नई दिल्लीः दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार का कार्यकाल 3 महीने बढ़ाने को गृह मंत्रालय ने मंगलवार मंजूरी दे दी। नरेश कुमार 31 मई को सेवानिवृत्त होने वाले थे। लेकिन गृह मंत्रालय ने उनका कार्यकाल तीन महीने और बढ़ा दिया। वे अब 31 अगस्त तक पद पर बने रहेंगे। इससे पहले नरेश कुमार का कार्यकाल 6 महीने के लिए बढ़ाया गया था। नरेश 30 नवंबर, 2023 को ही सेवानिवृत्त होने वाले थे लेकिन सरकार ने उनका कार्यकाल 6 महीने और बढ़ा दिया था। विस्तार की अवधि 31 मई को समाप्त होने वाली थी।
1987 बैच के एजीएमयूटी कैडर के अधिकारी रहे नरेश कुमार ने अप्रैल 2022 में दिल्ली के मुख्य सचिव के रूप पदभार ग्रहण किया था। उनकी नियुक्ति के बाद से ही भाजपा की केंद्र सरकार और आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार के बीच रस्साकशी चल रही है। नवंबर 2023 में दिल्ली सरकार ने नरेश कुमार के कार्यकाल को बढ़ाए जाने का विरोध किया था। इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
नरेश कुमार के सेवा विस्तार का दिल्ली सरकार ने किया था विरोध
दिल्ली सरकार ने इसमें केंद्र सरकार पर आरोप लगाया था कि उनके साथ किसी भी परामर्श के बिना नरेश कुमार के कार्यकाल बढ़ाया गया। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के फैसले को बरकार रखा। शीर्ष अदालत ने कहा था कि केंद्र के पास दिल्ली में मुख्य सचिव नियुक्त करने का अधिकार है और केंद्र सरकार मुख्य सचिव को 6 महीने का सेवा विस्तार दे सकती है। शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार के दलील को सही ठहराया था कि उसके पास अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार है।
आप ने नरेश पर लगाया था भ्रष्टाचार का आरोप
आम आदमी पार्टी ने नवंबर 2023 में नरेश कुमार पर टेंडर हासिल करने में बेटे को फायदा पहुंचाने का आरोप भी लगाई थी। यह आरोप दिल्ली की मंत्री आतिशी ने लगाए थे। आतिशी ने कहा था कि द्वाराका एक्सप्रेसवे में भूमि अधिग्रहण में हेरफेर कर मुख्य सचिव के बेटे की कंपनी को 315 करोड़ का फायदा पहुंचाया गया है। आतिशी ने नरेश को उनके पद से हटाने और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कर्रवाई को लेकर उपराज्यपाल वीके सक्सेना को रिपोर्ट भी दिया था। उपराज्यपाल ने रिपोर्ट को ‘पूर्वाग्रहपूर्ण’ और ‘गुणहीन’ बताते हुए खारिज कर दिया था।
नरेश कुमार ने शराब घोटाले की राज्यपाल को दी थी जानकारी
अरुणाचल प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव और नई दिल्ली नगर परिषद के अध्यक्ष नरेश कुमार ने ही शराब घोटाले को उजागर किया था। वह शराब नीति मामले में सतर्कता जांच के शीर्ष पर थे, जिसके कारण मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सहित आप के कई वरिष्ठ मंत्रियों की गिरफ्तारी हुई। दिल्ली सरकार ने 2021 में शराब नीति बनाई थी। एक साल से भी कम समय बाद, जुलाई 2022 में नरेश कुमार ने उपराज्यपाल (एल-जी) विनय कुमार सक्सेना को नीति में उल्लंघन की सूचना दी। इसकी जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश की। उन्होंने बताया था कि नई शराब नीति से राजकोष को 580 करोड़ रुपये से अधिक का आर्थिक नुकसान हुआ है। नरेश कुमार की जांच रिपोर्ट पर ही आप के कई नेताओं और इससे जुड़े लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई और छापेमारी की गई।