दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को बड़ी राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उन्हें कथित शराब घोटाले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 1 जून तक अंतरिम जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया। कोर्ट ने साथ ही स्पष्ट किया कि केजरीवाल को दो जून को आत्मसमर्पण करना है। एक जून को लोकसभा चुनाव के तहत सातवें और अंतिम चरण का मतदान भी है। केजरीवाल की ओर से इस बीच लोकसभा चुनाव के नतीजों के दिन (4 जून) तक के लिए जमानत की मांग की गई लेकिन कोर्ट ने इसे ठुकरा दिया।
दिल्ली के मुख्यमंत्री को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 21 मार्च को गिरफ्तार किया था। इसके साथ ही वह भारत के पहले ऐसे शख्स बन गए जिन्हें मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए जेल में डाला गया। केजरीवाल को 2 नवंबर, 2023 से 21 मार्च, 2024 के बीच कथित शराब घोटाले के संबंध में पूछताछ के लिए ईडी द्वारा 9 समन जारी किए गए थे। आखिर में केजरीवाल ने दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका दायर कर मामले के संबंध में ईडी द्वारा उनके खिलाफ ‘कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं’ करने का निर्देश देने की मांग की थी। हालांकि, कोर्ट ने तब केजरीवाल को कोई राहत नहीं दी।
इस सुनवाई के कुछ ही घंटों बाद ईडी की टीम देर शाम केजरीवाल के घर पहुंची और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। बहरहाल, कोर्ट ने अब केजरीवाल को 21 दिन जमानत दे दी है। हालांकि, साथ ही कुछ शर्तें भी रखी हैं, जिसका पालन केजरीवाल को करना होगा।
केजरीवाल के लिए सुप्रीम कोर्ट ने रखी है क्या शर्तें?
– कोर्ट ने निर्देश दिया है कि केजरीवाल मुख्यमंत्री कार्यालय और दिल्ली सचिवालय नहीं जाएंगे।
– कोर्ट ने यह भी कहा है कि केजरीवल किसी भी आधिकारिक फाइल पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे, जब तक कि यह दिल्ली के उपराज्यपाल की मंजूरी/अनुमोदन प्राप्त करने के लिए यह आवश्यक नहीं हो।
– केजरीवाल को शराब घोटाला मामले में उनकी भूमिका के बारे में टिप्पणी करने से मना किया गया है।
– केजरीवाल मामले से संबंधित किसी भी गवाह से बातचीत नहीं करेंगे और साथ ही मामले से जुड़ी किसी भी आधिकारिक फाइल तक भी उनकी पहुंच नहीं होगी।
इससे पहले गुरुवार को ईडी ने केजरीवाल को अंतरिम राहत देने का विरोध करते हुए कहा था कि एक राजनेता एक सामान्य नागरिक से अधिक ‘विशेष दर्जे’ का दावा नहीं कर सकता और अपराध करने पर उसे किसी अन्य नागरिक की तरह ही गिरफ्तार और हिरासत में लिया जा सकता है।
ईडी के उप निदेशक के हलफनामे में कहा गया है कि ऐसा कोई सिद्धांत नहीं है जो एक किसान या एक व्यवसायी को अपना काम करने के लिए जमानत दी जाय। चुनाव प्रचार करने के लिए एक नेता को अलग छूट देना उचित नहीं है। हलफनामे में कहा गया है कि इससे पहले किसी भी नेता को चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत नहीं दी गई है। केजरीवाल चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। अगर कोई चुनाव लड़ भी रहा है तो उसे भी प्रचार के लिए अंतरिम जमानत नहीं दी जाती है।
ईडी ने तर्क दिया था कि पिछले पांच साल में लगभग 123 चुनाव हुए हैं और यदि चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत दी जानी है, तो किसी भी राजनेता को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है या न्यायिक हिरासत में नहीं भेजा जा सकता।