विदेश जाकर नौकरी करने वाले भारतीयों की संख्या में कमी आई है। टाइम्स ऑफ इंडिया की ताजी रिपोर्ट के अनुसार, बीसीजी (बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप) के एक अध्ययन में यह खुलासा हुआ है कि विदेशों में काम करने में रुचि रखने वाले भारतीयों का प्रतिशत 2020 में 78 फीसदी से गिरकर 2023 में 54 फीसदी हो गया है।
ग्लोबल कंसल्टिंग फर्म बीसीजी ने भारत को लेकर एक और खुलासा किया है और कहा है कि पिछले कुछ सालों में विदेशी कामगारों के बीच भारत की छवि बदली है और कई देशों के लोगों ने यहां काम करने की इच्छा जाहिर की है।
अध्ययन के अनुसार, संयुक्त अरब अमीरात, नाइजीरिया और केन्या जैसे कुछ देश हैं जहां के लोगों के भारत में नौकरी करने में अपनी रुचि दिखाई है। बीसीजी की नीतू चितकारा ने बताया कि कैसे भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था ने देसी और विदेशी पेशेवरों को अपने और आकर्षित किया है।
अध्ययन में और क्या खुलासा हुआ है
बीसीजी की स्टडी में यह पता चला है कि पिछले पांच सालों में भारत की छवि काफी सुधरी है और यहां विदेशियों में यहां के प्रति आकर्षण बढ़ा है। यही नहीं वैश्विक रैंकिंग में भारत छह अंक ऊपर भी चढ़ा है।
अध्ययन से यह भी पता चला है कि भारत के बेंगलुरु और दिल्ली दो ऐसे शहर हैं जहां सबसे ज्यादा लोगों ने काम करने की इच्छा जाहिर की है। हालांकि वैश्विक शहरों के बीच इन शहरों की रैंकिंग में गिरावट दर्ज की गई है। 2018 के बाद ऐसा पहली बार हुआ है कि शीर्ष 100 वैश्विक शहरों में अहमदाबाद भी शामिल हुआ है।
इन देशों में काम करना पसंद करते हैं भारतीय
स्टडी से यह भी पता चला है कि यूएई जो पहले भारतीयों की पहली पसंद था, अब यह अपना आकर्षण खो रहा है और इस कारण साल 2024 में यह छठवें पायदान पर चला गया है। वहीं भारतीयों के बीच ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, कनाडा, जर्मनी और यूके जैसे कुछ अन्य देश हैं, जो अब इनकी पहली पसंद बन रहे हैं।
इस अध्ययन से यह भी पता चला है कि भारतीय आमतौर पर अपने करियर ग्रोथ और आर्थिक कारणों के चलते वे विदेश जाते हैं। यही नहीं, उन्हें किस प्रकार की नौकरी मिल रही है, ये फैक्टर भी उनके लिए ज्यादा मायने रखता है।
इसमें यह भी पता चला है कि बहुत से भारतीय ऐसे भी है कि उन्हें अपनी मातृभूमि से इतना लगाव है कि वे इसे छोड़कर किसी अन्य देश जाना नहीं चाहते हैं।
क्या कहता है सरकारी आंकड़ा
विदेश मंत्रालय के आंकड़ों को अगर माने तो भारत के बाहर 13.6 मिलियन (1.36 करोड़) अनिवासी भारतीय रहते हैं जिन्हें एनआरआई भी कहा जाता है। यही नहीं 18.68 मिलियन (1.868 करोड़) पीआईओ और लगभग 32.3 मिलियन (3.23 करोड़) ओसीआई भारत के बाहर रहते हैं।
आंकड़ों के अनुसार, हर साल 25 लाख भारतीय विदेश जाते हैं जो दुनिया में प्रवासियों की सबसे अधिक वार्षिक संख्या है।