एशिया में हर साल वसंत ऋतु के मौके पर बहुत ही तेज और विशाल रूप धारण करने वाले धूल भरी आंधिया चलती हैं जिससे वहां के लोगों को काफी दिक्कतें होती हैं। ऐसे में हर साल की तरह इस साल भी चीन के कुछ हिस्से जैसे भीतरी मंगोलिया में तेज आंधी देखने को मिले हैं।
27 मार्च 2024 को आई तेज आंधी ने इलाके को पीले घने बादल में बदल दिया था जिस कारण प्रशासन द्वारा लोगों को घरों से बाहर न निकलने की चेतावनी देनी पड़ी थी।
आंधी की रफ्तार 100 किलोमीटर प्रति घंटा थी और धूल इतना घना था कि इस कारण 90 मीटर से अधिक दूर तक देखना असंभव हो गया था। इस तरह की आंधी न केवल लोगों के जनजीवन को प्रभावित करती है बल्कि उनके हेल्थ पर भी बुरा असर डालती है।
ऐसे में इन आंधियों को आने की जानकारी को लेकर वैज्ञानिक क्या कर रहे हैं और इस तरह की आंधियां क्यों और कैसे आती है, आज के इस लेख में हम यही जानने की कोशिश करेंगे।
नई तकनीक जैसे एआई की ली जा रही है मदद
धूल भरी आंधियां और इसके प्रभाव को देखते हुए दुनिया भर के वैज्ञानिक सालों से इसके आने के सही अनुमान को पता लगाने के लिए नई तकनीक पर काम कर रहे हैं। इससे पहले वैज्ञानिक कंप्यूटर और मौसम मॉडल का उपयोग कर इन आंधियों के उत्पन्न होने के समय का अनुमान लगाने की कोशिश कर रहे हैं।
विज्ञान पत्रिका नेचर की एक रिपोर्ट, इस कड़ी में चीन के लान्झू विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की एक टीम द्वारा एआई की मदद ली गई है और एक ऐसी डिवाइस बनाई गई है जो इन आंधियों के आने की भविष्यवाणी करीब 12 घंटे पहले ही कर देगी। इस डिवाइस का नाम “डस्ट वॉचर” रखा गया है।
एशिया के 13 विभिन्न देशों में हो रहा है टेस्ट
इस डिवाइस को एशिया के 13 विभिन्न देशों में टेस्ट किया जा रहा है और इसमें और भी सुधार लाया जा रहा है। आपको बता दें कि एआई मूल रूप से एक सुपर स्मार्ट कंप्यूटर प्रोग्राम है जो इस तरह की आंधियों की भविष्यवाणियां करने के लिए बहुत सारे डेटा से सीख सकता है और फिर इस पर एक रिपोर्ट दे सकता है।
पिछले किए गए सभी टेस्ट में यह पाया गया है कि नियमित भविष्यवाणी विधियों के मुकाबले यह डिवाइस 13 फीसदी अधिक सटीक भविष्यवाणी करता है और यह खुद में सुधार भी ला रहा है।
लोगों के लिए आंधियां है कितनी खतरनाक
इस मामले में चीनी वैज्ञानिक वांग जिफा का कहना है कि पूर्वी एशिया में घनी अबादी होने के कारण इन धूल भरी आंधियों का सबसे बुरा प्रभाव पड़ता है। एक अन्य चीनी वैज्ञानिक चेन सियू का कहना है कि ये धूल भरी आंधियां एक विशाल दीवार जैसा खड़ा कर देती हैं, जो अपने साथ हानिकारक कीटाणु और जहरीली धातुएं लेकर आती हैं।
इससे लोगों के हेल्थ खासकर उनके दिल और फेफड़ों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। ऐसे में धूल भरी आंधियों के दौरान दिल के रोग से होने वाली मौतों में 25 फीसदी और फेफड़ों की समस्याओं से होने वाले मौत में 18 फीसदी तक का इजाफा देखने को मिला है।
जलवायु परिवर्तन कितना करता है धूल भरी आंधियों को प्रभावित
दुनिया भर के वैज्ञानिक खास कर चीन के वैज्ञानिक इस पर लगातार रिसर्च कर रहे हैं कि आखिर क्यों इतनी मात्रा में धूल भरी आंधियां उत्पन्न हो रही है। यही नहीं कुछ वैज्ञानिक यह भी पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि इन धूल भरी आंधियों को जलवायु परिवर्तन कैसे प्रभावित कर रहा है। धूल भरी आंधियां और जलवायु परिवर्तन को लेकर कुछ वैज्ञानिक की राय अलग-अलग भी है।
वैज्ञानिकों की एक समूह का मानना है कि जलवायु परिवर्तन वास्तव में हवा के पैटर्न को बदलकर धूल भरी आंधियों को कम कर सकता है। लेकिन वहीं दूसरी और कुछ अन्य वैज्ञानिकों का यह मानना है कि जलवायु परिवर्तन धूल भरी आंधियों को और भी बदतर बना सकता है। हालांकि यह एक जटिल समस्या है जिसे दुनिया भर के वैज्ञानिक सुलझाने में लगे हैं।