सत्ताधारी दल भाजपा ने डॉ. भीमराव अम्बेडकर जयंती के दिन अपना संकल्प पत्र 2024 जारी कर दिया। तीसरी बार सरकार बनाने को लेकर आश्वस्त दिख रही भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में कई लोकलुभावन वादे किए हैं। इस संकल्प पत्र में भाजपा ने ‘सैटेलाइट टाउनशिप’ बनाने का भी वादा किया है। यह ठीक वैसे ही है जैसे 2014 के चुनाव में उसने सरकार बनने पर देशभर में स्मार्ट सिटी निर्माण की बात कही थी। सैटेलाइट टाउनशिप के बहाने हम आगे जानेंगे कि देश में स्मार्ट सिटी का क्या हाल है जिसके लिए 5 साल का वक्त निर्धारित किया गया था।
सैटेलाइट टाउनशिप क्या है?
अभी हम जानते हैं कि सैटेलाइट टाउनशिप का मतलब क्या है और इसका स्वरूप कैसा होगा। सैटेलाइट टाउनशिप की कोई तय परिभाषा नहीं है। लेकिन मोटा मोटी इसका मतलब एक ऐसे छोटे शहर से है जो आत्मनिर्भर होगा। उसकी कनेक्टिविटी बड़े शहरों से होगी। और ये शहर मुख्य रूप से अपनी आर्थिक स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता के स्तर के कारण उपनगरों से अलग होंगे। सैटेलाइट टाउनशिप में ही लोगों को रोजगार के साधन होंगे, स्वयं के उद्योग, शैक्षणिक संस्थान और स्वास्थ्य देखभाल की आधुनिका सुविधाएं होंगी।
भाजपा ने संकल्प पत्र में कहा है कि हमारा लक्ष्य सभी शहरों में विश्व स्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करना और पर्यावरण अनुकूल जीवन शैली को बढ़ावा देना है। हम बड़े शहरों के आसपास सैटेलाइट टाउनशिप के निर्माण को प्रोत्साहित करेंगे। इन टाउनशिप में मिक्सड यूज डेवलेपमेंट और ट्रांजिट ओरिएंटेड डेवलपमेंट को बढ़ावा देंगे। इसने शहरों में ई-बसों से लेकर मेट्रो नेटवर्क तक की सुविधाओं के साथ एक उन्नत सार्वजनिक परिवहन नेटवर्क विकसित करने का भी वादा किया है। लेकिन क्या यह इतना आसान होने वाला है? क्योंकि भाजपा ने 2014 में देशभर में 100 स्मार्ट सिटी बनाने का वादा किया था और इसके लिए अगले 5 वर्ष को वक्त तय किया था। लेकिन यह समय सीमा खिसकती रही।
2018 तक सरकार ने स्मार्ट सिटी मिशन के 5, 151 योजनाओं को मंजूरी दी थी
भाजपा 2014 में केंद्र की सत्ता पर काबिज होने के बाद नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार ने एक साल बाद यानी 2015 में स्मार्ट सिटी परियोजना को लॉन्च किया। दिसंबर 2018 तक सरकार ने स्मार्ट सिटी मिशन के 5, 151 योजनाओं को मंजूरी दी थी। जिसका बजट 2,000 अरब रुपयों के करीब था। जनवरी, 2019 में सरकार की ओर से कहा गया कि इसकी 39% योजनाएं या तो जारी हैं या फिर पूरी हो चुकी हैं। लेकिन इस मिशन में आवंटित बजट से काफी कम खर्च किया गया।
स्मार्ट सिटी मिशन की समय सीमा खिसकती रही
स्मार्ट सिटी मिशन को जून 2023 तक पूरा कर लेना था। 2024 आ गया लेकिन यह मिशन अभी तक पूरा नहीं हो पाया है। परियोजनाओं को शहर के चयन के पांच साल के भीतर पूरा किया जाना था, लेकिन 2021 में मंत्रालय ने सभी शहरों के लिए समय सीमा को जून 2023 में बदल दिया। सरकार ने बताया कि मार्च 2023 तक, 100 शहरों ने 7,799 परियोजनाओं के लिए कार्य आदेश जारी किए हैं। इनमें से 5,399 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं और शेष चल रही हैं। केवल लगभग 20 शहरों के जून की समय सीमा को पूरा करने की संभावना है; बाकी को अधिक समय की आवश्यकता होगी। सरकार ने यह भी बताया कि किन राज्यों में स्मार्ट सिटी मिशन की गति धीमी रही। उसने कहा, पिछड़ने वालों में पूर्वोत्तर के छह शहर, पांच केंद्र शासित प्रदेश और तीन राज्यों की राजधानियां शामिल हैं। सरकार ने सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले 20 शहरों, जिन्होंने मिशन के तहत सबसे कम परियोजनाएं पूरी की हैं, को काम तेजी से बढ़ाने के लिए कहा है।