अगर आप आम के शौकीन है तो आप दूधिया मालदा आम के बारे में जरूर जानते होंगे। यह आम न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। आम का सीजन आते है दूधिया मालदा को लेकर चर्चाएं बढ़ जाती है।
इस आम को न केवल राष्ट्रपति बल्कि प्रधानमंत्री को भी गिफ्ट किया जाता है। दूधिया आम बिहार के दीधा, बिहार विद्यापीठ, पटना और बक्सर में पाया जाता है। पूरे भारत में केवल इन जगहों पर ही इनके बागान पाए जाते हैं।
आज से कुछ साल पहले दूधिया आम के कई पेड़ हुआ करते थे, लेकिन कई कारणों के चलते इसकी संख्या में भारी कमी आई है। हालांकि पिछले कुछ सालों में नए पेड़ लगाए गए हैं लेकिन उन पेड़ों में पुराने पेड़ों वाली बात नहीं है और इनका टेस्ट भी पुराने दूधिया आमों की तरह नहीं हैं।
दूधिया आम के बारे में
टाइम्स नाउ की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में करीब 1500 आम के वैरायटी हैं जिसमें दूधिया मालदा काफी फेमस है। यह आम दिखने में काफी बड़ा होता है और इसका बीज काफी पतला होता है।
इसमें ज्यादा गुद्दे और पतले छिलके पाए जाते हैं। सीएनबीसी टीवी 18 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पटना के बिहार विद्यापीठ स्थित आम बगान के प्रबंधक प्रमोद कुमार ने बताया कि दुनिया के कई देश इस आम के दीवाने हैं। प्रबंधक ने कहा है कि ये आम अमेरिका, इंग्लैंड, जापान और दुबई समेत 33 और देशों में सप्लाई किया जाता है।
जानकारों का यह कहना है कि दूधिया मालदा आम पेड़ से तोड़ने के बाद 70 रुपए प्रति किलो पर बिकता है लेकिन बाजार में जाने के बाद इसकी कीमत बढ़ जाती है और इसका दाम 160 से 180 रुपए प्रति किलो हो जाता है।
दूधिया मालदा का क्या है इतिहास
लोगों के बीच इसके इतिहास को लेकर कई कहानियां काफी प्रचलित है। सीएनबीसी टीवी 18 के अनुसार, बगान प्रबंधक प्रमोद कुमार ने बताया कि यह बहुत पहले की बात है जब लखनऊ के नवाब फिदा हुसैन ने पाकिस्तान के इस्लामाबाद की शाह फैसल मस्जिद के इलाके से इस आम के पौधों को भारत लाए थे और इसे पटना के दीघा में लगाया था। उन्होंने यह भी कहा है कि ऐसा माना जाता है कि नवाब साहब के पास भारी संख्या में गाएं थीं जिसके बचे हुए दूधों से वे इन पौधों की सिंचाई करते थे।
ऐसे में जब ये पौधे बड़े हुए और इनसे फल निकला तो उसमें से दूध जैसे कुछ पदार्थ निकले थे, जिसे लोगों ने दूध समझा और तब से इस आम को दूधिया आम कहा जाने लगा। न्यूज नाइन लाइव के अनुसार, दूधिया आम से जुड़ा एक और किस्सा भी बहुत आम है।
सन 1952 में बॉलीवुड के प्रमुख फिल्म निर्माता और अभिनेता राज कपूर और गायिका सुरैया ने बिहार के दीघा का दौरा किया था और यहां से वे भारी संख्या में दूधिया आम मुंबई ले गए थे।
यही नहीं रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बिहार के मूल निवासी और भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी सहित कई अन्य प्रमुख राजनेताओं को इस आम से परिचित कराया था।
घट रहे हैं दूधिया आम के पेड़
प्रबंधक प्रमोद कुमार की अगर माने तो इलाके में दूधिया मालदा आम के कई पेड़ थे और उस समय आम के साइज भी बड़े होते थे। लेकिन हाल के दिनों में इनकी पेड़ों की संख्या में भारी कमी देखी गई है।
उनका कहना है कि जगलों को काटकर मकान बनाए जाने के कारण ये पेड़ काफी प्रभावित हुए हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, स्थानीय लोगों का मानना है कि इलाके में बिल्डिंग के बनने और जलजमाव के कारण पेड़ों पर भारी असर पड़ रहा है।
उनके अनुसार, इलाके में बिल्डिंग बनने के कारण बारिश का पानी सही से निकल नहीं पाता है, जिससे वहां कई दिनों तक जलजमाव हो जाता है। इस कारण पेड़ के जड़ कई दिनों तक पानी में डूबे रहते हैं। इसका असर पेड़ और आम पर पड़ता है।
दुधिया आम के कारोबार करने वाले शशि रंजन ने बताया एक समय था जब इलाके में अनगिनत पेड़ थे, लेकिन अब इनकी संख्या केवल 500 तक हो गई है। कुछ और स्थानीय लोगों ने भी दुधिया आम के ऐसे हालात पर चिंता जताई और सरकार से इसे बचाने की अपील भी की है।