लुटियंस दिल्ली के 4 राजाजी मार्ग (पहले हास्टिंग्स रोड) के बंगले में पिछली 15 जनवरी को काफी हलचल थी। हर साल 15 जनवरी को इधर सेना दिवस के मौके पर एक आयोजन किया जाता है। इसकी मेजबानी भी भारतीय सेनाध्यक्ष करते हैं। दरअसल यह भारतीय सेनाध्यक्ष का आधिकारिक आवास है। देश की आजादी के बाद से ही आर्मी चीफ इधर रहते रहे हैं। इसे आर्मी हाउस कहा जाता है। आप जानते हैं कि ब्रिटिश काल में तीन मूर्ति भवन भारतीय सेना के कमांडर इन चीफ का सरकारी आवास हुआ करता था।
कौन-कौन रहा आर्मी हाउस में?
आर्मी हाउस में जनरल करिय्पा, जनरल के.एस. थिमैया, जनरल पी.एन. थापर, जनरल जे.एन. चौधरी, जनरल पी.पी. कुमारमंगलम, जनरल सैम मानेकशॉ, जनरल गोपाल गुरुनाथ बेवूर, जनरल टी.एन. रैना, जनरल ओ.पी. मल्होत्रा, जनरल के.वी. कृष्णा राव, जनरल ए.एस. वैद्य, जनरल के. सुंदरजी,ज नरल वी.एन. शर्मा, जनरल सुनीत फ्रांसिस रोड्रिग्स, जनरल बिपिन चंद्र जोशी, जनरल शंकर रॉय चौधरी, जनरल वेद प्रकाश मलिक, जनरल सुंदरराजन पद्मनाभन, जनरल निर्मल चंद्र विज,जनरल जोगिंदर जसवंत सिंह,जनरल दीपक कपूर, जनरल विजय कुमार सिंह,, जनरल बिक्रम सिंह,
जनरल दलबीर सिंह सुहाग,जनरल बिपिन रावत,जनरल मनोज मुकुंद नरवणे, जनरल मनोज पांडे रहे हैं। अब इधर मौजूद सेनाध्यक्ष रहते हैं।
कब बना था 4 राजाजी मार्ग?
बेशक, 4, राजाजी मार्ग एक महत्वपूर्ण और प्रतिष्ठित बंगला है। यह क्षेत्र अपनी हरियाली, शांत वातावरण और महत्वपूर्ण सरकारी इमारतों के लिए जाना जाता है। आर्मी हाउस भारतीय सेना के प्रमुख का आधिकारिक निवास होने के कारण, यह एक महत्वपूर्ण स्थान है। यहां कई महत्वपूर्ण बैठकें और सेना से संबंधित कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं।
4 राजाजी मार्ग का बंगला 1930 तक बन गया था। इसका डिजाइन लुटियंस दिल्ली के अन्य बंगलों के अनुरूप है, जिसमें विशाल लॉन, बरामदे और क्लासिक वास्तुकला का मिश्रण है। समय-समय पर बंगले को आवश्यकतानुसार नवीनीकृत और पुनर्निर्मित किया गया है, लेकिन इसकी मूल वास्तुकला को बनाए रखने का प्रयास किया गया है।
क्यों खास है आर्मी हाउस?
