नई दिल्ली: भारत की उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति अप्रैल में 11 महीने के निचले स्तर 4.83 प्रतिशत पर आ गई है, जिससे घरेलू बजट में और अधिक राहत मिली। सांख्यिकी मंत्रालय के सोमवार को जारी आंकड़ों में ये बात सामने आई है।
आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि ‘कपड़े और जूते’, ‘आवास’ और ‘ईंधन और प्रकाश’ पर साल-दर-साल मुद्रास्फीति में कमी आई है। खुदरा महंगाई दर अब आरबीआई के 4 प्रतिशत के लक्ष्य के करीब आ गई है। इससे प्रमुख ब्याज दरों में कटौती की संभावना बढ़ गई है।
खाना पकाने वाले तेल की कीमतें गिरी, मसालों के बढ़ें
सीपीआई मुद्रास्फीति हाल के महीनों में गिरावट का ग्राफ दिखा रही है। यह फरवरी में 5.09 प्रतिशत से गिरकर मार्च में 4.85 प्रतिशत और इस साल जनवरी में 5.1 प्रतिशत हो गई।
खाना पकाने के तेल की कीमतों में गिरावट अप्रैल में भी जारी रही और महीने के दौरान इसमें 9.43 प्रतिशत की गिरावट आई। मसालों की कीमत में वृद्धि फरवरी में 13.28 प्रतिशत से घटकर मार्च में 11.4 प्रतिशत हो गई।
मुद्रास्फीति को लेकर आरबीआई ने क्या कहा है
अप्रैल के दौरान दालों की मुद्रास्फीति भी मार्च के 17.71 प्रतिशत की तुलना में कम होकर 7.75 प्रतिशत हो गई। आंकड़ों से पता चलता है कि अप्रैल में सब्जियों की कीमतें हालांकि 27.8 प्रतिशत तक बढ़ गईं, जो उपभोक्ताओं के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है। माह के दौरान अनाज की कीमतों में भी 8.63 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
आरबीआई ने 5 अप्रैल को अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा में कहा था कि उसे उम्मीद है कि इस साल सामान्य मानसून को देखते हुए 2024-25 में मुद्रास्फीति घटकर 4.5 प्रतिशत पर आ जाएगी। (आईएएनएस)