तेहरान: ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी और विदेश मंत्री हुसैन अमीर-अब्दुल्लाहियान की हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मौत की पुष्टि के बाद ईरान में जहां कुछ लोग गमजदा है तो वहीं कुछ लोगों द्वारा जश्न मनाने की भी खबरें आई है।
सोशल मीडिया पर कई वीडियो वायरल हो रहे हैं, जिसमें लोगों को पटाखे जलाते और डांस करते हुए देखा गया है। केवल ईरान में ही नहीं बल्कि कुछ दूसरे देशों में भी लोगों को जश्न मनाते हुए देखा गया है। इसके अलावा दुर्घटना को लेकर सोशल मीडिया पर कई मीम्स भी वायरल हो रहे हैं।
ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की पहचान एक कट्टरपंथी नेता के रूप में थी। उन पर लोकतंत्र की मांग को दबाने और फ्री स्पीच को कुचलने का भी आरोप लगा था। डेल मेल की रिपोर्ट के अनुसार, अली खामेनेई की वसीयत की क्रूर और कट्टरपंथी निष्पादक के रूप में ख्याति अर्जित करने वाले राष्ट्रपति रईसी ने अपने पीछे एक ऐसी विरासत छोड़ी है।
लोगों ने ऐसे मनाया जश्न
राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की मौत की खबर सुनने के बाद मीनू मजीदी की बेटियों ने जश्न मनाया है। 62 साल की मीनू मजीदी वही महिला थीं, जिनकी सितंबर 2022 में महसा अमिनी की मौत के बाद सुरक्षा कार्रवाई में मौत हो गई थी।
इसके बाद दो अन्य ईरानी महिलाओं का भी वीडियो सामने आया है जो इस खबर पर खुशी मनाती दिखाई दे रही है। मेरसेदेह शाहीनकर और सिमा मोरादबेगी को हंसते और डांस करते हुए देखा गया है। साल 2022 के विरोध प्रदर्शन के दौरान शाहीनकर को सुरक्षा बलों ने अंधा कर दिया था और पुलिस कार्रवाई में मोरादबेगी का एक हाथ काम करना बंद कर दिया था।
Just a few months ago, Ebrahim Raisi executed her son, Now, she’s dancing over his death in a helicopter crash.
I told you Iranian women are wounded, but unbowed to their oppressors.
My social media is flooded with videos of the family members of those killed by the President of… pic.twitter.com/y2PR1XkGGx— Masih Alinejad 🏳️ (@AlinejadMasih) May 20, 2024
इन लोगों के अलावा कई अन्य लोगों ने भी जश्न मनाया है। ईरान के लंदन एंबेसी के बाहर भी लोगों ने जश्न मनाया है और खुशी में डांस किया है। सीरिया में भी लोगों को जश्न मनाते हुए कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं।
– Have some cookies
-The occasion?
-Well, we both know the occasion.
Laughter.
This video I received from inside Iran speaks volumes about how oppressed people celebrate the death of their oppressors like Ebrahim Raisi. #IranIsHappy
pic.twitter.com/YcmADvamiS— Masih Alinejad 🏳️ (@AlinejadMasih) May 20, 2024
कौन थे राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी
राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ईरान के सबसे ताकतवर नेताओं में से एक थे। उनका जन्म साल 1960 में ईरान के मशहद में हुआ था। वे बहुत ही कम उम्र में ही न्यायपालिका में शामिल हो गए थे।
उनके राष्ट्रपति पद पर बने रहने के दौरान देश में मानवाधिकार के मुद्दों पर विरोध प्रदर्शन भी देखा गया है। यही नहीं उनके कार्यकाल के दौरान यूरेनियम संवर्धन में भी वृद्धि देखी गई थी।
खामेनेई से इनके क्या रिश्ते थे?
राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी को सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई का बहुत ही करीबी माना जाता है। राष्ट्रपति रईसी को लेकर यह बात आम है कि सुप्रीम लीडर खामेनेई ने उन्हें व्यक्तिगत तौर पर तैयार किया था। रईसी केवल ईरान के राष्ट्रपति ही नहीं थे बल्कि उनको लेकर यह कहा जाता था कि वे आने वाले दिनों में सुप्रीम लीडर खामेनेई की जगह लेंगे।
क्यों रईसी को कहा जाता है ‘बुचर ऑफ ईरान’
रईसी साल 1988 में विवादास्पद “डेथ कमेटी” का हिस्सा थे। इस कमेटी ने लगभग पांच हजार राजनीतिक कैदियों को फांसी की सजा सुनाई थी। माना जाता है कि कैदियों की आवाज को दबाने में रईसी का बड़ा हाथ था। इस तरीके से हजारों की संख्या में कैदियों को सजा सुनाने को लेकर इन्हें ‘बुचर ऑफ ईरान’ भी कहा जाता है। हालांकि रईसी ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों से इंकार किया था।
लोकतंत्र की मांग के आंदोलनों को दबाते थे
साल 2017 में वे राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़े थे लेकिन वे हसन रूहानी से हार गए थे, बाद में वे 2019 में मुख्य न्यायाधीश बने थे। ऐसे में उन्होंने साल 2021 में फिर से चुनाव लड़ा था और उन्हें केवल 62 फीसदी ही वोट मिला थी।
चुनाव के दौरान उदारवादी उम्मीदवारों को अयोग्य ठहराने को लेकर भी उनकी खूब आलोचना हुई थी। वे साल 2021 के विवादित राष्ट्रपति चुनाव के बाद सत्ता में आए थे।
उनके राष्ट्रपति बनने के बाद ईरान में सख्त कानून लागू किए गए और सरकार के खिलाफ जाने वालों को कड़ी सजा देना शुरू हो गया था। ईरान में पूर्ण लोकतंत्र बहाली का संघर्ष काफी समय से चल रहा है।
उन पर असहमति और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कुचलने का भी आरोप लगता रहा है। यही नहीं महिलाओं के कपड़ों को लेकर भी कानून बना था और ‘हिजाब कानून’ को सख्ती से लागू किया गया था।
फ्री स्पीच को कुचलने में इनकी क्या भूमिका है?
सत्ता में आने के बाद रईसी ने बेहद सख्त रूढ़िवादी नीतियां लागू की थी। उन्होंने देश में इस्लामी कानून लागू करने के लिए कई अहम कदम उठाए थे। रईसी ने मोरैलिटी पुलिस को असीमित शक्तियां दी थी ताकि सरकार के खिलाफ उठने वाली सभी आवाजों को दबाया जा सके।
पूरे देश में ‘हिजाब कानून’ के खिलाफ उठ रही आवाज को रईसी ने दबाने की कोशिश की थी और विरोध करने वालों की गिरफ्तारी होती थी।
इस बीच साल 2022 में हिजाब के कानूनों का विरोध कर रही महसा अमिनी नामक एक लड़की को पुलिस ने हिरासत में ले लिया था। हिरासत में लड़की की मौत हो गई और पुलिस पर उसके साथ अत्याचार और हत्या का आरोप लगा था। इस दौरान रईसी की सरकार की काफी आलोचना भी हुई थी। राष्ट्रपति पर फ्री स्पीच को दबाने का भी आरोप लगा था।