आर्मी हाउस की सुरक्षा कड़ी होती है, क्योंकि यह एक उच्च सुरक्षा वाला क्षेत्र है। यहां आने-जाने वाले लोगों की निगरानी और जांच की जाती है। यह भारतीय थल सेना के प्रमुख का आधिकारिक निवास है, जहां वे अपने परिवार के साथ रहते हैं। आर्मी हाउस में अक्सर महत्वपूर्ण सैन्य और नागरिक अधिकारियों की मेजबानी की जाती है।
राष्ट्रीय महत्व के अवसरों पर, आर्मी हाउस में कई रिसेप्शन भी आयोजित किए जाते हैं। रक्षा मामलों के जानकार कहते हैं कि आर्मी हाउस का महत्व न केवल सेना के लिए है, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी है, क्योंकि यह देश के रक्षा तंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
मानेकशॉ के दौर में 4, राजाजी मार्ग
सैम मानेकशॉ भी भारतीय सेनाध्यक्ष के पद पर रहते हुए 4, राजाजी मार्ग के आर्मी हाउस में रहा करते थे। वे सुबह अपने बंगले के बाहर भी सैर करने के लिए निकल जाया करते थे। उनके साथ उनकी पत्नी सील्लू भी हुआ करती थी। वहां पर अगर कोई शख्स सड़क पर चलते हुए उन्हें नमस्कार करता तो वे उसका आदरपूर्वक उत्तर देते। उनमें जनरल पद की ठसक नहीं थी। इसकी वजह यह थी कि उनका संबंध गोरखा रेजीमेंट से था।
सैम 4 राजाजी मार्ग से पहले कहां रहते थे मानेकशॉ?
सैम मानेकशॉ सेनाध्यक्ष बनने से पहले दिल्ली कैंट में भी रहे। इधर ही है 25 एकड़ में बना सैम मानेकशॉ सेंटर। इसकी दीवारों पर 1971 की भारत-पाकिस्तान जंग की शौर्य से भरपूर कहानी को लिखा गया है। सैम मानेकशॉ को सरपरस्ती में भारतीय सेना ने शत्रु की जंग में कमर तोड़ दी थी। पाकिस्तान के साथ जंग में मिली शानदार सफलता के बाद सरकार ने उन्हें फील्ड मार्शल के पद पर प्रमोट कर दिया था।
मानेकशॉ 1975 तक राजधानी में रहने के बाद तमिलनाडू के वेलिंग्टन शहर में जाकर बस गए। फिर उनका दिल्ली आना-जाना लगभग बंद हो गया। वहां पर ही उनकी 94 वर्ष की आयु में 27 जून 2008 को दिन में 12:30 बजे मृत्यु हुई। फिर उधर ही उनकी सादगी से अंत्येष्टि कर दी गई थी।
नामवर लेखक और पत्रकार महेन्द्र वेद ने अपनी किताब @75 AS I SAW IT में लिखा है कि सैम मानेकशॉ की मृत्यु के वक्त सरकारी स्तर पर एक राय यह भी थी कि उनका अंतिम संस्कार दिल्ली कैंट के बरार स्कवेयर में पूरे सैनिक सम्मान से होना चाहिए। हालांकि इस तरफ तुरंत कार्यवाही नहीं हुई। बस, सरकार ने सांकेतिक संवेदना जाहिर कर दी थी।
मानेकशॉ को सब प्यार से क्या कहते थे
सैम मानेकशॉ देश की आजादी के बाद कई अहम सैन्य अभियानों से सक्रिय रूप से जुड़े हुए थे और राजधानी में रहते थे। वे उन सेना के अफसरों में थे जिन्होंने प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और गृह मंत्री सरदार पटेल के निर्देशों का पालन करते हुए कश्मीर ऑपरेशन (1947-49) की योजना बनाई। उन्होंने 1962 में चीन से जंग में उन्नीस रहने के बाद नेहरू जी को साफतौर पर कहा था कि हम दुश्मनों से बहादुरी से लड़े। हां, हम कमजोर नेतृत्व के कारण हारे। सैम मानेकशॉ को प्यार से सैम बहादुर भी कहा जाता था।
4 राजाजी मार्ग की याद किसे खींच लाई?
