नई दिल्ली: आईएसआईएस (ISIS) जैसे आतंकी संगठनों की नजर इन दिनों बड़ी मल्टी नेशनल कंपनियों में काम कर रही महिलाओं पर है, जिन्हें वह अपने लिए इस्तेमाल करना चाहता है। सामने आई जानकारी के अनुसार खुफिया एजेंसियों ने करीब 350 महिलाओं पर नजर रखी है जो सीधे आईएसआईएस के टार्गेट में हैं। इन महिलाओं में ज्यादातर अमेरिकी हैं और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के महत्वपूर्ण सुरक्षा क्षेत्रों में काम करती हैं।
डेक्कन क्रोनिकल की रिपोर्ट के अनुसार घटनाक्रम से जुड़े सूत्रों ने कहा कि बहुराष्ट्रीय कंपनियों की सुरक्षा क्षेत्रों में संवेदनशील भूमिकाएं संभालने वाली इन महिलाओं को आईएसआईएस जैसे अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठनों भविष्य की भयावह साजिशों को अंजाम देने के लिए अपना निशाना बना सकते हैं।
केरल का प्रतिबंधित संगठन है सक्रिय
रिपोर्ट के अनुसार केरल का एक प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन समान नौकरियों या ऐसी कंपनियों से नौकरी देने का झांसा देने के लिए इन महिलाओं तक पहुंच की कोशिश में है। आतंकी संगठन ने अपने हैंडलर्स भी तैनात कर दिए हैं, जो इन लड़कियों को झांसा देने का काम करेगा। सूत्रों ने बताया कि इन लोगों इन लड़कियों के घरों के नजदीक ही अपना घर भी ले लिया है।
केरल स्थित यह आतंकवादी समूह एक दशक पहले अपना हेडक्वॉर्टर दिल्ली के शाहीन बाग में स्थानांतरित कर चुका है। अब इसने अपने हैंडलर्स को तैनात किया है ताकि ऐसी महिला कर्मचारियों को फांसाया जा सके जो उनकी रणनीति से अनजान हों।
स्थानीय आतंकी संगठन की गतिविधियों पर एजेंसियों ने पहली बार लगभग छह महीने पहले ही ध्यान दिया था। हालांकि, गहन निगरानी दो महीने पहले ही शुरू की गई है। रिपोर्ट के अनुसार आतंकी समूहों द्वारा निशाना बनाई जाने वाली महिलाएं ज्यादातर केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल में कार्यरत हैं। निगरानी के अलावा एजेंसियां महिलाओं की पारिवारिक पृष्ठभूमि आदि की भी अभी जांच कर रही हैं ताकि मौके पर उन्हें भटकने से रोका जा सके।
अनुमान है कि आईएसआईएस ने पश्चिम एशिया में प्रवासी भारतीयों को निशाना बनाया है, जिन्होंने बदले में अपने देश में ऐसी महिला पेशेवरों की पहचान उजागर जिन्हें आतंकी अपने घातक एजेंडे के लिए भर्ती कर सकें। इन महिलाओं का उपयोग बहुराष्ट्रीय कंपनियों में बड़ी समस्या पैदा करने, संभावित रूप से उपभोक्ता हितों को प्रभावित करने और भारत की ब्रांड छवि को नुकसान पहुंचाने के लिए किया जा सकता है।
पढ़े-लिखे और तकनीकी रूप से दक्ष युवाओं के आतंकी संगठन से जुड़ने से बढ़ी मुश्किलें
एजेंसियों के लिए चुनौती इसलिए भी बड़ी हो रही है क्योंकि अब तकनीकी रूप से दक्ष युवा आईएसआईएस में शामिल हो रहे हैं। अभी हाल में एक ऐसे ही कश्मीरी जोड़े की खबर सामने आई थी। पति एमबीए के साथ इंजीनियरिंग स्नातक था और पत्नी आईटी पृष्ठभूमि वाली थी, इस कदर शिक्षित होने के बावजूद वे आईएसआईएस में शामिल हुए। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की ओर से दर्ज केस के बाद इन्हें दोषी ठहराया गया।
बी.टेक और एमबीए जैसी डिग्री रखने के बावजूद कश्मीरी दंपति आईएसआईएस के प्रमुख समूह इस्लामिक स्टेट-खुरासान प्रांत से जुड़े हुए पाए गए थे। जहांजैब सामी वानी और उनकी पत्नी हिना बशीर बेघ 2019 में जम्मू-कश्मीर से दिल्ली आए थे। जहानजैब यूनाइटेड किंगडम स्थित एक कंपनी में कार्यरत था और उसकी पत्नी के पास एमबीए के साथ कंप्यूटर एप्लीकेशन में स्नातक की डिग्री थी।
पत्नी 6 अक्टूबर, 2019 को अपनी शादी के लिए छुट्टी लेने से पहले तक कुछ बैंकों में काम कर चुकी थी। इस शादी के दौरान श्रीनगर कर्फ्यू में था क्योंकि कुछ ही दिनों पहले 5 अगस्त को केंद्र ने अनुच्छेद 370 को निरस्त किया था। बहरहाल, दंपति को 6 मई को 2020 के आतंक के मामले में दोषी ठहराया गया।