जबलपुर: मध्य प्रदेश पुलिस ने 81 करोड़ से अधिक की धोखाधड़ी को लेकर जबलपुर में 11 निजी स्कूलों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। इन स्कूलों पर कथित तौर पर अवैध रूप से फीस बढ़ाने और छात्रों को निजी प्रकाशकों से किताबें खरीदने के लिए मजबूर करने का आरोप है। मामले में 20 लोगों को गिरफ्तार किया है। साथ ही जिला प्रशासन ने स्कूलों पर 2-2 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
स्कूलों को 30 दिन के भीतर अभिभावकों को पैसा लौटान के निर्देश
जबलपुर कलेक्टर दीपक कुमार सक्सेना ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया कि 11 स्कूलों ने 21,000 छात्रों से 81.30 करोड़ रुपये की अतिरिक्त फीस वसूली है। हमने पूरी राशि वापस करने का आदेश दिया है और 2-2 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। कलेक्टर ने कहा कि अगर स्कूलों ने 30 दिन के भीतर अभिभावकों को पैसे नहीं लौटाए तो प्रशासन कुर्की की कार्रवाई शुरू करेगा।
51 लोगों पर दर्ज हुई एफआईआर
रिपोर्ट के मुताबिक, मामले में स्कूलों के संचालक, प्राचार्य और निजी प्रकाशकों समेत 51 लोगों पर धारा 420, 409, 468, 471 के तहत एफआइआर दर्ज किया गया है। जिसमें से 20 की गिरफ्तारी हुई है। जबलपुर कलेक्टर ने इस घोटाला करार दिया है। सोमवार को मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि स्कूलों ने फीस में अनधिकृत वृद्धि के माध्यम से 100 करोड़ रुपये से अधिक एकत्र किए हैं। यह घोटाला लगभग 240 करोड़ रुपये का होगा।
नियमों को ताक पर रखकर स्कूलों ने फीस वृद्धि में की मनमानी
पुलिस अधिकारी के मुताबिक अभिभावकों की तरफ से 250 शिकायतें मिलने के बाद जांच 1 अप्रैल, 2024 को शुरू हुई। शुरुआत में 11 स्कूलों का निरीक्षण किया गया। जिसमें पाया गया कि स्कूल फीस नियामक अधिनियम की धारा 5/2 का पालन किए बिना शुल्क बढ़ाई गई। ऑडिट रिपोर्ट भी अपलोड नहीं की गई थी। नियम के मुताबिक अगर स्कूल अपनी फीस में 10% से अधिक की वार्षिक शुल्क वृद्धि करते हैं तो उन्हें कलेक्टर की मंजूरी लेनी होगी। वहीं, 15 प्रतिशत और उससे अधिक की बढ़ोतरी के लिए राज्य-स्तरीय समिति की मंजूरी लेना जरूरी होता है। इसके अलावा, यदि फीस वृद्धि 5 प्रतिशत से अधिक है तो स्कूलों को जिला समिति को सूचित करना होता है। लेकिन 11 स्कूलों ने ऐसा कुछ भी नहीं किया।
स्कूलों ने पाठ्यक्रम में फर्जी आईएसबीएन नंबर वाली किताबें जोड़ीं
स्कूलों पर यह भी आरोप है कि वह हर साल बिना किसी विशेषज्ञ समिति की मंजूरी के पाठ्यक्रम में बदलाव किया करते थे। पाठ्यक्रम में नकली और फर्जी आईएसबीएन किताबें जोड़ी गईं। पाठ्यक्रम में 60 प्रतिशत से 100 प्रतिशत बदलाव किए गए। और इसमें स्कूल संचालक से लेकर प्रकाशक और विक्रेताओं तक की मिलीभगत होती थी। अभिभावकों का कहना था कि ये किताबें बाजार में दुकानों पर नहीं मिलती थी बल्कि इसे निर्धारित दुकानों से खरीदना पड़ता था, जिनकी एमआरपी अक्सर दोगुनी होती थी।’
इन स्कूलों पर हुई है कार्रवाई
इस धोखाधड़ी में कई स्कूलों का नाम आया है। जिनमें क्राइस्ट चर्च वॉयेज स्कूल, ज्ञान गंगा स्कूल, स्टेम फील्ड इंटरनेशनल स्कूल, लिटिल वर्ल्ड स्कूल, चैतन्य स्कूल, सेंट अलॉयसियस स्कूल ( सालिवारा), सेंट अलॉयसियस (घमापुर), सेंट अलॉयसियस ( सदर), सेंट अलायसियस (पोलीपाथर), क्राइस्ट चर्च (घमापुर), क्राइस चर्च डायसेशन शामिल हैं।