टाटा के स्वामित्व वाली एयर इंडिया एक्सप्रेस पिछले दो दिन से लगातार सुर्खियों में है। करीब 300 क्रू मेंबर्स के एक साथ सिक लीव (sick leave) लेने के बाद बुधवार (8 मई, 2024) को हड़कंप मच गया। इसके बाद कर्मचारियों की कमी की वजह से मंगलवार देर रात से बुधवार रात तक करीब 90 से ज्यादा फ्लाइट्स (इंटरनेशनल फ्लाइट्स भी) को रद्द करना पड़ा। कंपनी की फजीहत हुई सो अलग लेकिन सबसे ज्यादा परेशानी यात्रियों को उठानी पड़ी। इसका असर गुरुवार को भी नजर आया और 70 से ज्यादा उड़ाने रद्द हुई हैं।
न्यूज एजेंसी ने IANS के अनुसार एयर इंडिया एक्सप्रेस की गुरुवार को कुल 292 उड़ानें थीं, जिसमें से 74 रद्द हुई हैं। वहीं, नाम न बताने की शर्त पर एक केबिन क्रू ने बताया कि एयरलाइन ने इसके जवाब में करीब 20 कर्मचारियों को नौकरी से हटा दिया है। अन्य मीडिया रिपोर्ट्स में 30 कर्मचारियों तक को निकाले जाने की सूचना है। इससे पहले पिछले महीने टाटा ग्रुप के ही विस्तारा एयरलाइंस के साथ भी कुछ ऐसी ही उठापटक देखने को मिली थी जब अप्रैल के शुरुआती दिनों में उसे रोजाना 25 से 30 फ्लाइट रद्द करने पड़े।
रिपोर्ट्स के अनुसार अप्रैल में विस्तारा को अपनी 100 से ज्यादा फ्लाइट रद्द करनी पड़ी थी। सवाल है कि आखिर टाटा ग्रुप की एयरलाइंस कंपनियों को क्यों ऐसी परेशानी झेलनी पड़ रही है। कर्मचारी क्या नाराज हैं? और अगर हां…तो इसकी वजह क्या है और ऐसी स्थिति क्या आगे भी देखने को मिलती रहेगी?
सिक पर क्यों चले गए एयर इंडिया एक्सप्रेस के 300 कर्मचारी, क्या है वजह?
एयर इंडिया एक्सप्रेस एयरलाइन की शुरुआत एयर इंडिया की ओर से ही 2005 में की गई थी। भारतीय प्रवासी समुदाय के लिए मध्य पूर्व और दक्षिण पूर्व एशिया में कम दूरी के अंतरराष्ट्रीय मार्गों के लिए सुविधाजनक कनेक्टिविटी प्रदान करने के उद्देश्य से एयरलाइन को कम लागत वाली फ्लाइट के रूप में लॉन्च किया गया था। तब एयर इंडिया टाटा का हिस्सा नहीं था। साल 2021 में टाटा ग्रुप ने एयर इंडिया सहित एयर इंडिया एक्सप्रेस को भी खरीदा।
इस डील से पहले से टाटा का मलेशिया की एयरलाइन कंपनी AirAsia Bhd के साथ एयरलाइंस क्षेत्र में निवेश था और भारत में एयर एशिया इंडिया नाम से फ्लाइट भी चल रही थी। हालांकि, साल 2020 से 2022 के बीच टाटा ने एयर एशिया इंडिया का अधिग्रहण कर लिया। दूसरी ओर एयर इंडिया की खरीद हुई और टाटा संस अब एयर एशिया इंडिया का मर्जर एयर इंडिया एक्सप्रेस से कर रहा है। एयर एशिया इंडिया का नाम अब बदलकर AIX कनेक्ट किया जा चुका है। विस्तारा एयरलाइंस भी है जिसमें टाटा संस की 51 फीसदी हिस्सेदारी है। वहीं, 49 प्रतिशत शेयर सिंगापुर एयरलाइंस का है। पूरा विवाद इसी मर्जर और कर्मचारियों के नए कॉन्ट्रैक्ट आदि को तैयार करने को लेकर है।
कर्मचारी लगा रहे भेदभाव सहित कई आरोप
जानकारी के मुताबिक एयर इंडिया एक्सप्रेस के कर्मचारी नौकरी की सुरक्षा, वेतन संरक्षण और वरिष्ठता और विशेषज्ञता की मान्यता को लेकर किए गए वादे में अंतर के आरोप लगा रहे हैं। मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट के अनुसार टाटा समूह ने 2022 में सरकार एयर इंडिया को लेने के बाद 2,700 पायलटों और 5,600 से अधिक केबिन क्रू के वेतन में बढ़ोतरी का वादा किया था।
हालांकि, पायलटों को पेश किए गए नए अनुबंधों में गारंटीकृत उड़ान भत्ता को 70 घंटे से घटाकर 40 घंटे प्रति माह का कर दिया गया है। यह भी विवाद का विषय बन गया है क्योंकि पायलटों का मानना है कि इससे उनके वेतन में काफी कटौती होगी। साथ ही निजीकरण के बाद कई पुराने कर्मचारी, जिन्होंने तीन दशकों से अधिक समय तक कंपनी में काम किया है, उनकी भी शिकायत है कि नया मैनेजमेंट उन्हें बाहर निकालने की कोशिश में है। एयर इंडिया पायलट यूनियन ने भी शिकायत की है कि नए कॉन्ट्रैक्ट यूनियन बनाने के अधिकार को छीनने के लिए डिजाइन किया गया है।
एयरलाइन के केबिन क्रू का प्रतिनिधित्व करने वाले एयर इंडिया एक्सप्रेस कर्मचारी संगठन (एआईएक्सईयू) ने टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन को टाटा ग्रुप द्वारा कंपनी के अधिग्रहण के बाद आ रही कर्मचारियों को आ रही समस्याओं को लेकर एक पत्र भी लिखा था, जिसमें एयर इंडिया एक्सप्रेस लिमिटेड की मौजूदा स्थिति के बारे में बताया गया था। यूनियन ने पत्र में आरोप लगाया गया कि एयरलाइन के कुप्रबंधन और स्टाफ के साथ अनुचित व्यवहार के कारण कर्मचारियों के मनोबल में कमी आई है।