शराब घोटाले में फंसे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ अब उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने एनआईए से जांच का प्रस्ताव गृह मंत्रालय को भेजा है। उपराज्यपाल ने प्रतिबंधित आतंकी संगठन ‘सिख फॉर जस्टिस’ से कथित तौर पर राजनीतिक फंडिंग लेने के आरोपों को लेकर जांच की अनुशंसा की है।
दरअसल, वर्ल्ड हिंदू फेडरेशन इंडिया के राष्ट्रीय महासचिव आशु मोंगिया की ओर से मिली शिकायत के बाद उपराज्यपाल ने यह कदम उठाया है। शिकायत में यह आरोप लगाया गया था कि केजरीवाल के नेतृत्व वाली ‘आप’ को देवेन्द्र पाल भुल्लर की रिहाई और खालिस्तान समर्थक भावनाओं का समर्थन करने के लिए खालिस्तान समर्थक आतंकी समूहों से 1.6 करोड़ डॉलर (134 करोड़ रुपये) की भारी धनराशि प्राप्त हुई थी।
एलजी की ओर से गृह मंत्रालय को लिखे एक पत्र में कहा गया है, ‘चूंकि शिकायत एक मुख्यमंत्री के खिलाफ की गई है और एक प्रतिबंधित आतंकी संगठन से राजनीतिक फंडिंग से संबंधित है, इसलिए शिकायतकर्ता द्वारा दिए गए इलेक्ट्रॉनिक सबूतों की जांच की आवश्यकता है, जिसमें फोरेंसिक जांच भी शामिल है।’
आतंकी संगठन के आरोपों पर ‘आप’ का पलटवार
दूसरी ओर, आतंकवादी संगठन से केजरीवाल पर पैसे लेने के आरोप पर आम आदमी पार्टी ने पलटवार किया है। सौरभ भारद्वाज ने कहा है कि यह पुरानी शिकायत है। पंजाब के विधानसभा चुनाव से पहले सड़ी गली शिकायत की गई थी। बीजेपी के लोग ही शिकायत कर रहे हैं और बीजेपी ही कह रही है कि इसकी जांच की जाएगी।
सौरभ भारद्वाज ने आरोप लगाते हुए कहा है कि पंजाब चुनाव से पहले भी यह खबर चलाई गई थी कि आम आदमी पार्टी को आतंकी संगठन से पैसा मिला है। उन्होंने कहा, ‘उस वक्त केंद्र सरकार सो रही थी क्या? जांच एजेंसी क्या कर रही थी? 2022 में फिर आरोप लगे थे, जिस पर अमित शाह ने कहा था कि मैं जांच कराऊंगा। क्या हुआ 2 साल में? अब एलजी ने वही फिर घिसी पीटी खबर, वही शिकायत भारतीय जनता पार्टी के लोगों से खुद को चिट्ठी लिखवा कर मंगवा ली है और उसे एनआईए को भेज दिया है।’
भारद्वाज ने कहा, पंजाब के चुनाव से पहले जब उन्होंने ऐसा किया था तो जनता ने उन्हें करारा जवाब दिया था। अब दिल्ली चुनाव से पहले भी ऐसा ही झूठ तैयार किया जा रहा है आरोप लगाए जा रहे हैं, लेकिन जनता बहुत समझदार है। जिस संस्था ने कंप्लेंट की है, उस संस्था के अध्यक्ष कौन है।
सौरभ भारद्वाज ने आरोप लगाया कि यह भारतीय जनता पार्टी के कौन सहयोगी है जो चुनाव में उनकी मदद करने उतरते हैं। सुकेश चंद्रशेखर जैसे लोग कौन हैं, जो खुद एक कॉन मैन है। उन्होंने आगे कहा, सुकेश चंद्रशेखर ने खुद गृहमंत्री के नाम पर रैनबैक्सी ग्रुप की महिलाओं से 200 करोड़ रुपए की ठगी की थी। यह भारतीय जनता पार्टी के सहयोगी नंबर वन है।
क्या है ये पूरा मामला, ‘आप’ और केजरीवाल क्यों विवादों में
इसी साल मार्च में आतंकी संगठन सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) का प्रमुख गुरपतवंत सिंह पन्नू का एक कथित वीडियो सामने आया था। इसमें पन्नू दावा कर रहा था कि उसने केजरीवाल को 134 करोड़ रुपये दिए थे। पन्नू का दावा था कि साल 2014 में न्यूयॉर्क में एक गुरुद्वारा में उसकी मुलाकात केजरीवाल से हुई थी। दावे के अनुसार तब केजरीवाल ने आर्थिक सहयोग देने की शर्त पर 1993 दिल्ली धमाके के आरोपी देवेन्द्र पाल भुल्लर को जेल से छुड़ाने का भरोसा दिया था। पन्नू ने वीडियो में आरोप लगाया कि केजरीवाल बाद में वादे से पलट गए। पन्नू ने कथित तौर पर धोखा देने को लेकर केजरीवाल पर जेल में हमला करवाने की भी धमकी उस वीडियो में दी थी।
साल 2014 में केजरीवाल ने तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को पत्र लिखकर भुल्लर के लिए क्षमादान की मांग भी की थी। इस साल जनवरी में मंत्री कैलाश गहलोत की अध्यक्षता वाली दिल्ली सरकार के सेंटेस रिव्यू बोर्ड (एसआरबी) ने भुल्लर की रिहाई याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि यह तर्कसंगत नहीं है और समय से पहले रिहाई के लिए यह उपयुक्त मामला है। सात सदस्यीय एसआरबी का विचार था कि अगर ऐसे दोषी को रिहा किया जाता है, तो वह देश की संप्रभुता, अखंडता और शांति के लिए सीधा खतरा पैदा कर सकता है।
बटिंडा के दयालपुरा भाईके से आने वाले भुल्लर को 1993 के दिल्ली बम विस्फोट मामले में 2001 में अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी, जिसे 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने उम्रकैद में बदल दिया था।