दिल्ली: सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने मंगलवार को कहा कि भारतीय सेना प्रोजेक्ट ‘उद्भव’ के तहत महाकाव्य महाभारत के युद्धों, प्रख्यात सैन्य हस्तियों के वीरतापूर्ण कारनामों और शासन कला में भारत की समृद्ध विरासत का अध्ययन कर रही है। इसका उद्देश्य रक्षा क्षेत्र में देश के दृष्टिकोण को समृद्ध करना है। उन्होंने कहा पिछले साल शुरू किया गया प्रोजेक्ट ‘उद्भव’ असल में वेदों, पुराणों, उपनिषदों और अर्थशास्त्र जैसे प्राचीन ग्रंथों में गहराई से उतरने का मौका देता है और इसने प्रतिष्ठित भारतीय और पश्चिमी विद्वानों के बीच अहम जुड़ाव का खुलासा किया है।
सेना प्रमुख ने ‘भारतीय सामरिक संस्कृति में ऐतिहासिक पैटर्न’ विषय पर एक संगोष्ठी में यह बातें कही। सेना प्रमुख ने कहा कि भारतीय सेना महाभारत के अलावा मौर्य, गुप्त और मराठों की ‘रणनीतिक प्रतिभा’ का भी अध्ययन कर रही है। इसका उद्देश्य देश के ऐतिहासिक सैन्य ज्ञान से जानकारी प्राप्त करके सैन्य बल को प्रगतिशील और भविष्य के लिए तैयार बनाना है।
सेना प्रमुख मनोज पांडे ने कार्यक्रम में कहा, ‘प्राचीन भारतीय ज्ञान 5000 साल पुरानी सभ्यता की विरासत में निहित है, जहां ज्ञान के साथ अत्यधिक मूल्य जुड़ा हुआ था। इस विरासत को बौद्धिक साहित्य के विशाल भंडार, पांडुलिपियों के दुनिया के सबसे बड़े संग्रह और विभिन्न क्षेत्रों में विचारकों और संस्थाओं के जरिए देखा जा सकता है।’
उन्होंने कहा कि इस परियोजना में वेदों, पुराणों, उपनिषदों और अर्थशास्त्र जैसे प्राचीन ग्रंथों की गहराई से पड़ताल की गई है, जो परस्पर जुड़ाव, धार्मिकता और नैतिक मूल्यों पर आधारित हैं।
क्या है प्रोजेक्ट ‘उद्भव’?
प्रोजेक्ट उद्भव को सेना और यूनाइटेड सर्विस इंस्टट्यूशन (यूएसआई) के सहयोग से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा अक्टूबर 2023 में भारतीय सैन्य विरासत उत्सव में लॉन्च किया गया था। इसी के नए हिस्से के रूप में मंगलवार को दिल्ली के राष्ट्रीय संग्रहालय में ‘भारतीय सामरिक संस्कृति के ऐतिहासिक पैटर्न’ पर एक संगोष्ठी-सह-प्रदर्शनी आयोजित की गई थी।
इस प्रोजेक्ट की लॉन्चिंग के समय बताया गया था कि इसका उद्देश्य आधुनिक सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए एक अद्वितीय और समग्र दृष्टिकोण तैयार करते हुए समकालीन सैन्य प्रथाओं के साथ प्राचीन ज्ञान का इस्तेमाल करना है। यह भारतीय सेना की एक दूरदर्शी पहल है जो सदियों पुराने ज्ञान को समकालीन सैन्य शिक्षाशास्त्र के साथ एकीकृत करना चाहती है।
‘उद्भव संकलन (2023-2024)’ को विशेष रूप से सैन्य मामलों और सामान्य रूप से शासन कला के लिए भारत के प्राचीन ज्ञान पर, भविष्य की शिक्षा के लिए एक रिकॉर्ड बनाने के लिए डिजाइन किया गया है। इसमें छह अध्याय और कई परिशिष्ट शामिल हैं।
सेना ने इससे पहले प्राचीन ग्रंथों पर आधारित भारतीय रणनीतियों के संकलन से संबंधित एक प्रोजेक्ट को समर्थन दिया था। इसके बाद 75 सूत्रों पर एक पुस्तक और एक अन्य किताब- ‘पारंपरिक भारतीय दर्शन – राजनीति और नेतृत्व के शाश्वत नियम’ प्रकाशित हुए। सेना में सभी रैंकों को इस पुस्तक को पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
सेना की ओर से यह कदम ऐसे समय में उठाए जा रहे हैं जब सशस्त्र बल सैन्य रीति-रिवाजों के स्वदेशीकरण पर ध्यान केंद्रित कर रहा हैं। इस कोशिश में कई औपनिवेशिक परंपराओं को खत्म के लिए कुछ कदम उठाए हैं। इनमें नेवी द्वारा मराठा शासक छत्रपति शिवाजी महाराज की मुहर से प्रेरित ध्वज के साथ एक नया ध्वज अपनाना और सेंट जॉर्ज के क्रॉस को हटाना जैसी बातें शामिल हैं। इसके अलावा रक्षा मंत्रालय द्वारा ब्रिटिश काल की छावनियों का नाम बदले जाने को लेकर अभियान भी शुरू किया गया है।