चार धाम यात्रा (Char Dham Yatra) की शुरुआत इस साल 10 मई से हो रही है। इसी दिन यानी 10 मई को केदारनाथ धाम के कपाट खुलेंगे और फिर 12 मई को बद्रीनाथ धाम के भी कपाट खुल जाएंगे। इस यात्रा के लिए लाखों यात्रियों द्वारा ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराया गया है। वहीं, 8 मई से ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन की सुविधा मिल रही है, जिसे यात्री उत्तराखंड में हरिद्वार और ऋषिकेश में पंजीकरण केंद्रों पर करा सकते हैं। ऐसे में आइए इस यात्रा के बारे में पूरी डिटेल जानने की कोशिश करते हैं। चार धाम यात्रा क्या…इसका रुट क्या है, कितने दिनों की यात्रा ये होती है, इन सबके बारे में हम जानेंगे। साथ ही ये भी पता लगाने की कोशिश करेंगे कि इस यात्रा के आयोजन से उत्तराखंड को क्या फायदा होता है?
चार धाम यात्रा क्या है?
हिंदू मान्यताओं में चार धाम यात्रा को बहुत महत्व दिया गया है। इसके तहत उत्तराखंड में स्थित गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ की यात्रा शामिल है। ऐसी मान्यता है कि इन जगहों की यात्रा से जीवन- मरण के बंधन से इंसान को मुक्ति मिल जाती है और मृत्यु के बाद उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
नई सरकारी व्यवस्था के तहत इन जगहों पर यात्राओं के लिए पंजीकरण जरूरी है। इसके लिए ऑनलाइन या ऑफलाइन तरीके से पंजीकरण कराया जा सकता है। ऑनलाइन पंजीकरण के लिए यात्री https://registrationandtouristcare.uk.gov.in/ वेबसाइट पर जा सकते हैं।
दरअसल, साल 2014 से सरकार ने चार धाम यात्रा के लिए पंजीकरण को अनिवार्य कर दिया है। पंजीकरण प्रक्रिया पूरी होने के बाद यात्रियों को क्यूआर कोड जारी किया जाता है। पंजीकरण से आने वाले तीर्थयात्रियों की बेहतर निगरानी और आपात स्थिति को नियंत्रण करने में मदद मिलती है। यात्रियों के लिए ऐसा करना उनकी सुरक्षा के लिहाज से भी बेहतर है। रजिस्ट्रेशन के बाद आप एक मोबाइल ऐप में लॉग इन करके जरूरत पड़ने पर तत्काल चिकित्सा सहायता, पुलिस हेल्पलाइन आदि का लाभ भी उठाने में सक्षम होंगे।
चारधाम यात्रा का समापन साल के आखिर में होगा। केदारनाथ धाम के कपाट दो नवंबर 2024 को बंद होगे। वहीं, बद्रीनाथ धाम के कपाट 9 नवंबर को बंद हो जाएंगे। गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट तीन नवंबर को बंद होंगे।
चार धाम यात्रा….10 दिन, 10 रात…1500 किमी से ज्यादा की यात्रा, कितना खर्च?