भारतीय सेना के तीसरे सेनाध्यक्ष एस.एम. श्रीनागेश थे। वे मई 1955 से मई 1957 तक सेना प्रमुख रहे थे। जिन दिनों जनरल बिपिन रावत सेनाध्यक्ष थे, तब एक दिन जनरल श्रीगणेश की पुत्री रोहिणी आर्मी हाउस में आई। रोहिणी ने यहां अपने पिता के साथ वक्त बिताया था। उन्होंने यहां की दरो- दीवारों को छूआ और अपने बचपन के दिनों में चली गईं थीं। वे अपने बच्चों और पोते-पोतियों के साथ आई थीं।
रोहिणी, ने तब कहा था, “मैं यहाँ 64 साल पहले रहती थी जब जनरल रावत और मधुलिका का जन्म भी नहीं हुआ था! उनके द्वारा मेजबानी करना बहुत सम्मान की बात थी। जब हम यहां आए तो मैं 15 साल की थी। मैंने अपने जीवन के सबसे अच्छे दो साल यहीं बिताए। इस यात्रा ने मेरे माता-पिता के साथ यहां बिताए समय की ज्वलंत यादें ताजा कर दीं।”
जनरल रावत और उनकी पत्नी ने रोहिणी और उनके बच्चों को आर्मी हाउस घुमाया। रोहिणी ने अपना कमरा पहचान लिया। उन्होंने कहा कि यहां की मूल संरचना वही है, सिवाय अंदर कुछ छोटे बदलावों के। जनरल श्रीगणेश अगस्त 1923 में 19 हैदराबाद रेजिमेंट (अब कुमाऊं रेजिमेंट) में एक अधिकारी के रूप में कमीशन हुए। उनका निधन 1977 में हो गया था।
जनरल रावत का संबंध लुटियंस दिल्ली से
भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरन बिपिन रावत सेनाध्यक्ष के रूप में 4 राजाजी मार्ग में रहे। उनका लुटियंस दिल्ली से करीबी संबंध रहा। उनका विवाह लुटियन दिल्ली के 5 विंडसर प्लेस के बंगले में हुआ था। यह 1986 की बात है। तब यह बंगला एक सांसद को मिला हुआ था। इस बंगले को 1994 के बाद इंडियन वीमेन प्रेस क्लब (आईड्ब्लयूपीसी) को आवंटित कर दिया गया था। उस विवाह में देवभूमि के गढ़वाल क्षेत्र और मध्यप्रदेश की सुंगध और संस्कृति को महसूस किया जा सकता था।
दिवंगत जनरल रावत की पत्नी मध्य प्रदेश के शहडोल से संबंध रखती थीं। जनरल रावत के पिता लक्ष्मण सिंह रावत, जो तब भारतीय सेना में उच्च पद पर आसीन थे, विवाह की सारी व्यवस्थाएं देख रहे थे। वरिष्ठ लेखक हेमेन्द्र सिंह बर्थवाल को याद है कि विवाह वाले दिन जनरल रावत ने सफारी सूट और राजस्थानी साफा पहना हुआ था। इस बीच, जनरल रावत के पिता ने नोएडा में अपना घर बना लिया था।
राजाजी मार्ग में और कौन-कौन
भारत में ब्रिटेन के हाई कमिश्नर 2 राजाजी मार्ग के भव्य बंगले में रहते हैं। दरअसल देश के आजाद होने के बाद भारत सरकार ने 2 राजाजी मार्ग ब्रिटेन सरकार को अपना हाई कमीशन बनाने के लिए आवंटित कर दिया था। हालांकि बाद में हाई कमीशन की नई इमारत बनी चामक्यपुरी में। इसी तरह नई दिल्ली के चीफ आर्किटेक्ट एडविन लुटियन 10 राजाजी मार्ग में रहते थे।
राष्ट्रपति पद से मुक्त होने के बाद उसी बंगले में प्रणव कुमार मुखर्जी रहते थे, जिसमें लुटियन रहा करते थे। यह डबल स्टोरी बंगला है। लुटियंस दिल्ली के बहुत ही कम बंगले बंगले डबल स्टोरी है। इसी बंगले में पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम और भारत के पहले गवर्नर जनरल सी. राजगोपालाचारी भी रहे हैं।
चूंकि इधर कुछ समय तक सी.राजगोपालचारी भी रहे हैं, इसलिए इसके हेस्टिंग्स रोड का नाम बदलकर राजाजी मार्ग रख दिया गया था। आजकल इसमें कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे रहते हैं।