आमतौर पर ऐसा देखा जाता है कि लोग आर्थिक संकट के दौरान सोने में अधिक निवेश करते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि हालात को देखते हुए वे इसे सबसे सही और सुरक्षित निवेश मानते हैं।
ऐसा ही कुछ देखा गया रूस और यूक्रेन के युद्ध और गाजा में जारी संघर्ष के दौरान जब इसकी कीमतें 2400 डॉलर प्रति औंस से भी ऊंची हो गई हैं। हालांकि सोने की कीमतों में रिकॉर्ड ऊंचाई के पीछे केवल युद्ध ही कारण नहीं है, बल्कि चीन भी बहुत हद तक जिम्मेदार है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक खबर के अनुसार, मौजूदा दौर में चीनी लोग भारी संख्या में सोने की खरीदारी कर रहे हैं। उनका स्टॉक और रियल एस्टेट से भरोसा उठने के बाद, वे सोने को एक सुरक्षित निवेश के रूप में देख रहे हैं और इस कारण जमकर खरीदारी भी कर रहे हैं।
यही नहीं चीन के सेंट्रल बैंक भी अपने सोने के भंडार में बढ़ोतरी कर रहा है। साथ ही अपनी अमेरिकी ऋण होल्डिंग्स को कम कर रहा है।
रियल एस्टेट के बजाय सोना पर क्यों भरोसा कर रहे हैं चीनी
इससे पहले द वॉल स्ट्रीट जर्नल (डब्लूएसजे) की एक रिपोर्ट में यह कहा गया था कि चीन में साल 2019 के बाद कर्ज लेकर उसे न चुकाने वालों की संख्या 50 फीसदी तक बढ़ी है और आज यह आंकड़ा 8.3 मिलियन (83 लाख) तक पहुंच गया है।
यहां पर भारी संख्या में लोगों ने लोन लिया था और वे स्टॉक और रियल एस्टेट के साथ अन्य चीजों में निवेश किए थे। लेकिन पहले कोरोना और फिर आर्थिक मंदी के कारण चीन की अर्थव्यवस्था काफी प्रभावित हुई है, जिससे रियल एस्टेट पर भी काफी असर पड़ा है।
इस कारण चीन के रियल एस्टेट में भारी मंदी देखी गई है और हजारों निवेशकों का पैसा डूब गया है। द फाइनेंशियल टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, चीन में साल 2020 में 5.7 मिलियन (57 लाख) डिफॉल्टर थे और अगले चार सालों में यह संख्या बढ़कर 8.3 मिलियन (8.3 लाख) हो गई है।
ऐसे में खुद को घाटे से निकालने के लिए चीनी लोग भारी संख्या में सोने में निवेश कर रहे हैं। उनके अनुसार, स्टॉक और रियल एस्टेट के मुकाबले सोना में निवेश करना एक सुरक्षित निवेश होगा और इसमें लॉस होने की गुंजाइश भी कम होगी।
आखिर चीन इतना क्यों खरीद है सोना
पहले से लड़खड़ा रही चीन की इकोनॉमी को जनवरी-मार्च तिमाही के आंकड़ों ने उसे राहत दी है। इसमें 5.3 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है। रियल एस्टेट सेक्टर के साथ अन्य सेक्टर के प्रभावित होने के कारण चीनी निवेशक सोने में इन्वेस्ट कर रहे हैं।
यही नहीं अमेरिका द्वारा रूसी डॉलर होल्डिंग्स को फ्रीज करने से चीन बहुत चिंतित है और वह अपने सोने भंडार को बढ़ा रहा है।
अमेरिका से चल रहे तनाव के बीच चीन चाहता है कि वह अमेरिकी डॉलर पर कम निर्भर रहे। यही कारण है कि वह अमेरिकी ऋण को कम रख रहा है और अधिक से अधिक सोना खरीद रहा है।
क्या चीन कर रहा है सोने की कीमतों को कंट्रोल
जिस तरीके से चीन लगातार सोने की खरीद कर रहा है, इससे इसकी कीमतें काफी ऊंचे दर पर पहुंच गई है। आमतौर पर ऐसा देखा जाता है कि जब ब्याज दर बढ़ते हैं तो सोना सस्ता होता है।
लेकिन यहां उलटा हो गया है। इसकी कीमतों में बढ़ोतरी देखी जा रही है। वहीं कुछ जानकारों का यह भी कहना है कि पहले सोने का भाव कुछ पारंपरिक आर्थिक कारणों के चलते बढ़ता था, लेकिन अब यह कहना गलत नहीं होगा कि सोने की कीमतों में बढ़ोतरी के पीछे चीन भी एक कारण हो सकता है।
क्या सोने की खरीद रहेगी आगे भी जारी
रिपोर्ट के अनुसार, एक्सपर्ट का मानना है कि मौजूदा दौर में सोने में निवेश जारी रहेगा और इससे आने वाले दिनों में इसकी कीमतें और भी बढ़ सकती है। आंकड़ों की अगर बात करेंगे तो साल 2022 के अंत से सोने के भाव में 50 फीसदी तक की वृद्धि देखी गई है। चीन की अगर बात करेंगे तो 2024 की पहली तिमाही में इसके सोने की खपत में 6 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।