वाशिंगटनः अमेरिका के नव-निर्वाचिक राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प अपने विस्तारवादी एजेंडे को लेकर फिर से चर्चा में हैं। फ्लोरिडा में मार-ए-लागो निवास पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने पनामा, ग्रीनलैंड और कनाडा का जिक्र किया। ट्रंप ने पनामा नहर और ग्रीनलैंड को अमेरिका के लिए सुरक्षा और आर्थिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण बताया और कहा कि इन क्षेत्रों पर नियंत्रण पाने के लिए सैन्य या आर्थिक दबाव का सहारा लिया जा सकता है।
ट्रंप ने कनाडा और संयुक्त राज्य अमेरिका को मिलाने के लिए “इकोनॉमिक फोर्स” के इस्तेमाल करने की बात कही। डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सुझाव के समर्थन में अमेरिका द्वारा प्रदान की गई सैन्य सहायता और दोनों देशों के बीच व्यापार घाटे जैसे कारणों का हवाला दिया।
ट्रंप ने मंगलवार को फ्लोरिडा में मार-ए-लागो निवास पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया था। इस दौरान उन्होंने कहा था कि आप उस कृत्रिम रूप से खींची गई रेखा से छुटकारा पा लें, और देखें कि वह कैसी दिखती है, और यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी बेहतर होगा।”
ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर एक पोस्ट में कनाडा को अमेरिका का हिस्सा बताते हुए एक एडिट तस्वीर भी शेयर की थी। इसके कैप्शन में लिखा, “ओह कनाडा।” वहीं, कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने ट्रम्प के प्रस्ताव को खारिज करते हुए कहा, “कनाडा का अमेरिका का हिस्सा बनने का कोई सवाल ही नहीं है।”
जस्टिन ट्रूडो ने कहा, “इस बात की कोई संभावना नहीं है कि कनाडा संयुक्त राज्य अमेरिका का हिस्सा बन जाएगा। दोनों देशों के श्रमिक और समुदाय एक-दूसरे के सबसे बड़े व्यापारिक और सुरक्षा साझेदार होने से लाभान्वित होते हैं।” वहीं, कनाडा की विदेश मंत्री मेलानी जोली ने भी ट्रंप की टिप्पणियों की आलोचना की और उन पर कनाडा के बारे में “समझ की कमी” का तंज कसा। उन्होंने कहा कि कनाडा ऐसी धमकियों से “कभी पीछे नहीं हटेगा”।
पनामा नहर पर ट्रम्प की नजर
पनामा नहर, जो उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका को जोड़ती है, विश्व की सबसे प्रतिष्ठित ढांचागत परियोजनाओं में से एक है। 82 किलोमीटर लंबी यह नहर 1914 में शुरू हुई और आज भी वैश्विक व्यापार के लिए महत्वपूर्ण है। अमेरिका पनामा नहर का सबसे बड़ा उपयोगकर्ता है और उसका लगभग 75% ट्रैफिक इसी से गुजरता है। ट्रंप का कहना है कि पनामा नहर के इस्तेमाल के लिए अधिक कर वसूलता है। पनामा नहर के 2020 में राजस्व $3.4 बिलियन रहा, जो देश की जीडीपी का 2.7% था। हालांकि, हाल के वर्षों में सूखे और जलस्तर की कमी के चलते नहर प्रशासन को जहाजों की आवाजाही सीमित करनी पड़ी।
ट्रम्प ने नहर को “आर्थिक सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण” बताते हुए संकेत दिया कि वह इसे अमेरिका के नियंत्रण में लाने के लिए कड़े कदम उठा सकते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि पनामा नहर चीनी सैनिकों के नियंत्रण में है। पनामा के राष्ट्रपति जोसे राउल मुलिनो ने इन दावों को खारिज करते हुए इसे “बेतुका” करार दिया है। उनका कहना है कि पनामा नहर में चीन का कोई दखल नहीं है।
गौरतलब है कि 1900 के दशक की शुरुआत में निर्मित इस नहर पर 1977 तक अमेरिका का नियंत्रण था। हालांकि, राष्ट्रपति जिमी कार्टर की मध्यस्थता में इसे पनामा को सौंप दिया गया। 1999 से इसका संपूर्ण नियंत्रण पनामा सरकार के पास है। ट्रंप का कहना है, “पनामा नहर को पनामा को सौंपना एक बड़ी गलती थी। उन्होंने कहा कि कार्टर अच्छे इंसान थे, लेकिन उन्होंने एक बड़ी गलती की।”
ग्रीनलैंड क्यों है महत्वपूर्ण?
