राजौरीः जम्मू-कश्मीर के राजौरी में इन दिनों एक रहस्यमयी बीमारी फैल रही है। इस बीमारी से अब तक 17 लोगों की मौत हो चुकी है। इस मामले में आज चार और मामले सामने आए हैं। इसका पहला मामला 7 दिसंबर को पाया गया था। बीते 45 दिनों में यह बीमारी लगातार फैल रही है।
हालांकि, इसके कारणों के बारे में अब तक कुछ पता नहीं चल सका है। नए पाए गए चार मामलों में तीन बहनें हैं जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। राजौरी जिले के बधाल गांव को इन दिनों कंटेनमेंट जोन बनाया गया है।
इस मामले में हुई मौतों के कारणों की जांच एक केंद्रीय टीम कर रही है। केंद्रीय टीम द्वारा की जा रही जांच का हिस्सा रहे एक डॉक्टर ने बताया कि अब तक 200 से अधिक सैंपल विभिन्न संस्थानों में परीक्षण के लिए भेजे गए हैं।
बीते बुधवार को एक ही परिवार की तीन बहनों की तबियत अचानक से बिगड़ने लगी जिसके बाद उन्हें राजौरी के राजकीय मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) ले जाया गया। अधिकारियों के मुताबिक, मंगलवार को एक और शख्स 24 वर्षीय जाविद अहमद की हालत ज्यादा खराब होने के चलते राजौरी के जीएमसी से हटाकर चंडीगढ़ के पीजीआई में रेफर किया गया।
मारे गए लोगों के हैं करीबी रिश्तेदार
अधिकारियों के मुताबिक, ये चारों लोग उन तीन परिवारों के करीबी रिश्तेदार हैं जिनके रहस्यमयी बीमारी के कारण जान गंवाई है। इस बीच, अधिकारियों ने बताया कि नई दिल्ली द्वारा गठित अंतर-मंत्रालयी टीम ने जांच के तीसरे दिन कोटरंका उपमंडल में बधाल का दौरा किया।
गृह मंत्रालय में एक निदेशक रैंक के अधिकारी के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया गया है जो रविवार को राजौरी जिला मुख्यालय पहुंची। इस टीम को जिले के वरिष्ठ स्वास्थ्य और पुलिस अधिकारियों ने जानकारी दी। टीम इन दिनों राजौरी शहर में रुकी हुई है।
राजौरी स्थित जीएम के वरिष्ठ महामारी विशेषज्ञ और सामुदायिक औषधि विभाग के अध्यक्ष शुजा कादरी ने बताया कि अब तक की जांच से यह स्पष्ट हो गया है कि गांव में मौतें किसी संक्रामक बीमारी की वजह से नहीं हो रही हैं। इसलिए, जांच को खाद्य पदार्थों में विष या जहर की पहचान तक सीमित कर दिया गया है।
कादरी ने समाचार एजेंसी पीटीआई से बातचीत में बताया कि “अब तक हमारी महामारी विज्ञान जांच के आधार पर हम कुछ संभावित नतीजों तक पहुंचे हैं जिनकी पुष्टि प्रयोगशाला में परीक्षण के दौरान की जाएगी… यह कुछ ऐसा है जिसका संबंध खाने से है।”
न्यूरोटॉक्सिन को अलग करने के लिए अब तक 200 से अधिक सैंपल्स देश के विभिन्न संस्थानों में जांच के लिए भेजे गए हैं। आशा है विषाक्त पदार्थों के पैनल के आधार पर प्रयोगशालाएं एक सप्ताह या 10 दिन के भीतर विष को अलग करने की स्थिति में होंगी जिससे “हम आगे की मौतों को रोकने के लिए आसानी से नियंत्रण उपाय कर सकते हैं।”
उन्होंने आगे कहा कि “यदि हम मामलों को क्रम में देखें तो सभी मामले एक निश्चित अवधि में सामने आए हैं। इसका मतलब है कि यह कुछ ऐसा है जो रुक रुक कर सामने आ रहा है। इनका सेवन या तो गलती से या फिर जानबूझकर किया जाता है। यह फिर से जांच का विषय है।”
17 लोगों की हो चुकी है मौत
सात दिसंबर से 19 दिसंबर के बीच अब तक 17 लोगों की मौत हो चुकी है। ये सभी मामले राजौरी से 55 किमी दूर स्थित बधाल गांव में सामने आए हैं। अस्पताल में भर्ती होने के बाद मरने से पहले कुछ दिनों के भीतर मरीजों ने बुखार, दर्द, मतली, तेजी से पसीना आना और अचेत होने की शिकायत की।
इससे पहले जम्मू कश्मीर सरकार के एक प्रवक्ता ने कहा कि जांच और नमूनों के आधार पर यह संकेत मिला है कि घटनाएं बैक्टीरिया या वायरल मूल की संचारी बीमारी के कारण नहीं थी और इसका कोई सार्वजनिक स्वास्थ्य पहलू नहीं है। मृतकों के नमूनों में पाए गए कुछ न्यूरोटॉक्सिंस के बाद पुलिस ने एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है।
नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता और स्थानीय विधायक जावेद इकबाल चौधरी ने कहा कि गांव में परिस्थिति कठिन है लेकिन इससे निपटने के लिए सभी आवश्यक उपाय किए गए हैं। उन्होंने कहा कि “ताजा मामलों ने रहस्य को और गहरा कर दिया है और हमें उम्मीद है कि स्थानीय और केंद्रीय दोनों एजेंसियों की जांच जल्द ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचेगी।”
चौधरी ने बताया कि नए मरीजों को भारतीय वायु सेना द्वारा अस्पतालों में पहुंचाया गया। जम्मू के डिवीजनल कमिश्नर रमेश कुमार और अतिरिक्त पुलिस महानिदेश (एडीजी) आनंद जैन भी स्थिति का जायजा लेने के लिए कोटरंका पहुंचे हैं।