चार धाम यात्रा 10 दिन और 10 रात का सफर है। इसमें हरिद्वार से लेकर बद्रीनाथ और लौटने तक में करीब 1500 से ज्यादा किमी की यात्रा आप इन दिनों में करते हैं। इस पूरी यात्रा के दौरान प्रति व्यक्ति को 18 से 25 हजार रुपये तक के खर्च का वहन करना पड़ सकता है।
चार धाम यात्रा…ऐसा होता है 10 दिनों का सफर
10 दिनों की यात्रा का पहला दिन हरिद्वार से फूलचट्टी पहुंचने तक में गुजर जाता है। उत्तराखंड टूरिज्म की वेबसाइट के अनुसार फूलचट्टी तक की दूरी करीब 236 किमी है। यात्रा शुरू होने से एक दिन पहले आपको हरिद्वार में ‘राही मोटेल’ पहुंचना होता है। अगले दिन सुबह 7 बजे 27 सीटों वाली नॉन-एसी बस से आपकी यात्रा शुरू होगी। दिन में करीब एक बजे आप बारकोट पहुंचेंगे। यहां एक घंटे का लंच ब्रेक होगा और फिर आप फूलचट्टी के लिए रवाना होंगे। फूलचट्टी पहुंचते-पहुंचते शाम के 5.30 हो जाएंगे और ये पहले दिन की आपकी यात्रा है।
दूसरा दिन…फूलचट्टी से यमुनोत्री
दूसरे दिन आपकी यात्रा सुबह 6 बजे फूलचट्टी से शुरू होगी। यमुनोत्री से पहले जानकीचट्टी में जीएमवीएन (गढ़वाल मंडल विकास निगम) के टूरिस्ट रेस्ट हाउस में कुछ देर आराम और नाश्ता करने का आपके पास समय होगा। इसके बाद आप सुबह करीब 11 बजे यमुनोत्री पहुंचेंगे। यहां आप पवित्र कुंड में डुबकी लगा सकते हैं, पूजा-अर्चना करें और दोपहर का भोजन कर सकते हैं। इसके बाद फूलचट्टी के लिए वापसी की यात्रा शुरू होगी। आप शाम तक फूलचट्टी पहुंच जाएंगे। गौरतलब है कि यमुनोत्री यमुना नदी का स्त्रोत है।
तीसरा दिन…फूलचट्टी से हरसिल की यात्रा
अगले दिन आपकी यात्रा सुबह 6 बजे बस से शुरू होगी और करीब दिन भर में 200 किमी की दूरी आप तय करेंगे। बस उत्तरकाशी दिन में करीब 1 बजे पहुंचेगी। यहां आप विश्वनाथ मंदिर में दर्शन-पूजन कर सकेंगे। लंच के बाद बस हरसिल के लिए रवाना होगी और यहां पहुंचते-पहुंचते शाम के पांच बज चुके हैं। आपकी तीसरी रात हरसिल में गुजरेगी।
चौथा दिन…हरसिल से गंगोत्री और उत्तरकाशी
अगले दिन बस सुबह 6 बजे हरसिल से प्रस्थान करेगी और आप सुबह लगभग 7.30 बजे गंगोत्री पहुंचेंगे। गंगा नदी में पवित्र डुबकी लगाने के बाद, मंदिर में पूजा-पाठ कर सकते हैं। दोपहर के भोजन के बाद लगभग 1 बजे आप गंगोत्री से प्रस्थान करेंगे। शाम करीब साढ़े चार बजे आप रात्रि विश्राम के लिए अपने अगले पड़ाव उत्तरकाशी पहुंचेंगे। हरसिल से यहां तक के सफर दूरी लगभग 125 किलोमीटर होगी।
पांचवां दिन…उत्तरकाशी से चंबा/नई टेहरी होते हुए गुप्तकाशी
पांचवें दिन लगभग 275 किलोमीटर की दूरी आप तय करेंगे। बस सुबह 6 बजे उत्तरकाशी से रवाना होगी। नाश्ता चिन्यालीसौड़ स्थित जीएमवीएन पर्यटक विश्राम गृह में होगा। आप लगभग 12 बजे चंबा/नई टेहरी पहुंचेंगे। आप नई टेहरी में घूम सकते हैं और यहां का प्रसिद्ध टेहरी बांध देख सकते हैं। दोपहर करीब एक बजे आप नई टेहरी से प्रस्थान करेंगे। दोपहर के भोजन के लिए पड़ाव श्रीनगर में जीएमवीएन पर्यटक विश्राम गृह में होगा। इसके बाद बस शाम करीब साढ़े पांच बजे गुप्तकाशी पहुंचेगी।
छठा दिन…गुप्तकाशी से केदारनाथ
इस दिन आप बस से लगभग 35 किलोमीटर की यात्रा करेंगे और फिर लगभग 17 किलोमीटर की ट्रैकिंग करेंगे। बस सुबह 6 बजे प्रस्थान करेगी और लगभग 9 बजे गौरीकुंड पहुंचेगी। आप इसके बाद टट्टू पर यात्रा करना या डोली (पालकी) किराए पर लेना भी चुन सकते हैं। गौरीकुंड से आप सुबह लगभग 10 बजे प्रस्थान करेंगे और शाम लगभग 5 बजे केदारनाथ पहुंचेंगे। आप केदारनाथ मंदिर में शाम की आरती देख सकते हैं और रात में यहां रूक सकते हैं।
