पिछले कुछ सालों से विदेश में पढ़ाई करने की इच्छा रखने वालों भारतीय छात्रों के पहली पसंद कनाडा थी, लेकिन अब ऐसा होता नहीं दिख रहा है। भारी मात्रा में भारतीय छात्र अब कनाडा को छोड़कर दुनिया के अन्य देशों की ओर बढ़ रहे हैं। इसके पीछे कई कारण हैं जिससे भारतीय छात्र कनाडा के बजाय अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया का रूख कर रहे हैं।
पिछले साल कनाडा में खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद दोनों देशों के बीच तनाव शुरू हो गया था और इसका सीधा असर भारतीय छात्रों पर पड़ा था।
यही नहीं पिछले कुछ समय से कनाडा में बढ़ती मंहगाई, पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी नहीं मिलना और किराए के मकानों की कमी को लेकर भारतीय छात्रों को काफी परेशान झेलना पड़ रहा है।
इन सब के अलावा कनाडा ने हाल में कॉस्ट ऑफ लिविंग फंड को भी बढ़ा दिया है जिससे भारतीय छात्रों को वहां पढ़ना और भी महंगा हो गया है।
भारतीय छात्रों की पहली पंसद बन रहा है अमेरिका-रिपोर्ट
कनाडा में मौजूदा हालात और मंहगाई और बेरोजगारी को देखते हुए भारतीय छात्र अमेरिका का रूख कर रहे हैं। हाल में ऑक्सफोर्ड इंटरनेशनल के स्टूडेंट ग्लोबल मोबिलिटी इंडेक्स (एसजीएमआई) की एक रिपोर्ट सामने आई है जिसमें यह खुलासा हुआ है कि पहले के मुकाबले अब भारतीय छात्रों की पहली पसंद कनाडा नहीं बल्कि अमेरिका बन रहा है और ज्यादातर स्टूडेंट्स यहां पर पढ़ने में अपनी रुचि दिखा रहे हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, 69 फीसदी भारतीय छात्र अमेरिका में पढ़ना चाहते हैं जबकि 54 फीसदी यूके और 43 फीसदी कनाडा में पढ़ने की रुचि रखते हैं।
अपनी विदेशी शिक्षा के लिए कनाडा के बजाय अमेरिका को चुनने वाले भारतीय छात्रों का कहना है कि वे यहां की अच्छी पढ़ाई और दुनिया भर में इसके विश्वविद्यालयों की प्रतिष्ठा के चलते वे यहां पढ़ने की इच्छा रख रहे हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय छात्रों में 45 फीसदी छात्रों ने अमेरिका को उसकी अच्छी पढ़ाई के लिए उसे चुना है जबकि 42 फीसदी छात्रों ने विश्वविद्यालयों के अच्छी प्रतिष्ठा के लिए उसका चयन किया है।
आवेदनों पर 86 फीसदी आई है कमी
हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद से कनाडा में पढ़ाई के लिए आवेदनों में कमी देखने को मिली है। एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, घटना के बाद से 86 फीसदी कमी दर्ज की गई है।
आंकड़ों की अगर माने तो पिछले साल जुलाई से सितंबर के बीच एक लाख आठ हजार छात्रों को स्टडी परमिट दिया गया था। ऐसे में अक्टूबर से दिसंबर के बीच केवल 14,910 छात्रों ने ही स्टडी परमिट के लिए आवेदन किया था।
जानकार आवेदनों में आई कमी के पीछे कई कारण बताते हैं। उनका कहना है कि निज्जर विवाद के अलावा कनाडा में ताजा हालात और मंहगाई और बेरोजगारी भी एक मुद्दा हो सकता है।
आखिर क्यों कनाडा खो रहा है अपनी पहचान
पिछले कुछ सालों से विदेश में पढ़ाई को लेकर भारी संख्या में भारतीय छात्र कनाडा का रूख कर रहे थे। दुनिया के किसी अन्य देश के मुकाबले यहां पर पढ़ाई काफी सस्ती है। यही नहीं यहां पढ़ने वाले छात्रों को पढ़ाई के साथ नौकरी करने की भी सुविधा दी जाती है।
अच्छे अंक लाने वाले छात्रों को विश्वविद्यालयों द्वारा स्कॉलरशिप भी दिया जाता है। इन सभी सुविधाओं को देखते हुए भारी मात्रा में भारतीय छात्र यहां पढ़ने आते हैं, लेकिन पिछले कुछ समय से यहां रह रहे छात्रों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा है।
छात्रों ने शिकायतें की है कि उन्हें यहां रहने के लिए किराए वाले घरों की काफी दिक्कतें हो रही है। यही नहीं जिस तरीके से पिछले कुछ सालों में यहां पर महंगाई बढ़ी है, इससे भी छात्रों को काफी परेशानी हो रही है।
बीबीसी की एक रिपोर्ट में यह दिखाय गया था कि कैसे भारतीय छात्र कनाडा में जाकर अपने करियर को लेकर काफी चिंतित है और वे अपनी परेशानियों को अपने पैरेंट्स से खुल कर बयान भी नहीं कर पा रहे हैं।
पिछले साल से कनाडा और भारत के बीच बढ़ा था तनाव
दरअसल, कनाडा ने भारत पर हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप लगाया था जिसे भारत ने खारिज कर दिया था। इस घटना के बाद भारत ने 41 कनाडाई डिप्लोमैट्स को वापस जाने को कहा था जिसके बाद कनाडा ने अपने 62 में से 41 डिप्लोमैट्स को वापस बुला लिया था।
ऐसे में निज्जर विवाद के बाद भारत और कनाडा के बीच तनाव पैदा हो गया था। इस तनाव का प्रभाव भारतीय छात्रों पर भी पड़ रहा है।
घटना पर बोलते हुए कनाडा के इमिग्रेशन मिनिस्टर मार्क मिलर ने कहा कि दोनों देशों के रिश्तें प्रभावित होने के कारण छात्रों द्वारा नए आवेदनों पर भी इसका असर पड़ा है क्योंकि स्टाफ की क्षमता आधी हो गई है। यही नहीं घटना के बाद वीजा के नियमों में भी कुछ बदलाव किए गए थे जो कुछ समय बाद हटा दिए गए थे।