नई दिल्लीः अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का शपथ ग्रहण जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, उनके आर्थिक नीतियों को लेकर अनिश्चितता बढ़ती जा रही है। इस कारण वैश्विक बॉन्ड बाजार में भारी गिरावट देखी जा रही है। बॉन्ड मार्केट में इस गिरावट ने निवेशकों को परेशान कर दिया है। हालांकि बॉन्ड यील्ड और मार्केट के उतार-चढ़ाव भारत में आम लोगों के लिए दूर की चीज लग सकती है, लेकिन इसका असर लोगों के जीवन पर कहीं ज्यादा है, जितना आप सोचते हैं।हालांकि यह गिरावट वैश्विक स्तर पर हो रही है, लेकिन यह विशेष रूप से विकसित देशों जैसे अमेरिका, ब्रिटेन और जापान में अधिक है। क्या भारत पर भी इसका असर होगा, आइए जानते हैं।
अभी बाजार में क्या हो रहा है?
हर देश की सरकारों को भी कर्ज लेना पड़ता है, जैसे हमें घर खरीदने के लिए होम लोन की जरूरत होती है। लेकिन अभी दुनिया भर में सरकारी बॉन्ड से पैसा तेजी से निकल रहा है। अमेरिका में ट्रेजरी बॉन्ड यील्ड (बॉन्ड की यील्ड वह रिटर्न है जो निवेशक को हर साल इसकी मैच्योरिटी पर मिलती है) 4.8% तक पहुंच गई है। आसान शब्दों में समझें, तो जैसे पड़ोस में प्रॉपर्टी की कीमतें बढ़ने पर सबकुछ महंगा हो जाता है, वैसे ही सरकारी कर्ज महंगा होने से पूरी अर्थव्यवस्था पर असर पड़ता है।
क्या वैश्विक बांड बाजार की गिरावट का भारत पर असर पड़ेगा?
भारत में भी इसका असर दिख रहा है। रिपोर्ट की मानें तो 10-वर्षीय सरकारी बॉन्ड यील्ड 6.9% तक पहुंच गई है। विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) भारत से पैसे निकालकर विकसित देशों की तरफ जा रहे हैं, क्योंकि उन्हें वहां ज्यादा सुरक्षित रिटर्न मिल रहा है। हालांकि, भारत इस बार पूरी तरह तैयार है। देश के विदेशी मुद्रा भंडार मजबूत हैं और हाल ही में जेपी मॉर्गन के जीबीआई-ईएम इंडेक्स में शामिल होना भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। इससे देश में लंबे समय तक निवेश का प्रवाह बना रह सकता है।
क्या निवेशकों को चिंता करनी चाहिए?
अगर आप होम लोन लेने की सोच रहे हैं या कर्ज लेकर बिजनेस बढ़ाना चाहते हैं, तो अब आपको थोड़ा सावधान हो जाना चाहिए। जब बैंकों के लिए कर्ज लेना महंगा हो जाता है, तो वे ग्राहकों को कम रियायत देते हैं। अगर आपने रियल एस्टेट या इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनियों में निवेश किया है, तो सतर्क रहें, क्योंकि ये सेक्टर कर्ज के महंगा होने पर सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है। भारत में उपभोक्ता खर्च की स्थिति मजबूत है। लोग कारें और घर खरीदना नहीं छोड़ने वाले, भले ही बॉन्ड यील्ड बढ़ गई हो।
जबकि वैश्विक बाजार में उथल-पुथल हो रही है, भारत की स्थिति उतनी खराब नहीं है। हां, रुपए पर दबाव बढ़ सकता है और आयात बिल महंगे हो सकते हैं, लेकिन आर्थिक नींव अभी भी मजबूत हैं। निवेशकों को घबराने की जरूरत नहीं है। यह समय अपने पोर्टफोलियो की समीक्षा करने और निवेश में संतुलन बनाने का है। अगर आप बड़े कर्ज लेने की सोच रहे हैं, तो जल्द ही फैसला लेना बेहतर हो सकता है।