सऊदी अरब ने हाल में उमरा के नियमों में बड़ा बदलाव किया है। इकोनॉमिक टाइम्स की एक खबर में बताया गया है कि नये नियम के अनुसार, अब किसी भी सऊदी के वैध वीजा से उमरा किया जा सकता है। इससे पहले केवल कुछ वीजा के जरिए ही उमरा किया जा सकता था।
न्यूज वेबसाइट अरबिया न्यूज की एक रिपोर्ट के अनुसार, उमरा पर बोलते हुए सऊदी अरब के हज और उमरा मंत्री डॉ. तौफीक अल-रबिया ने कहा कि पिछले साल 13.5 मिलियन (1.35 करोड़) से अधिक मुसलमानों ने उमरा अदा किया था।
तौफीक अल-रबिया के अनुसार, यह अब तक की सबसे अधिक संख्या है जिसमें अंतरराष्ट्रीय तीर्थयात्रियों ने उमरा करने के लिए हिस्सा लिया है। यही नहीं उन्होंने यह भी कहा है कि पिछले साल के मुकाबले इस साल उमरा करने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या में इजाफा देखा गया है।
कौन-कौन वीजा से आप कर सकते हैं उमरा
ट्रैवल न्यूज वेबसाइट ट्रैवल एंड टूर वर्ल्ड की एक खबर के मुताबिक, सऊदी अरब के हज और उमरा मंत्रालय ने कहा है कि जिस किसी के पास पर्सनल, फैमिली या ट्रैवल वीजा हो या फिर उसके पास सऊदी अरब का कोई भी वीजा हो तो वह उससे उमरा कर सकता है।
मंत्रालय के इस बदलाव के पीछे की मंशा ग्रैंड मस्जिद मक्का में अधिक से अधिक तीर्थयात्रियों के आने के लिए प्रोत्साहित करना है। बता दें कि वीजन 2030 को ध्यान में रखते हुए सऊदी अरब सरकार अपने यहां काफी कुछ बदलाव कर रही है, ताकि वह अपनी अर्थव्यवस्था को बूस्ट कर सके।
एप के जरिए तीर्थयात्री कर सकते हैं उमरा प्लान
तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए सरकार ने नुसुक नामक एप का भी जिक्र किया है। मंत्रालय ने कहा है कि उमरा करने वाले तीर्थयात्रियों को किसी किस्म की परेशानी न हो इसलिए वे इस एप को भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
इस एप के जरिए उमरा के परमिट को निकाला जा सकता है। साथ ही होटल की बुकिंग और अन्य धार्मिक और सांस्कृतिक स्थलों की जानकारी ली जा सकती है।
इस साल कब तक कर सकते हैं उमरा
इस साल उमरा करने वाले तीर्थयात्रियों के पास ज्यादा समय नहीं है। वे 6 जून से पहले उमरा अदा कर सकते हैं क्योंकि इसके बाद हज का महीना शुरू हो जाएगा। उस समय उमरा नहीं किया जा सकेगा।
उमरा किसे कहते हैं
उमरा जिसे “मिनी हज” भी कहा जाता है, यह एक तीर्थयात्रा हैं, जिसे साल में कभी भी किया जा सकता है। इस यात्रा में इस्लाम के दो प्रमुख तीर्थस्थान मक्का और मदीना की यात्रा करनी होती है।
ट्रैवल वेबसाइट आईवीजा के अनुसार, बहुत से मुस्लिम ऐसे हैं जो रमजान या फिर रजब और शाबान के महीने में उमरा करते हैं। उनका मानना है कि इस महीने में उमरा करने से ज्यादा पुण्य मिलता है।