नई दिल्लीः भारत सरकार आगामी बजट सत्र में नया आयकर विधेयक पेश कर सकती है। नया आयकर विधेयक लाने का मुख्य उद्देश्य मौजूदा आयकर कानून को सरल और सुगम बनाना है। कैबिनेट द्वारा प्रस्तावित विधेयक न्याय मंत्रालय की समीक्षा के अधीन है। समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, इस विधेयक को आगामी बजट सत्र के दूसरे भाग में पेश किया जा सकता है।
बजट सत्र की शुरुआत 31 जनवरी को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण से होगी। राष्ट्रपति संसद के दोनों सदनों को संबोधित करेंगी और इसके बाद आर्थिक सर्वेक्षण भी पेश किया जाएगा।बजट सत्र 31 जनवरी से चार अप्रैल तक दो भागों में चलेगा। बजट सत्र का पहला भाग 10 फरवरी तक चलेगा। बजट सत्र का दूसरा भाग 10 मार्च से संचालित होगा।
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को बजट पेश करेंगी। निर्मला सीतारमण लगातार आठवीं बार बजट पेश करेंगी। वह सर्वाधिक बार केंद्रीय बजट पेश करने का रिकॉर्ड पहले ही बना चुकी हैं। पिछले साल उन्होंने पूर्व वित्तमंत्री मोरारजी देसाई को पीछे छोड़ दिया था। मोरारजी देसाई ने लगातार छह बार केंद्रीय बजट पेश किया था।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जुलाई 2024 में प्रस्तुत बजट में आयकर अधिनियम, 1961 की विस्तृत समीक्षा की निगरानी के लिए एक आंतरिक समिति के गठन की घोषणा की थी। इस समिति के काम मौजूदा कर आयकर कानूनों की समीक्षा करना और उन्हें सरल और सुगम बनाना था।
मौजूदा आयकर कानून को सरल करने के सुझाव
सीबीडीटी की आतंरिक समिति ने आयकर अधिनियम के विभिन्न पहलुओं को समझने के लिए लगभग 22 विशेष उप-समितियां बनाई। समितियों और उपसमितियों के अलावा आम लोगों को इसकी चार श्रेणियों में सुझाव और इनपुट देने के लिए आमंत्रित किया गया था। ये चार श्रेणियां हैं- भाषा का सरलीकरण, मुकदमेबाजी और अनुपालन में कमी और अनावश्यक प्रावधानों को हटाना।
आयकर विभाग को अधिनियम की समीक्षा के लिए करीब 6500 लोगों ने सुझाव दिए हैं। नए आयकर बिल को आकार देने में इन सुझावों की अहम भूमिका हो सकती है। नए कानून में इन अध्यायों और अनुभागों को कम करने के साथ-साथ अनावश्यक प्रावधान भी हटाए जा सकते हैं।
अभी जो आयकर अधिनियम, 1961 है, उसमें 23 अध्याय और 288 अनुभाग शामिल हैं। इन अध्यायों और अनुभागों में प्रत्यक्ष कर, व्यक्तिगत आयकर, कार्पोरेट कर और प्रतिभूति लेन देन कर शामिल हैं।
आंतरिक समिति द्वारा की गई समीक्षा में आयकर कानून को और अधिक सरल और स्पष्ट बनाने के साथ-साथ विवादों और मुकदमों को कम करने का प्रस्ताव रखा गया। इसके साथ ही करदाताओं(टैक्सपेयर्स) को अधिक कर निश्चितता देने की भी मांग की गई है।