दक्षिण कोरिया के महत्वपूर्ण संसदीय चुनाव से पहले हरे प्याज ने खुब सुर्खियां बटोरी हैं और देखते ही देखते यह सब्जी एक अहम चुनावी मुद्दा बन गया है।
पांच दिन पहले यहां पर संसदीय चुनाव संपन्न हुए हैं लेकिन चुनाव से पहले जिस तरीके से हरे प्याज को लेकर यहां पर सियासत गरमाई थी, उसे देखते हुए इस राष्ट्रीय चुनाव आयोग (NEC) को सख्त कदम उठाने पड़े थे और पोलिंग बूथ पर ने हरे प्याज को बैन करना पड़ा था।
हरे प्याज को लेकर विवाद तब खड़ा हुआ जब 18 मार्च को वर्तमान राष्ट्रपति यूं सुक योल ने सियोल के एक किराना स्टोर का दौरा किया था और रोज के जरूरतों की चीजों के भाव का जायजा लिया था।
उन्होंने स्टोर में बिक रहे हरे प्याज को लेकर टिप्पणी की थी और कहा था कि 875 वॉन (54.24 रु) जो हरे प्याज बिक रहे है, यह उचित कीमत पर बिक रही है। राष्ट्रपति यूं सुक योल द्वारा हरे प्याज के दाम को उचित करार देने को लेकर विवाद खड़ा हो गया था।
हरे प्याज को लेकर क्यों खड़ा हुआ विवाद
दरअसल, राष्ट्रपति द्वारा किराना स्टोर के दौरे के बाद स्थानीय मीडिया ने हरे प्याज के दाम को लेकर जांच की थी और पाया कि किराना स्टोर ने राष्ट्रपति दौरे के लिए हरे प्याज की कीमत को कम बताया था और उन्हें सस्ते दाम में हरे प्याज दिया था।
इस खुलासे के बाद घटना को लेकर ऑनलाइन विरोध होना शुरू हो गया जिसमें विपक्ष ने भी इस मुद्दे पर मौजूद सरकार को घेरा था। इसके विरोध में सोशल मीडिया पर #earlyvotedone और #greenonions875won जैसे हैशटैग्स भी चलाए गए थे।
ऐसे में चुनाव के दिन लोग हरे प्याज के फोटो लेकर पोलिंग बूथ पर पहुंचने लगे और इसका जमकर विरोध करने लगे थे। यही नहीं कुछ मतदाताएं हरे प्याज के हेडबैंड भी पहनकर वोट देने के लिए गए थे।
आनन फानन में राष्ट्रीय चुनाव आयोग (एनईसी) ने मतदान केंद्रों पर हरे प्याज को बैन कर दिया था जिसका भी खूब विरोध हुआ था। एनईसी ने बैन को लेकर सफाई भी दी थी लेकिन यह विवाद खत्म नहीं हुआ था।
मामूली सब्जी बना विवाद का हिस्सा
पोलिंग बूथ पर हरे प्याज के बैन पर सवाल उठाते हुए एक वोटर ने कहा कि आखिर किस लॉजिक पर हरे प्याज को बैन किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर वोटिंग स्थलों पर हरे प्याज पर प्रतिबंध लगाया गया है तो रंगीन कपड़े और फैशन वाले हैंडबैग्स को क्यों नहीं बैन किया गया है।
हालांकि एनईसी ने कहा है कि हरे प्याज के थीम वाले कौन आइटम की इजाजत है और किस चीज पर प्रतिबंध लगेगा, इसका फैसला वहां पर मौजूद वोटिंग ऑफिसर ही लेगा।
राजनीतिक विश्लेषक यम सेंग-युल ने एनईसी द्वारा हरे प्याज के बैन की जमकर आलोचना की है और कहा है कि यह फैसला जल्दीबाजी में लिया गया है। इस पूरे विवाद से यह साफ हो गया है कि कैसे एक मामूसी सब्जी दक्षिण कोरिया के चुनाव में एक चुनावी मुद्दा बन गया था।