नई दिल्ली: फिलिस्तीन को लेकर आयरलैंड, स्पेन और नॉर्वे की तरफ से एक बड़ा बयान आया है। इन तीनों देशों ने बुधवार को ऐलान किया है कि वे फिलिस्तीन को एक राष्ट्र के तौर पर मान्यता देने के लिए तैयार है।
आयरलैंड के प्रधानमंत्री साइमन हैरिस ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए इसकी घोषणा की है। यही नहीं स्पेन के पीएम पेड्रो सांचेज़ ने कहा है कि वे 28 मई को फिलिस्तीन को मान्यता देंगे। इसी दिन नॉर्वे भी फिलिस्तीन को आजाद राज्य का दर्जा देने के लिए तैयार है।
बता दें कि फिलिस्तीन को संयुक्त राष्ट्र का सदस्य बनने के लिए 10 मई को वोटिंग हुई थी। इस वोटिंग में संयुक्त राष्ट्र महासभा के कुल 143 सदस्यों ने हिस्सा लिया थी। इसमें भारत ने फिलिस्तीन के पक्ष में वोट किया था। अमेरिका और इजराइल के साथ सात अन्य सदस्यों ने इसके विरोध में वोट डाले थे जबकि 25 देश इसमें अनुपस्थित थे।
Today, the Government announces it will formally recognise the State of Palestine on May 28th.
Today, we state clearly our unambiguous support for the equal right to security, dignity, and self-determination for the Palestinian and Israeli peoples. pic.twitter.com/uGoymhg5VD
— Micheál Martin (@MichealMartinTD) May 22, 2024
घोषणा के बाद इजराइल की प्रतिक्रिया आई सामने
इन तीनों देशों द्वारा फिलिस्तीन को यूएन के सदस्य के तौर पर मान्यता देने के ऐलान पर इजराइल की भी प्रतिक्रिया सामने आई है। इस पर इजराइल के विदेश मंत्री इजराइल काट्ज़ ने एक्स पर एक बयान जारी किया है।
I have instructed the immediate recall of Israel’s ambassadors to Ireland and Norway for consultations in light of these countries’ decisions to recognize a Palestinian state.
I’m sending a clear and unequivocal message to Ireland and Norway: Israel will not remain silent in the…
— ישראל כ”ץ Israel Katz (@Israel_katz) May 22, 2024
उन्होंने आयरलैंड और नॉर्वे से अपने राजदूतों को ‘तत्काल वापस बुलाने’ की घोषणा की है। इजराइल शुरू से फिलिस्तीन के यूएन के सदस्य बनने का विरोध करता रहा है। ऐसे में जैसे-जैसे कोई देश फिलिस्तीन को समर्थन और मान्यता देने की बात कहते रहे हैं तो इजराइल इसका विरोध करता रहा है।
संयुक्त राष्ट्र का सदस्य बनने के लिए क्वालिफाई हुआ था फिलिस्तीन
इसी महीने 10 मई को हुई वोटिंग में फिलिस्तीन संयुक्त राष्ट्र का सदस्य नहीं बन सका है, लेकिन वह सदस्य बनने के लिए क्वालिफाई हो गया है। इससे पहले 18 अप्रैल को फिलिस्तीन को पूर्ण सदस्यता देने के प्रस्ताव पर अमेरिका ने वीटो लगा दिया था।
ऐसे में अमेरिका के वीटो के बाद फिलिस्तीन संयुक्त राष्ट्र का परमानेंट मेंबर नहीं बन सका था।
क्वालिफाई होने पर फिलिस्तीन को क्या मिले हैं अधिकार
संयुक्त राष्ट्र का सदस्य बनने के लिए क्वालिफाई होने पर फिलिस्तीन को कई अधिकार मिले हैं। क्वालिफाई होने पर फिलिस्तीन को यूएन में सभी मुद्दों पर प्रस्तावित एजेंडा मदों पर बोलने का अधिकार मिला है।
यही नहीं उसे संयुक्त राष्ट्र एवं अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में हिस्सा लेने का भी अधिकार मिला है। इन अधिकारों के बावजूद फिलिस्तीन को महासभा में वोट देने का अधिकार अभी नहीं मिला है।
कितने देशों ने अब तक फिलिस्तीन को दी है मान्यता
संयुक्त राष्ट्र के 193 मेंबर देशों में से 143 देशों ने फिलिस्तीन को एक आजाद राज्य के रूप में मान्यता दी है। हाल में 27 यूरोपीय संघ के सदस्य देशों में से केवल सात ने ही फिलिस्तीन को एक राज्य का दर्जा दिया है।
इन देशों में पोलैंड, बुल्गारिया, रोमानिया, हंगरी, चेक गणराज्य, स्लोवाकिया, स्वीडन और साइप्रस शामिल हैं। कई राजनयिक प्रयासों के बावजूद यूरोपीय संघ गुट के भीतर इसे मान्यता नहीं मिल रही है। कैमरून और इरिट्रिया को छोड़कर सभी अफ्रीकी राज्य फिलिस्तीन को एक राज्य के रूप में मान्यता देते हैं।
फिलिस्तीन के बारे में क्या कहता है इजराइल
कई सालों से अंतर्राष्ट्रीय समुदाय फिलिस्तीन और इजराइल के मुद्दों को सुलझाने की कोशिश कर रहा है। साल 1988 में फिलिस्तीन मुक्ति संगठन (पीएलओ) ने फिलिस्तीन को एक राज्य के रूप में घोषणा की थी।
मौजूदा दौर में फिलिस्तीनियों के पास फिलिस्तीनी प्राधिकरण (पीए) के जरिए वेस्ट बैंक के केवल कुछ हिस्सों पर कब्जा है। साल 2007 में पीए ने गाजा पट्टी पर से अपना नियंत्रण खो दिया था और तब से यहां पर हमास का कंट्रोल है।
इन दोनों क्षेत्रों को लेकर संयुक्त राष्ट्र का यह मानना है कि यह इजराइल द्वारा कब्जा किया गया है और इसे एक ही राजनीतिक इकाई मानता है। दूसरी और इजराइल फिलिस्तीन को कोई राज्य नहीं मानता है। वह सुरक्षा का हवाला देते हुए वेस्ट बैंक और गाजा में फिलिस्तीनी राज्य के बनने का विरोध करता है।