पश्चिमी उत्तर प्रदेश की रामपुर सीट सपा के लिए मुसीबत बन गई है। यहां सपा प्रमुख अखिलेश यादव के अपने ही विरोध में उतर आए हैं। यह सीट हमेश से सपा के कब्जे में रही है। पार्टी के कद्दावर नेता आजम खान यहां से 10 बार विधायक रहे और एक बार सांसद बने। लेकिन 2022 के उपचुनाव में भाजपा ने आजम खान के किले को भेद दिया और यहां पार्टी का विजयी पताका फहराया।
जबकि आजम खान इस वक्त जेल में बंद हैं, सपा ने यहां से एक ऐसे चेहरे को अपना प्रत्याशी बनाया है जिसपर पार्टी के लोग बाहरी होने का आरोप लगा रहे हैं। रामपुर सीट पर सपा ने दिल्ली के मौलवी मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी को अपना प्रत्याशी बनाया है। आजम खेमा इसी बात से नाराज है। इसको लेकर सपा के भीतर सियासी घमासान मचा हुआ है।
आजम खान की नहीं सुने अखिलेश यादव
दरअसल रामपुर सीट पर उम्मीदवार उतारने से पहले अखिलेश यादव आजम खान की पसंद जानने 22 मार्च को जेल पहुंचे थे। आजम खान ने तब अखिलेश यादव को ही रामपुर से चुनाव लड़ने को कहा लेकिन सपा प्रमुख ने मना कर दिया। अखिलेश यादव का कहना था कि इस सीट पर मुस्लिम समाज के व्यक्ति को ही प्रतिनिधित्व देना चाहते हैं। आजम खान इससे सहमत नहीं हुए। अखिलेश ने फिर तेज प्रताप यादव के नाम को आगे किया। हालांकि अखिलेश ने इस सीट पर दिल्ली के मौलवी मोहिबुल्लाह नदवी को टिकट दे दिया।
सपा के अंदरखाने मचा घमासान
सपा का यह फैसला आजम खान के करीबियों को रास नहीं आ रहा है। इस फैसले का वे जमकर विरोध कर रहे हैं। आजम के करीबी और सपा के पूर्व जिला अध्यक्ष वीरेंद्र गोयल भी पार्टी का विरोध कर रहे हैं। वहीं सपा जिला अध्यक्ष अजय सागर और सपा रामपुर प्रमुखा राजा भी पार्टी उम्मीदवार का समर्थन नहीं कर रहे हैं। रिपोर्ट्स की मानें तो वीरेंद्र गोयल तो बसपा उम्मीदवार जीशान खान के प्रचार में जुटे हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि रामपुर में नदवी का मुकाबला बीजेपी के मौजूदा सांसद लोधी और बीएसपी के जीशान खान से है।
कौन हैं सपा उम्मीदवार मोहिबुल्लाह नदवी?
बात सपा उम्मीदवार मोहिबुल्लाह की करें तो वह रामपुर शहर से करीब 80 किलोमीटर दूर रामपुर निर्वाचन क्षेत्र सुअर-टांडा के रहने वाले हैं। नदवी तुर्क जाति से हैं जिसे मुसलमानों में ऊंची जाति माना जाता है। 1 जनवरी, 1976 को जन्मे नदवी के पास जामिया मिलिया इस्लामिया से इस्लामिक स्टडीज में डिग्री है। नदवी ने हरियाणा के फरीदाबाद में अल-फलाह विश्वविद्यालय से बी.एड किया है। 2005 में दिल्ली वक्फ बोर्ड ने उन्हें जामा मस्जिद का इमाम नियुक्त किया, जिसे संसद मस्जिद भी कहा जाता है।
रामपुर में मुस्लिम समीकरण
रामपुर के 1.5 लाख से अधिक मुस्लिम मतदाताओं में से लगभग 60 प्रतिशत ऊंची जाति के हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार, संसदीय क्षेत्र में मुस्लिमों की संख्या 50.57 प्रतिशत है जबकि बाकी हिंदू हैं। हिंदू वोटरों की संख्या करीब डेढ़ लाख है, जिसमें से सबसे ज्यादा 30 हजार आबादी लोधी समाज की है।