कि हैदराबाद और काकतीय मेहराब पूर्व शासकों की निरंकुशता का प्रतीक हैं।
केटीआर ने यह भी याद दिलाया कि पूर्व मुख्यमंत्री एन.टी. रामा राव ने हैदराबाद में टैंक बंड के दोनों ओर काकतीय मेहराब स्थापित किए थे। उन्होंने रेवंत रेड्डी को याद दिलाया कि लोगों ने अपने जीवन को बेहतर बनाने और उनके द्वारा किए गए वादों को पूरा करने के लिए कांग्रेस को सत्ता में उतारा है।
समाचार एजेंसी आईएएनएस के इनपुट के साथ