रामपुरः यहां की एक अदालत ने बुधवार को समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान को 8 साल पुराने डूंगरपुर प्रकरण में दोषी ठहराया है। मामला जबरन घर खाली करवाने और मालिक की पिटाई करने से जुड़ा हुआ है। रामपुर की विशेष एमपी/एमएलए अदालत ने आजम खान और बरकत अली ठेकेदार को दोषी करार दिया है। आजम खान वह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अदालत में पेश हुए। मामले में सजा 30 मई को सुनाई जाएगी।
डूंगरपुर प्रकरण 8 साल पुराना है। दिसंबर 2016 में पीड़ित अबरार ने आजम खान और सेवानिवृत्त सर्किल अधिकारी बरकत अली के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने कहा कि वे जबरन उसके घर में घुसे, संपत्ति को नुकसान पहुंचाया और घर खाली करने के लिए उसके साथ मारपीट की।
क्या है 8 साल पुराना डूंगरपुर मामला?
रिपोर्ट के मुताबिक, सपा सरकार के दौरान आसरा योजना के क्रियान्वयन के लिए घरों को तोड़ा गया था। इनमें से एक मामला शफीक बानो ने 2019 में दर्ज कराया था। इसमें उन्होंने दावा किया था कि उन्होंने 2012 में खरीदी गई जमीन पर घर बनाया है।
शफीक बानो ने आरोप लगाया था कि नगर पालिका परिषद के तत्कालीन अध्यक्ष अजहर खान, क्षेत्राधिकारी (सीओ) आले हसन खान, रानू खान, ओमेंद्र सिंह चौहान, फिरोज खान, जिबरान खान, ठेकेदार बरकत अली उनके आवास में घुसे, जबरन उसे खाली कराया और बुलडोजर से उसे ध्वस्त कर दिया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि घर में रखे 9,000 रुपये भी लूट लिए गए। उन्होंने कहा कि पुलिस ने जांच के दौरान आजम खान का नाम भी शामिल किया था।
मामले में कुल 12 एफआईआर दर्ज हुई
इस मामले में कुल 12 मुकदमे हुए दर्ज है। चार में आजम खान आरोपी हैं। मामले में मार्च में हुई सुनवाई के दौरान दालत ने आजम को दो मामलों में बरी कर दिया था जबकि एक मामले में 7 साल जेल की सजा सुनाई थी। आजम खान समेत तीन अन्य – आले हसन, अजहर अहमद खान और बरकत अली को भी दोषी ठहराया गया और उन्हें पांच साल की जेल की सजा मिली थी। अब चौथे मामले में भी आजम और बरकत अली दोषी पाए गए हैं जिसके लिए 30 मई को सजा सुनाई जाएगी। सपा नेता वर्तमान में अन्य मामलों में सीतापुर जेल में बंद है।
फर्जी प्रमाण पत्र मामले में आजम खान की पत्नी तजीन फातिमा जेल से रिहा
इस बीच फर्जी प्रमाण पत्र मामले में जमानत मिलने के बाद आजम खान की पत्नी तजीन फातिमा को बुधवार रामपुर जेल से रिहा कर दिया गया। 24 मई को हुई सुनवाई में हाईकोर्ट ने आजम खान और उनकी पत्नी तंजीम फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आजम को जमानत दे दी थी। आजम खान की सजा पर रोक भी लगाई दी है। यह फैसला आपराधिक पुनरीक्षण याचिका पर सुनाया गया था। 14 मई को दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। 24 मई को हाईकोर्ट ने तीनों को जमानत दे दी। हालांकि सपा नेता अभी जेल में रहेंगे, क्योंकि हेट स्पीच मामले में भी उन्हें सात साल की सजा हुई है। बेटा अब्दुल्ला भी एक अन्य मामले में आरोपी है। ऐसे में सिर्फ तंजीम ही जेल से बाहर आईं।
फर्जी प्रमाण पत्र का मामला 2017 का है। विधानसभा चुनाव में आजम के बेटे अब्दुल्ला आजम स्वार विधानसभा सीट से सपा विधायक बने थे। उसी दौरान नवाब काजिम अली और भाजपा नेता अकाश सक्सेना ने फर्जी प्रमाण पत्र मामले में उनकी शिकायत की थी। उन्होंने कहा था कि वह चुनाव लड़ने की योग्यता नहीं रखते हैं। एसीजेएम एमपी-एमएलए कोर्ट ने 18 अक्टूबर 2023 को 7 सात वर्ष कैद और जुर्माने की सजा सुनाई थी। इसके खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में पुनरीक्षण याचिका दाखिल की गई। चुनाव याचिका पर हाई कोर्ट ने अब्दुल्ला का चुनाव रद्द कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट से भी उन्हें राहत नहीं मिली थी।