लगभग 21 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल वाले ग्रीनलैंड की जनसंख्या मात्र 57 हजार है। हालांकि इसे स्वायत्तता प्राप्त है, लेकिन ग्रीनलैंड की अर्थव्यवस्था काफी हद तक डेनमार्क की सब्सिडी पर निर्भर है। यह द्वीप डेनमार्क के साम्राज्य का हिस्सा है।
ग्रीनलैंड में स्थित पिटुफिक स्पेस बेस, जिसे पहले Thule Air Base कहा जाता था, अमेरिका के लिए रक्षा के दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण है। यह बेस रूस, चीन और उत्तर कोरिया जैसे देशों से आने वाले संभावित खतरों पर नजर रखने के लिए एक प्रमुख केंद्र है।
दुनिया के कई दुर्लभ खनिजों के विशाल भंडार भी इस क्षेत्र में मौजूद हैं, जिनमें Rare Earth Elements (REE) शामिल हैं। ये खनिज मोबाइल फोन, इलेक्ट्रिक वाहनों और रक्षा उपकरणों के निर्माण में उपयोगी हैं। चीन इनका बड़ा सप्लायर है और अमेरिका इस कतार में आगे आना चाहता है। ग्रीनलैंड के आर्कटिक क्षेत्र में तेल और गैस भंडार होने की संभावना भी है, जिससे यह ऊर्जा संसाधनों का केंद्र बन सकता है।
ग्रीनलैंड आर्कटिक महासागर तक पहुंच प्रदान करता है, जहां पिघलती बर्फ नई समुद्री व्यापारिक मार्गों का निर्माण कर रही है। अमेरिका इस क्षेत्र में रूस और चीन की बढ़ती गतिविधियों को संतुलित करना चाहता है। ट्रंप का मानना है कि रूसी और चीनी जहाजों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए यह द्वीप सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। मंगलवार को पत्रकारों से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा, “मैं मुक्त दुनिया की रक्षा की बात कर रहा हूं।”
अपने पहले राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने इस आर्कटिक द्वीप को खरीदने में रुचि दिखाई थी, लेकिन उस समय भी उनके प्रस्ताव को ठुकरा दिया गया था। यह पहली बार नहीं है जब किसी अमेरिकी राष्ट्रपति ने ग्रीनलैंड को खरीदने की बात की है। बीबीसी के मुताबिक, 1860 के दशक में अमेरिका के 17वें राष्ट्रपति एंड्रयू जॉनसन ने पहली बार यह विचार रखा था। अन्य मीडिया रिपोर्टो में यह भी दावा किया जाता है कि 1946 के अमेरिकी प्रस्ताव में ग्रीनलैंड को 100 मिलियन डॉलर के सोने के बदले खरीदने पर विचार किया गया था, जो आज के 1.6 बिलियन डॉलर से अधिक के बराबर है। ट्रंप प्रशासन ने भी 2019 में इसे खरीदने की इच्छा जाहिर की थी, लेकिन डेनमार्क ने इसे सिरे से खारिज कर दिया।
ट्रम्प के बयान पर ग्रीनलैंड, डेनमार्क ने क्या कहा?
डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिकसेन ने डेनिश टीवी से कहा कि ‘ग्रीनलैंड, ग्रीनलैंड के लोगों का है’ और केवल स्थानीय आबादी ही इसके भविष्य का निर्धारण कर सकती है। उन्होंने कहा कि ‘ग्रीनलैंड बिक्री के लिए नहीं है’, लेकिन इस बात पर जोर दिया कि डेनमार्क को नाटो सहयोगी अमेरिका के साथ घनिष्ठ सहयोग की जरुरत है। ग्रीनलैंड के प्रधानमंत्री म्यूट एगेड ने भी स्पष्ट किया है कि ग्रीनलैंड बिकाऊ नहीं है। हालांकि वह ग्रीनलैंड की डेनमार्क से आजादी के समर्थक हैं।
इन क्षेत्रों को खरीद चुका है अमेरिका
ऐसा बिल्कुल नहीं है कि अमेरिका ने पहले कोई क्षेत्र नहीं खरीदा हो। देश के सबसे बड़े राज्य अलास्का को वाशिंगटन ने 1867 में रूस से खरीदा था। 586,412 वर्ग मील वाले अलास्का की कीमत तब 7.2 मिलियन डॉलर थी, जो आज लगभग 153.5 मिलियन डॉलर है। अलास्का भी ग्रीनलैंड की तरह ठंडी जलवायु, कम जनसंख्या घनत्व, रणनीतिक लोकेशन और तेल भंडार वाल क्षेत्र है।
अमेरिका ने 1917 में डेनमार्क से यूएस वर्जिन आइलैंड्स को 25 मिलियन डॉलर के सोने (आज के हिसाब से लगभग 616.2 मिलियन डॉलर) में खरीदा था। वहीं, 1803 में अमेरिका ने फ्रांस से लुइसियाना को 15 मिलियन डॉलर (आज के हिसाब से लगभग 418.8 मिलियन डॉलर) में खरीदा था।
कनाडा को लेकर ट्रम्प का दृष्टिकोण
ट्रम्प ने कनाडा को अमेरिका का “प्राकृतिक व्यापारिक भागीदार” बताते हुए उसे 51वां राज्य बनाने की बात की। उन्होंने कहा कि अमेरिका कनाडा के व्यापार और रक्षा पर भारी खर्च करता है, जिसका कोई फायदा नहीं होता। उन्होंने कनाडा से आने वाले वाहनों और कृषि उत्पादों पर 25% टैरिफ लगाने की धमकी दी और कनाडा-अमेरिका सीमा को “कृत्रिम रेखा” करार देते हुए इसे हटाने की वकालत की। ट्रंप ने कहा, “कनाडा और अमेरिका के बीच यह एक बड़ा कदम होगा। हम लंबे समय से अच्छे पड़ोसी रहे हैं, लेकिन ऐसा हमेशा नहीं चल सकता।”
उन्होंने कनाडा पर अपनी रक्षा और आर्थिक नीतियों का बोझ डालने का आरोप लगाते हुए कहा, “मत भूलिए, हम मूल रूप से कनाडा की रक्षा करते हैं। वहां हमारे बहुत सारे दोस्त हैं, और मैं कनाडा के लोगों से प्यार करता हूं। वे शानदार लोग हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि हम हर साल कनाडा की रक्षा और देखभाल के लिए सैकड़ों अरब डॉलर खर्च कर रहे हैं। इसके बदले में हमें व्यापार घाटे में भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।”
ट्रंप ने कनाडा और मैक्सिको से आयातित वस्तुओं पर उच्च टैरिफ लगाने की अपनी योजना को दोहराते हुए कहा, “कनाडा को हर साल लगभग 200 अरब डॉलर की अप्रत्यक्ष सब्सिडी मिलती है, और इसके साथ ही अन्य आर्थिक लाभ भी। उनकी सेना लगभग ना के बराबर है, और वे पूरी तरह से हमारी सेना पर निर्भर हैं। यह अब तक ठीक था, लेकिन अब उन्हें इसकी कीमत चुकानी होगी।”
इसके जवाब में, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा कि “कनाडा, अमेरिका का हिस्सा बनने के लिए तैयार नहीं है।” ट्रम्प ने “मेक्सिको की खाड़ी” का नाम बदलकर “अमेरिका की खाड़ी” रखने का भी प्रस्ताव दिया। उन्होंने कहा कि यह नाम क्षेत्र की अमेरिकी पहचान को बेहतर तरीके से दर्शाता है।