सातवां दिन…केदारनाथ, गौरीकुंड/रामपुर से तिलवाड़ा
इस दिन सुबह अपने होटल से जल्दी निकलने की कोशिश करें ताकि आपको केदारनाथ मंदिर में पूजा-पाठ के लिए पर्याप्त समय मिल सके। इसके बाद आप वापस गौरीकुंड के लिए अपनी 17 किलोमीटर की यात्रा शुरू करेंगे। आप टट्टू पर यात्रा करना या डोली किराए पर लेना भी चुन सकते हैं। आप दोपहर लगभग 1 बजे गौरीकुंड/रामपुर पहुंचेंगे। दोपहर के भोजन के बाद आप बस में चढ़ेंगे और लगभग 60 किलोमीटर दूर तिलवारा की ओर बढ़ेंगे। आप शाम 5 बजे तक तिलवाड़ा पहुंचेंगे और रात्रि विश्राम करेंगे।
आठवां दिन…तिलवाड़ा, जोशीमठ, बद्रीनाथ
तिलवाड़ा से, जोशीमठ लगभग 170 किलोमीटर दूर है और आप लगभग 12 बजे पहुंचेंगे। जोशीमठ में नरसिंह मंदिर के दर्शन करते हुए लगभग एक घंटा बिता सकते है। दोपहर के भोजन के बाद आप लगभग 1 बजे जोशीमठ से प्रस्थान करेंगे और लगभग शाम 4.30 बजे बद्रीनाथ पहुंचेंगे। बद्रीनाथ मंदिर में शाम की आरती देख सकते हैं।
नौवां दिन…बद्रीनाथ, जोशीमठ, कालेश्वर
आप अपने दिन की शुरुआत सुबह 9 बजे मंदिर में प्रार्थना करने और कुंड में पवित्र डुबकी लगाने के साथ कर सकते हैं। इस दौरान आप भारत की सीमा से लगभग 20 किलोमीटर दूर, आखिरी भारतीय गांव माणा को भी देख सकते हैं। फिर आप लगभग 11 बजे जोशीमठ पहुंचेंगे। दोपहर के भोजन के बाद आप लगभग 2 बजे जोशीमठ से प्रस्थान करेंगे। आप चाहें तो केबल कार से औली जा सकते हैं। दिन भर में 114 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद आप शाम को कालेश्वर पहुंचेंगे।
दसवां दिन….कालेश्वर, कौड़ियाला, हरिद्वार
चार धाम यात्रा के आखिरी दिन आप बस से लगभग 230 किलोमीटर की दूरी तय करेंगे। सुबह लगभग 7 बजे कालेश्वर से प्रस्थान करेंगे। आप दोपहर लगभग 1 बजे कौड़ियाला पहुंचेंगे और दोपहर के भोजन के लिए रुकेंगे। एक घंटे रुकने के बाद यात्रा फिर शुरू होगी, जो शाम करीब 5 बजे हरिद्वार में समाप्त हो जाएगी।
चार धाम यात्रा…कितने लोग करते हैं यात्रा?
चार धाम यात्रा में हर साल लाखों लोग हिस्सा लेते हैं। पिछले साल करीब 57 लाख लोग इन यात्राओं के लिए आए थे। इस बार यह संख्या भी पीछे छूटने के आसार हैं। 8 मई तक 22 लाख से ज्यादा लोग पंजीकरण करा चुके थे। 20 लाख के आसपास लोग केवल मई में चारधाम की यात्रा करेंगे। सामने आए आंकड़े के अनुसार 2024 के मई में यमुनोत्री के लिए तीन लाख 44 हजार 150, गंगोत्री के लिए तीन लाख 91 हजार 812, केदारनाथ के लिए सात लाख 60 हजार 254, बद्रीनाथ के लिए छह लाख 58 हजार 486 और हेमकुंड साहिब के लिए 45 हजार 959 लोग पंजीकरण हो चुके हैं।
चार धाम यात्रा…उत्तराखंड को क्या फायदा है?
साल 2022 की रिपोर्ट बताती है कि उस साल रिकॉर्ड संख्या में यात्रियों के चार धाम यात्रा के लिए आने के बाद राज्य की अच्छी-खासी कमाई हुई थी। राज्य में इस साल इन यात्रियों की वजह से 211 करोड़ से भी ज्यादा का व्यापार हुआ। हेलीकॉप्टर कंपनियों ने 85 करोड़ रुपये से ज्यादा का कारोबार किया। वहीं घोड़े-खच्चरों के कारोबार ने 100 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई की। पिछले साल भी कमाई का आंकड़ा करीब इतना ही था।