दुनिया की सबसे बड़ी कंज्यूमर गुड्स बनाने वाली कंपनी में से एक नेस्ले (Nestle) भारत सहित कई और देशों में बच्चों के लिए बनाए जाने वाले दूध और अनाज उत्पादों अधिक चीनी मिलाती है। स्विटरजलैंड के एक संगठन पब्लिक आई (Public Eye) और इंटरनेशनल बेबी फूड एक्शन नेटवर्क (IBFAN) ने अपनी जांच के बाद यह दावा किया है। इससे पहले नेस्ले कंपनी अपने मैगी प्रोडक्ट को लेकर भारत में विवादों में रह चुकी है।
बहरहाल, ताजा दावे के अनुसार नेस्ले निम्न और मध्यम आय वाले देशों में अपने बेबी प्रोडक्स में उच्च स्तर पर चीनी मिलाती है, जबकि कंपनी के यही प्रोडक्ट स्विटरजरलैंड में सुगर फ्री होते हैं। नेस्ले स्विटरजरलैंड की ही कंपनी है। साथ ही यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी और कुछ अन्य विकसित देशों में भी ये प्रोडक्ट सुगर फ्री हैं।
बहुराष्ट्रीय कंपनी नेस्ले अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका के कई देशों के अपने मुख्य बाजारों में इन उत्पादों का खूब प्रचार यह बताते हुए करती है कि इसे बच्चों के स्वस्थ विकास के लिए देना बहुत जरूरी है। पब्लिस आई की रिपोर्ट के अनुसार सेरेलैक (Cerelac) और निडो (Nido) निम्न और मध्यम आय वाले देशों में नेस्ले के सबसे ज्यादा बिकने वाले शिशु-खाद्य ब्रांडों में से एक हैं। संगठन के अनुसार यह सीधे तौर पर अंतरराष्ट्रीय दिशानिर्देशों का उल्लंघन है जो मोटापे और अत्यधिक शुगर से होने वाली बीमारियों को बढ़ावा दे सकता है।
भारत में Nestle प्रोडक्ट का क्या है हाल?
जांच के निष्कर्षों से पता चला है कि भारत में सभी 15 सेरेलैक शिशु उत्पादों में शुगर की मात्रा है। इसके अनुसार बच्चे को जब-जब आप ये उत्पाद खिलाते हैं, उसमें करीब तीन ग्राम शुगर होता है। स्टडी में कहा गया है कि इथियोपिया और थाईलैंड में तो प्रति सर्विंग शुगर की यही मात्रा 6 ग्राम तक है। जबकि यही प्रोडक्ट अन्य विकसित देशों में शुगर फ्री हैं।
Nestle क्या पैकेजिंग लेवल पर देता है शुगर की जानकारी?
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस प्रकार के उत्पादों की पैकेजिंग पर उपलब्ध पोषण संबंधी जानकारी में अक्सर अतिरिक्त मिलाए गए चीनी की जानकारी को नहीं दिखाया जाता है। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘हालांकि नेस्ले आदर्श स्थिति दिखाने के लिए अपने उत्पादों में शामिल विटामिन, खनिज और अन्य पोषक तत्वों की बात को प्रमुखता से हाईलाइट करता है, लेकिन जहां तक चीनी की बात तो इस मामले में यह पारदर्शी नहीं है।’
बच्चों को शुगर देने और इसके प्रभाव पर क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
विशेषज्ञों का मानना है कि शिशु उत्पादों में चीनी मिलाना एक खतरनाक और अनावश्यक बात है। यह एक नशे की लत जैसा हो सकता है। रिपोर्ट के अनुसार ब्राजील में फेडरल यूनिवर्सिटी ऑफ पैराइबा के पोषण विभाग के प्रोफेसर रोड्रिगो वियाना ने कहा, ‘यह एक बड़ी चिंता का विषय है। शिशुओं और छोटे बच्चों को दिए जाने वाले खाद्य पदार्थों में चीनी नहीं मिलानी चाहिए क्योंकि यह अनावश्यक और अत्यधिक नशीला होता है। बच्चों को मीठे स्वाद की आदत हो जाती है और वे ज्यादा मीठे खाद्य पदार्थों की मांग करने लगते हैं। इससे एक नकारात्मक चक्र शुरू हो जाता है, जिससे आगे चलकर उनमें पोषण-आधारित विकारों का खतरा बढ़ जाता है। साथ ही इससे मोटापा और अन्य बीमारियां, जैसे मधुमेह या हाई ब्लड प्रेशर का खतरा बढ़ जाता है।